Wednesday 17 March 2021

गोविन्द सिंह किसी और के पति होते तो .......



 मप्र पुलिस के तमाम अधिकारी हत्या के एक आरोपी की तलाश में जुटे हैं  | उस पर ईनाम भी रखा गया है | जगह - जगह दबिश देने पर भी  उसका पता नहीं चल रहा | वैसे अन्य कोई आरोपी इस तरह पुलिस के साथ  आँख - मिचौली करता होता तो अभी तक उसके पूरे कुनबे को थाने में बिठाकर आवभगत शुरू हो जाती | लेकिन फरार बन्दा कोई मामूली इंसान नहीं मप्र विधानसभा की माननीय सदस्या  का परम सम्मानीय पति है | इसलिए खाकी वर्दी वाले पूरी सौजन्यता बरत  रहे हैं | 2018 के चुनाव में दमोह के पास पथरिया सीट से बसपा की टिकिट पर जीतकर आईं रामबाई के पति गोविन्द सिंह कुछ महीनों बाद ही क़त्ल के एक मामले में फंस गये | चूंकि उस समय बनी कमलनाथ सरकार के पास पूर्ण बहुमत नहीं था इसलिए  रामबाई महत्वपूर्ण बन गईं | बाद में उनके पति का नाम प्राथमिकी से हटा दिया गया |  लेकिन पीड़ित परिवार की याचिका  पर अंततः सर्वोच्च न्यायालय ने हाल ही में गोविन्द सिंह की गिरफ्तारी का फरमान सुना   दिया | जिसके बाद उनकी खोज शुरू हुई जो इन पंक्तियों के लिखे जाने तक पूरी नहीं हो सकी | सुना है राजधानी भोपाल से दिग्गज पुलिस अधिकारी इस काम में लगाये गये हैं | कमलनाथ सरकार गिरने के बाद रामबाई भी  जहां बम वहां हम की नीति पर चलते हुए सत्ता प्रतिष्ठान की  प्रिय बन गईं | हालांकि पति के अपराधिक कृत्य के लिए विधायक महोदया को दोषी ठहराना अनुचित होगा किन्तु लाख टके का सवाल ये है कि गोविन्द सिंह किसी और का पति रहा होता तब भी क्या मप्र की पुलिस इतनी आराम तलबी दिखाती | वैसे भी जो मुस्तैदी दिखाई जा रही है उसका कारण सर्वोच्च न्यायालय का डंडा है , वरना तो न जाने कितने हत्या के आरोपी पुलिस की आँखों के सामने बिना डरे  घूमा करते हैं | आम तौर पर संगीन मामलों में  पुलिस आरोपी के फरार होने पर उसके परिवारजनों को थाने में  बुलाकर बिठा लेती है जिससे उस पर आत्मसमर्पण का दबाव बनाया जा सके | ये फार्मूला अक्सर कारगर होता है | फरार व्यक्ति की संपत्ति जप्त करने जैसे कदम भी उठाए जाते हैं | लेकिन ये तौर - तरीके आम जनता के लिए हैं | देशभक्ति - जनसेवा के ध्येय वाक्य से प्रेरित हमारे देश की पुलिस आम और ख़ास में फर्क करने के लिये मजबूर है जो लोकतंत्र की मूल  भावना के विरुद्ध होने से  कानून के समक्ष समानता के सिद्धांत की धज्जियां उड़ाकर रख देता है | गोविन्द सिंह की गिरफ्तारी इतनी बड़ी  समस्या नहीं थी जिसके लिए पुलिस को यह  सब करना पड़ता किन्तु जनता द्वारा चुने जाने के बाद किसी जनप्रतिनिधि को जो विशिष्ट स्थिति हासिल हो जाती है उसका लाभ विधायक पति को मिलता रहा  है | प्रकरण की सुनवाई जिस स्थानीय अदालत में चल रही है उसके माननीय न्यायाधीश   महोदय को भी सुरक्षा दे दी गई है | कुल मिलाकर मामला इसलिए सुर्ख़ियों में है क्योंकि गिरफ्तारी से बचने वाला व्यक्ति विधायक  का पति है और वह भी उस बसपा से जो दलित वर्ग की पार्टी कहलाती है | पुलिस की हालिया  दबिश पर घर में न रामबाई मिलीं न गोविन्द सिंह | पिछली सरकार द्वारा जांच में गोविन्द सिंह को निर्दोष ठहराए जाने का मसला भी राजनीतिक सौजन्यता का ही परिणाम कहा जाएगा  | मप्र में शिवराज सरकार ने हालांकि स्पष्ट बहुमत हासिल कर लिया है लेकिन वह उतना ज्यादा नहीं कि वह  निश्चिन्त होकर बैठी रहे | इसीलिये निर्दलीय और बसपा - सपा सहित  फुटकर विधायकों की पूछ - परख कुछ ज्यादा ही होती है और उस दृष्टि से रामबाई भी सरकार की जरूरत बनी हुई हैं | कहे कोई कुछ भी लेकिन गोविन्द सिंह की फरारी और उसे पकड़  पाने में पुलिस की लाचारी व्यवस्था की फटेहाली को उजागर करने के लिए पर्याप्त है | यद्यपि ये कोई पहला और  अंतिम मामला नहीं है जिसमें पुलिस की प्रतिष्ठा तार - तार हो रही हो | पहले भी ऐसे मामले उजागर होते रहे  हैं जिनमें राजनीतिक रसूख के चलते कोई आरोपी या अपराधी कानून के शिकंजे से बचा रहा | उसे लेकर होहल्ला भी मचा |  चूँकि सत्ता और विपक्ष ऐसे मामलों में सिकंदर और पोरस के बीच हुए संवाद के अनुसार एक दूसरे का सम्मान करते हैं  इसलिए अंततः निहित स्वार्थों के सामने  समूची  व्यवस्था  बौनी  साबित हो जाती है  | गोविन्द सिंह भी आज - कल में पकड़ा ही जायेगा लेकिन सम्भावना यही है कि गिरफ्तारी उसकी सुविधा के अनुसार ही होगी |   न्यायमूर्ति चंद्रशेखर धर्माधिकारी का ये कथन ऐसे सभी मामलों में बेहद प्रासंगिक है कि हमारे देश में किसी व्यक्ति की सामाजिक प्रतिष्ठा इस बात पर निर्भर है कि कानून तोड़ने और उससे बचने  की उसकी क्षमता कितनी अधिक है |

-रवीन्द्र वाजपेयी



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