Tuesday 21 March 2023

खालिस्तान विरोधी कार्रवाई में राजनीति को दूर रखे आम आदमी पार्टी



पंजाब पुलिस बीते कुछ दिनों से वारिस पंजाब दे नामक संगठन के अध्यक्ष अमृतपाल सिंह की तलाश में जुटी हुई है | अमृतपाल खालिस्तान का समर्थन करते हुए  पंजाब में युवाओं को हथियारबंद होने के लिये प्रेरित कर रहा है | अजनाला के  एक पुलिस थाने पर सैकड़ों सशस्त्र  लोगों के साथ हमला करने के बाद अपने गिरफ्तार साथी को जबरन रिहा करवाने और उसके विरुद्ध कायम मामले को वापस लेने के लिए पुलिस को मजबूर कर हमलावर सीना तानकर लौट आये | बाद में अधिकारियों ने सफाई दी कि भीड़ चूंकि गुरु ग्रन्थ साहेब और पालकी साहेब साथ लिए थी इसलिए धार्मिक भावनाओं के सम्मान की खातिर उन्हें संयम रखना पड़ा  | उस घटना की देशव्यापी निंदा हुई और ये कहा  जाने लगा कि पंजाब की भगवंत  सरकार खालिस्तान समर्थकों को बढ़ावा दे रही है | इस बारे में जो रिपोर्ट्स सामने आईं उनसे स्पष्ट हो गया कि अमृतपाल के दुबई से  अपना  परिवहन व्यवसाय छोड़कर पंजाब लौटने के पीछे विदेशी साजिश है | जिस तरह देखते – देखते उसने हथियारबंद युवकों का संगठन वारिस दे पंजाब  नाम से राज्य के अंदरूनी इलाकों में फैलाया और भड़काऊ भाषणों के जरिये सिखों के अलग देश की मांग को खुलकर आवाज दी उससे पंजाब में नब्बे के दशक के आतंकवादी माहौल की   यादें  ताजा होने लगीं | अनेक हिन्दू धार्मिक स्थलों पर हमले भी देखने मिले  | लेकिन आम आदमी पार्टी की  सरकार इस बारे में उदासीन और लापरवाह बनी रही | अजनाला की घटना के बाद जब चौतरफा आलोचना हुई तब थोड़ा बहुत ध्यान दिया गया लेकिन उसके बाद भी अमृतपाल को छूने की हिम्मत नहीं पड़ रही थी | चूंकि कानून व्यवस्था राज्य का मामला है इसलिए केंद्र ने जल्दबाजी नहीं  दिखाई किन्तु जब लगा कि चीजें हाथ से निकल रही हैं तब केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने मुख्यमंत्री  को दिल्ली बुलाकर ख़ुफ़िया  रिपोर्टों की जानकारी देते हुए स्थिति की गंभीरता से अवगत करवाया और उसी के तहत कड़ी कार्रवाई की जरूरत जताते हुए केंद्र सरकार से  पूरी मदद का आश्वासन भी दिया | उनको ये भी समझा दिया गया कि सीमावर्ती राज्य होने से पंजाब बेहद सम्वेदनशील है और कश्मीर में 370 की समाप्ति  से शान्ति कायम होने के बाद  पाकिस्तान ने  रणनीति बदलते हुए एक बार पंजाब में आतंकवाद को बढ़ावा देने के लिये खालिस्तानी आन्दोलन को हवा दी | उल्लेखनीय है कैनेडा और ब्रिटेन में सिखों के अनेक संगठन खालिस्तान की वकालत करते रहे हैं और भारत विरोधी तत्वों को उनकी तरफ से पैसा प्रशिक्षण और हथियार मिलते हैं | केंद्र ने श्री मान को जब हालात की गम्भीरता समझाई तब  उनकी सरकार हरकत में आई और अमृतपाल के साथियों की गिरफ्तारी  शुरू की गयी | पिछले तीन चार दिनों में ही वारिस दे  पंजाब के दर्जनों सदस्य और अमृतपाल के परिवारजन गिरफ्त में आ चुके हैं,  जिनके पास से काफी हथियार और ऐसे दस्तावेज मिले  जो केन्द्रीय रिपोर्टो की पुष्टि करते हैं | लेकिन  अमृतपाल पुलिस के  हाथों  आने से पहले चकमा देकर भाग गया | पंजाब पुलिस के तमाम दावों के बाद उसका सुराग नहीं मिल रहा | इसे लेकर आज पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार की खिंचाई करते हुए पूछा कि 80 हजार पुलिस बल क्या कर रहा है ? लेकिन इससे अलग आम आदमी पार्टी ने दिल्ली में राजनीति शुरू कर दी | गत दिवस सरकार के दो मंत्रियों ने पत्रकार वार्ता में पंजाब सरकार की पीठ ठोकते हुए शेखी  बघारी कि मान सरकार आतंकवाद के विरुद्ध साहसिक कदम उठा रही है | लेकिन उन दोनों ने केंद्र सरकार द्वारा पंजाब के मुख्यमंत्री को दी गई  जानकारी और सहयोग के आश्वासन के बारे में कुछ भी कहने में कंजूसी की | अमृतपाल के समर्थकों और साथियों की गिरफ्तारी निश्चित तौर पर स्वागतयोग्य है | लेकिन उसे पकड़ने में पुलिस को जो असफलता मिल रही है उससे ये साबित होता है कि वारिस दे पंजाब संगठन ने राज्य के भीतर अपनी जड़ें काफी मजबूती से जमा ली हैं और इसीलिये अमृतपाल के छिपे होने के बारे में पुलिस और उसके खुफियातंत्र को भनक तक  नहीं लग रही | ऐसे में बजाय डींगें हांकने के आम आदमी पार्टी के नेताओं को अमृतपाल की गिरफ्तारी होने तक रुकना चाहिए था | सही बात तो ये है कि बीते एक साल में पंजाब में आम आदमी पार्टी की सरकार आने के बाद से क़ानून व्यवस्था की स्थिति बेहद ख़राब हो चली थी | इसी कारण से अमृतपाल को पैर ज़माने में आसानी हो गयी | बेहतर होता पार्टी  के नेता इस बात  को स्वीकार करते कि केंद्र सरकार ने अपने दायित्व का निर्वहन करते हुए श्री मान को बुलाकर सही  कदम उठाने की हिम्मत दी | वरना वे  इस बारे में कितने कमजोर हैं इसका उदाहरण इस बात से मिला जब मुख्यमंत्री बनने के बाद उनके द्वारा रिक्त की गयी संगरूर लोकसभा सीट पर कट्टर खालिस्तान समर्थक पूर्व आईपीएस अधिकारी सिमरनजीत सिंह मान जीतकर सांसद बन गये | उसी के बाद से आम आदमी पार्टी और भगवंत मान पर खालिस्तान आन्दोलन के प्रति नर्म रवैया अपनाने का आरोप लगने लगा था | ऐसे मामलों में राजनीति को परे रखकर देश की सुरक्षा को प्राथमिकता दी जानी चाहिए | ये बात आम आदमी पार्टी जितनी जल्दी समझ जाए उतना अच्छा वर्ना खुद को राष्ट्रीय पार्टी सबित करने के उसके दावे पर कोई भरोसा नहीं करेगा |

रवीन्द्र वाजपेयी



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