Thursday 2 March 2023

म.प्र का बजट : चुनाव पर नजर , नहीं लगा नया कर




बजट चाहे केंद्र का हो या राज्य का उस पर दो प्रतिकियाएँ एक जैसी आती हैं | मसलन सत्ता पक्ष के लिए बजट समाज के सभी वर्गों के लिए हितकारी होता है जबकि विपक्ष की नजर में  जन विरोधी और आश्वासनों का झुनझुना | गत दिवस म.प्र की शिवराज सरकार ने इस कार्यकाल का जो अंतिम बजट विधानसभा में पेश किया उसे लेकर भी ऐसी ही  बातें सुनी जा सकती हैं | प्रदेश भर से जो भी प्रतिक्रियाएं आ रही हैं  वे भी राजनीतिक ध्रुवीकरण से प्रेरित हैं | एक वर्ग को बजट धरती पर स्वर्ग उतार लाने वाला लग रहा है  तो दूसरे  को आसमानी ख्वाब दिखाने वाला खोखला दस्तावेज | पहली बार डिजिटल तरीके से प्रस्तुत बजट में आने वाले विधानसभा चुनाव  की तैयारी साफ़ झलकती है | बजट के पहले ही लाड़ली बहना योजना के अंतर्गत महिलाओं को 1 हजार रु. प्रतिमाह देने के घोषणा करते हुए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने आधी आबादी को भाजपा के पक्ष में मोड़ने का जो ब्रह्मास्त्र चला उससे कांग्रेस किस हद तक चिंतित है इसका अंदाज इसी से लगाया जा सकता है कि उसके प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ ने सत्ता में आने पर इस राशि को 1500 रु. प्रतिमाह करने का वायदा उछाल दिया | लाड़ली लक्ष्मी योजना पहले से ही श्री चौहान की मामा छवि को लोकप्रिय बनाये हुए है | बजट में 12 वीं की परीक्षा में प्रथम श्रेणी  प्राप्त  करने वाली छात्राओं को ई स्कूटी देने का प्रस्ताव भी जबरदस्त चुनावी दांव है क्योंकि इनमें से ज्यादातर छात्राएं चुनाव तक मतदाता बन जायेंगी | ऐसा न होने पर भी कम से कम उनके परिजन तो भाजपा का समर्थन करेंगे ऐसा माना जा सकता है | बजट में किसानों के कर्ज  का ब्याज सरकार द्वारा भरे जाने का प्रावधान भी इस  समुदाय को लुभाने का प्रयास है | प्रदेश में सड़कों , फ्लायओवर , पुल सहित प्रतिभा विकास केंद्र खोलने जैसे निर्णयों के साथ ही 1 लाख नौकरियां देने का वायदा भी है | हालाँकि म.प्र की  वित्तीय  स्थिति अच्छी होने का दावा करने के बावजूद राज्य सरकार पेट्रोल और डीजल पर वैट घटाने का साहस नहीं कर पा रही | इसी तरह  सरकारी कर्मचारियों को भत्ता देने के मामले में उदारता बरतने के बावजूद पुरानी पेंशन योजना के बारे में चूंकि भाजपा की केन्द्रीय नीति अनुमति नहीं देती इसलिए म.प्र में उसका आश्वासन दिए जाने से वह बची | लेकिन कांग्रेस ने हिमाचल में इस हथियार का चूंकि सफल प्रयोग किया और छत्तीसगढ़ तथा राजस्थान में उसे लागू भी कर दिया इसलिए म.प्र के चुनाव में भी वह  इस कार्ड को चलेगी | यही देखते हुए शिवराज सरकार ने बजट में महिलाओं और पहली  बार मतदान करने वाली युवतियों को लुभाने का प्रयास किया है | ये भी  सुनने में आया है कि भाजपा ने अपने संगठन के जरिये महिलाओं को प्रति माह दिए जाने वाले 1 हजार रु. के अनुदान हेतु आवेदन पत्र भरवाना ही शुरू कर दिया है | इसी तरह 12 वीं के परीक्षाफल भी चुनाव के काफी पहले आ जायेंगे जिसमें प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण छात्राओं  को ई स्कूटी देने का कार्यक्रम भी सम्पन्न करवा लिया जावेगा | जहां तक सवाल नई नौकरियों का है तो यदि राज्य सरकार चुनाव आचार संहिता लागू होने के पहले नियुक्ति पत्र जारी कर सकी तब तो यह भाजपा के लिए तुरुप का पत्ता साबित होगा अन्यथा इसका नुकसान भी हो सकता है | इसमें दो राय नहीं कि प्रदेश में सड़कों और बिजली की स्थिति में काफी सुधार हुआ है लेकिन पेय जल का संकट अनेक हिस्सों में समस्या बना हुआ है | केंद्र सरकार की अटल जल योजना पर काम हो तो रहा है लेकिन रफ़्तार बहुत धीमी है | वैसे एक बात की तारीफ़ तो की ही जायेगी कि इस बजट में वित्त मंत्री ने नया कर लगाने से परहेज किया | जिससे ये आशंका बढ़ गयी है कि सरकार को और कर्ज लेना पड़ेगा जो रिजर्व बैंक द्वारा स्वीकृत सीमा से थोड़ा सा ही कम है | राज्य के मेडीकल कालेजों में एमबीबीएस और  एमडी / एमएस की सीटें बढ़ाये जाने का प्रस्ताव अच्छा है | लेकिन नये मेडिकल कालेजों में शिक्षकों की कमी चिंता का विषय बनी रहेगी | वैसे भी शिक्षा और स्वास्थ्य पर बजट में और ध्यान दिए जाने की अपेक्षा है | बावजूद इस सबके चुनावी साल में ऐसे ही बजट की उम्मीद की जा सकती थी | वित्तमंत्री ने दरियादिली दिखाई जरूर लेकिन हाथ भी खींचकर रखा जिससे पता चलता है सरकार उदारता के बावजूद खजाना लुटाने का साहस नहीं दिखा पाई | हालाँकि आजकल बजट अर्थशास्त्र की बजाय राजनीति शास्त्र से प्रेरित और प्रभावित होते हैं | इसलिए सरकार किसी की भी हो वह वित्तीय स्थिति की बजाय सियासी गुणा - भाग  पर ज्यादा ध्यान देती है | ऐसे में  हो सकता है पेट्रोल – डीजल सस्ता करने का फैसला चुनाव के पहले किया जावे | ये भी सुनने में आ रहा है कि केंद्र सरकार तीन पूर्वोत्तर राज्यों के चुनाव परिणाम देखने के बाद कर्नाटक , छत्तीसगढ़ , राजस्थान और म.प्र के मुकाबले की दृष्टि से पेट्रोल और डीजल सस्ता करने का फैसला ले सकती है  जिसके परिप्रेक्ष्य में राज्यों को भी वैट घटाना होगा | ये भी हो सकता है कि पेट्रोल, डीजल  को भी जीएसटी के तहत लाकर उनकी कीमतें घटाकर विपक्ष को पटकनी दे दी जाए | यही सोचकर शायद मुख्यमंत्री श्री चौहान की सरकार  ने बजट में इन चीजों के बारे में किसी भी प्रकार की राहत नहीं दी | बहरहाल ये बजट चूंकि  चुनाव को  देखते हुए बनाया गया है इसलिए अपने मकसद में सफल नजर आता है |

रवीन्द्र वाजपेयी 

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