मानहानि के मामले में राहुल गांधी को दो साल की सजा मिलने के बाद अपील हेतु एक माह का समय दिए जाने के साथ ही जमानत भी दे दी गयी | इस पर कांग्रेस पार्टी आगबबूला है | राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत कह रहे हैं जिस टिप्पणी पर श्री गांधी को सूरत की अदालत ने अवमानना का दोषी माना , ऐसी तो राजीनीति में आये दिन होती रहती हैं | आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविन्द केजरीवाल कह रहे हैं ये विपक्षी दलों को कुचलने का प्रयास है | इस फैसले के विरुद्ध आन्दोलन के तैयारी भी कांग्रेस कर रही है | हालाँकि ये बात भी बार – बार दोहराई जा रही है कि हम न्यायपालिका का सम्मान करते हैं | दरअसल कांग्रेस को चिंता इस बात की है कि यदि श्री गांधी को ऊपरी अदालत से सजा के विरुद्ध स्थगन नहीं मिला और उनको जेल जाना पड़ा तब उनकी लोकसभा सदस्यता खत्म होने के साथ ही आगामी छः वर्ष तक चुनाव लड़ने पर रोक लग सकती है | हालांकि उनका अपराध ऐसा नहीं है कि स्थगन न मिले लेकिन खुदा न खास्ता वैसा हो गया तब कांग्रेस का पूरा खेल खराब हो जाएगा | बहरहाल इस मामले के कानूनी पक्ष पर आएं तो श्री गांधी ने अदालत में अपनी सफाई में कहा था कि सभी मोदी चोर हैं वाली टिप्पणी में किसी के प्रति दुर्भावनावश नहीं थी तो उन्हें वहीं क्षमा याचना कर लेनी चाहिये थी | अतीत में राफेल लड़ाकू विमान सौदे के बारे में उनके चौकीदार चोर है वाले बयान पर उन्हें सर्वोच्च न्यायालय की फटकार के बाद खेद की बजाय माफी मांगनी पड़ी थी | रास्वसंघ पर गांधीजी की हत्या संबंधी बेबुनियाद आरोप लगाने के मामले में भी वे सर्वोच्च न्यायलय की फटकार खा चुके हैं | उनके लन्दन में दिए गए हालिया भाषण पर भाजपा द्वारा क्षमा याचना की मांग किये जाने पर कांग्रेस पार्टी का एक ट्वीट काफी चर्चा में आया कि मैं राहुल गांधी हूँ , सावरकर नहीं | उल्लेखनीय है श्री गांधी स्वातंत्र्य वीर सावरकर पर सदैव आरोप लगाया करते हैं कि उन्होंने अंडमान की जेल से रिहाई हेतु अंग्रेजी सत्ता से लिखित माफी मांगते हुए उसके वफादार बने रहने का पत्र लिखा था | कुछ साल पहले अरविन्द केजरीवाल द्वारा केन्द्रीय मंत्री नितिन गडकरी और अकाली नेता विक्रम मजीठिया से मानहानि प्रकरण में लिखित क्षमा याचना करने के बाद दोनों ने उनके विरुद्ध मानहानि प्रकरण वापस ले लिया था | लेकिन लगता है श्री गांधी के जो भी सलाहकार हैं वे उनकी नासमझी का लाभ लेकर इस तरह के विवादों में उलझाकर उनकी छवि और समय दोनों खराब करते हैं | यद्यपि लम्बे समय से राष्ट्रीय राजनीति में रहने के बावजूद वे अभी भी अपरिपक्वता का परिचय गाहे - बगाहे देते रहते हैं | कुछ दिन पहले पत्रकार वार्ता में वे बोल गए कि दुर्भाग्य से मैं सांसद हूँ और तब बगल में बैठे कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने उनके कान में कहा कि ये बात मजाक का विषय बन जायेगी तब श्री गांधी ने संभलते हुए कहा कि दुर्भाग्य से मैं आपके सवालों का जवाब नहीं दे पाऊँगा | लेकिन सामने रखे माइक चालू रहने से श्री रमेश द्वारा दी गयी समझाइश सबको सुनाई दे गई | ऐसे में ये मान भी लें कि श्री गांधी ने सभी मोदी चोर हैं , जैसी टिप्पणी बिना आगा पीछे सोचे कर दी होगी और उनका मकसद किसी व्यक्ति या जाति विशेष को आहत करने का नहीं था तब उन्हें बिना शर्त माफी मांग लेना चाहिए था | ऐसे में ये प्रकरण प्रारम्भिक अवस्था में ही खत्म हो सकता था | इस तरह के दर्जनों उदाहरण हैं जहां बिना अकड़ दिखाए क्षमा याचना कर लेने पर विवाद समाप्त हो गया | बहरहाल , अब मामले को राजनीतिक तूल देने के पीछे कांग्रेस पार्टी की घबराहट सामने आ रही है | ऐसा लगता है राहुल को ये भय सता रहा है कि यदि उन्हें जेल जाना पड़ा तो उनकी सांसदी खत्म होने से ज्यादा 6 वर्ष तक चुनावी राजनीति से दूर रहने की परिस्थिति उनके भविष्य पर पानी फेर देगी | उन्हें निश्चित रूप से लालू यादव का हश्र याद आ रहा होगा | और ये भी कि यदि 10 साल पहले उनकी ही सरकार द्वारा सर्वोच्च न्यायालय के 2 वर्ष या उससे अधिक की सजा मिलते ही संसद की सदस्यता खत्म होने संबंधी फैसले को बेअसर करने के लिए मनमोहन सरकार द्वारा तैयार किय गए अध्यादेश को यदि बीच पत्रकार वार्ता में आकर वे फाड़ने की बात न कहते और दबाववश सरकार द्वारा उसे वापिस न लिया होता तब आज उनके भविष्य पर प्रश्नचिन्ह न लगते | बहरहाल , अब घड़ी की सुइयाँ पीछे नहीं लौट सकतीं | और ऐसे में श्री गाँधी और कांग्रेस सहित समूचे विपक्ष को अपना ध्यान कानूनी प्रक्रिया के अंतर्गत बचाव पर लगाना चाहिए क्योंकि सजा सरकार ने नहीं अपितु न्यायालय ने दी है और राहत भी ऊपरी अदालत ही दे सकेगी | ऐसे में धरना , प्रदर्शन , ज्ञापन आदि से कोई लाभ नहीं होने वाला | अदालत के फैसले को बदलने की हिमाकत राहुल की स्वर्गीया दादी द्वारा आपातकाल लगाकर की गयी थी जिसकी भारी कीमत उन्हें चुनावी हार के तौर पर चुकानी पड़ी | वैसे ही इस प्रकरण से सभी राजनेताओं को सबक लेना चाहिए जो जुबान पर लगाम न होने की वजह से कुछ भी आंय - बाँय बक जाते हैं | राहुल के लन्दन वाले बयानों पर भाजपा प्रवक्ता संबित पात्रा द्वारा उनकी तुलना मीर जाफर से किया जाना भी उसी श्रेणी में आता है | दिल्ली के मुख्यमंत्री श्री केजरीवाल ने विधानसभा में केंद्र सरकार के बारे में कहा कि ऊपर से नीचे तक अनपढ़ बिठा रखे हैं | कल वे जन्तर – मन्तर की रैली में बोले प्रधानमंत्री का 18 घंटे काम करना नींद न आने की बीमारी है | उधर सत्ता पक्ष भी विपक्ष के बारे में ख़ास तौर पर श्री गांधी और श्री केजरीवाल पर अनावश्यक टिप्पणियां करता है | इन सबसे राजनीति और राजनेताओं की छवि और सम्मान गिर रहा है | बेहतर हो सभी दल इस बारे में खुद होकर आचार संहिता बनाएं जिससे शब्दों की मर्यादा बनी रह सके | यदि कोई नेता किसी के बारे में अपमानजनक बात कहता है और उसकी पार्टी ही उसके कान खींच दे तो वह उदाहरण बन सकता है | बेहतर हो श्री गांधी अभी भी क्षमा याचना कर लें तो सम्भव है इस विवाद का पटाक्षेप हो जाए | अन्यथा मुसीबत ने उनका घर तो देख ही लिया है।
रवीन्द्र वाजपेयी
No comments:
Post a Comment