Wednesday 24 March 2021

पेट्रोल - डीजल को जीएसटी के दायरे में लाने में ज्यादा देर न की जाए



 केन्द्रीय वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने गत दिवस कहा कि यदि राज्य जीएसटी  काउंसिल की अगली बैठक में पेट्रोल - डीजल को जीएसटी के दायरे में लाने को राजी हो तो केंद्र भी  उस पर विचार को तैयार है | उनका कहना था कि चूंकि इन चीजों पर केंद्र के साथ ही राज्य भी कर लगाते हैं लिहाजा उनको भी रियायत के लिए आगे आना चाहिए | वित्त मंत्री ने लगे हाथ ये भी बता दिया कि केंद्र को मिलने वाले प्रति 100 रु. के कर में राज्यों को 41 रु. मिलते हैं | ऐसा लगता है पांच राज्यों में  होने जा रहे विधानसभा चुनावों में पेट्रोल - डीजल की कीमतों के आसमान छूने पर केंद्र सरकार की  जो आलोचना हो रही है  उसके मद्देनजर श्रीमती सीतारमण ने उक्त  बयान दिया | वरना कुछ दिन पहले ही उन्हें कहते सुना गया था कि इन चीजों को जीएसटी के दायरे में लाने का कोई इरादा केंद्र सरकार का नहीं है | ये बात भी सही है कि केंद्र सरकार जीएसटी काउंसिल  पर दबाव नहीं डाल सकती और उसके सभी फैसले  सर्वसम्मति से होते आये हैं | अब तक किसी भी राज्य ने पेट्रोल - डीजल को जीएसटी के अंतर्गत लाने की पहल नहीं की क्योंकि ये उनके लिए दुधारू गाय जैसे  हैं |  जिस दिन पेट्रोल - डीजल भी जीएसटी के दायरे में आ जायेंगे उस दिन से राज्यों को होने वाली नगद आमदनी में व्यवधान आ जायेगा क्योंकि तब उन्हें अपने हिस्से के कर के लिए केंद्र की मर्जी पर निर्भर रहना होगा | कोरोना काल में अर्थाभाव की वजह से केंद्र सरकार राज्यों को उनके हिस्से के जीएसटी का भुगतान करने में विफल रही जिससे वे इन चीजों से होने वाली नियमित आय केंद्र के  जरिये हासिल करने से कतराने लगे | लेकिन ये बात भी सही है कि बीते कुछ महीनों से जिस तरह से पेट्रोल  - डीजल के दाम बढ़ते गए उससे केंन्द्र  के साथ ही राज्यों की बदनीयती भी उजागर हो गयी | मूल्य वृद्धि होने पर राज्य के टैक्स बजाय  निश्चित करने के  आनुपातिक आधार पर लगाये जाने से  जनता पर दोहरी मार पड़ती है जबकि राज्यों को बैठे बिठाये अतिरिक्त आय प्राप्त हो जाती है | पहले ये होता था कि कीमतें बढ़ने पर राज्य अपने करों में  कमी कर  उपभोक्ताओं को  राहत प्रदान करते थे लेकिन अब वैसा नहीं हो रहा | ये बात भी पुख्ता  तौर पर सामने आ चुकी है कि यदि केंद्र और राज्य पेट्रोल - डीजल पर लगाये  जाने वाले करों का सही तरीके से नियोजन करें तो वे आराम से 50 से 60 रु. प्रति लीटर की दर पर बिक सकते हैं और तब भी सरकारी खजाने में भरपूर  राजस्व जमा हो सकेगा | बीते कुछ महीनों में खुदरा और थोक दोनों स्तर पर मंहगाई बढ़ने के पीछे के कारणों में पेट्रोल -  डीजल के दामों का सर्वोच्च स्तर पर जा पहुंचना है | सरकार का ये तर्क अपनी जगह ठीक है कि इनकी कीमतों  पर उसका नियन्त्रण नहीं है लेकिन करों का आरोपण तो उसके अधिकार की विषय वस्तु है | जब जीएसटी लागू  किया गया तब ये आश्वासन मिला था कि जल्द ही पेट्रोल - डीजल भी उसके दायरे में लाये जायेंगे किन्तु साल दर साल बीतने के बावजूद इस दिशा में  एक कदम भी आगे नहीं बढ़ाया  जा सका | इसकी वजह केंद्र और राज्यों की तरफ से जान बूझकर  दिखाई गई उदासीनता ही है | हो सकता है कीमतों के असीमित ऊंचाई तक जा पहुंचने के कारण केन्द्रीय वित्त मंत्री को अपने हालिया बयान से हटकर राज्यों की मर्जी होने पर इन चीजों को जीएसटी के दायरे में लाने पर सहमति देने की बात कहनी पड़ी हो किन्तु जब तक ऐसा नहीं  होता तब तक केंद्र और राज्य पेट्रोल - डीजल पर आम जनता को कुछ राहत तो दे ही सकते हैं | उनको ये समझना चाहिए कि उपभोक्ता की जेब हल्की होने पर वह बाजार का रुख करेगा जिससे सरकार को घूम फिरकर उतना ही टैक्स मिल जाएगा तथा अर्थव्यवस्था भी चलायमान बनी रहेगी | ये बात सर्वविदित है कि अब पेट्रोल - डीजल विलासिता की वस्तु नहीं रह गए अपितु मोबाईल फोन की तरह आम जनता के दैनिक जीवन से अभिन्न रूप से जुड़ चुके हैं | जिस तरह बिजली के बिना जीवन की कल्पना नहीं की जा सकती ठीक उसी तरह अब पेट्रोल - डीजल भी अनिवार्यता बन चुके हैं | ऐसे में उनके दामों को लेकर केवल आर्थिक  नहीं वरन व्यवहारिक और संवेदनशील रवैया अपनाया जाना चाहिये | श्रीमती सीतारमण का ताजा बयान यदि सही भावना से दिया गया तब केंद्र सरकार को चाहिए वह राज्यों के साथ अलग से बात करते हुए उन्हें इस बात के प्रति आश्वस्त करे कि इन चीजों को जीएसटी के दायरे में लाने के बाद उनका हिस्सा उन्हें समय पर मिलता रहेगा | संघीय ढांचे के अंतर्गत राज्यों को भी करारोपण का अधिकार है किन्तु जब आम जनता का व्यापक हित मुद्दा बन रहा हो तब पूरे देश की राय एक जैसी होनी चाहिए | जीएसटी काउंसिल भले ही स्वायत्त हो लेकिन उसे  जनहित को नजरअंदाज करने की खुली छूट नहीं दी जा सकती | एक तरफ केंद्र  और राज्य सरकारें जनहित के लिए दोनों हाथों से खजाना लुटाती हैं वहीं दूसरी  तरफ पेट्रोल और डीजल की कीमतों पर अनाप - शनाप टैक्स लगाकर जबरिया वसूली कर लेती हैं | केन्द्रीय वित्त मंत्री द्वारा दिए गये बयान के संदर्भ में जन अपेक्षा है कि पेट्रोल - डीजल की कीमतों को भी जल्द से जल्द जीएसटी की दायरे में लाया जाएगा | 

- रवीन्द्र वाजपेयी


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