Monday 1 March 2021

वरना कोरोना का दूसरा हमला अर्थव्यवस्था को चौपट कर देगा




भले ही हमारे देश में कोरोना को लेकर भी खूब राजनीति हुई हो और आगे भी होती रहेगी लेकिन उसका जो टीकाकरण अभियान शुरू हुआ है वह देश के लिए बड़ी उपलब्धि है | भारत सरीखे देश में जहाँ स्वास्थ्य सेवाएँ बेहद सामान्य स्तर की समझी जाती हैं वहां करोड़ों लोगों को कोरोना जैसी बीमारी का टीका रिकॉर्ड समय में बनाकर उपलब्ध करवाना मामूली बात नहीं थी | सबसे बड़ी बात ये हुई कि दुनिया के विकसित देशों के साथ प्रतिस्पर्धा करते हुए भारत ने करोड़ों टीके न सिर्फ घरेलू उपयोग के लिए बना लिए अपितु उनके निर्यात की गुंजाईश भी निकाल ली | पहले चरण में स्वास्थ्य कर्मियों से टीकाकरण शुरू हुआ जो आज से आम जनता के लिए भी उपलब्ध करवाया जा रहा है | शासकीय केन्द्रों  में निःशुल्क और निजी में सशुल्क टीकाकरण की व्यवस्था संतुलित सोच का अच्छा  उदाहरण है | समाज का एक वर्ग ऐसा है जिसके लिये मात्र 250 रु. देकर कोरोना का टीका लगवाना बेहद सहज है लेकिन शासकीय स्तर पर उसका निःशुल्क होना जनकल्याणकारी है | लेकिन जैसा अभी तक का अनुभव आया है उसके अनुसार टीकाकरण को लेकर भी उदासीनता या लापरवाही दिखाई दे रही है | कोरोना का ये टीका दो चरणों में लगता है | पहले टीकाकरण के बाद एक निश्चित अवधि में उसकी दूसरी खुराक लेना अनिवार्य है अन्यथा वह असरहीन होकर रह जाएगा | इस बारे में जो जानकारी मिल रही है वह चौंकाने वाली होने के साथ ही चिंता का कारण भी है | फ्रंट लाइन कोरोना कार्यकर्ताओं की सूची में जिन लोगों को शामिल किया गया था उनमें से बड़ी संख्या में ऐसे निकले जो तय तिथि पर टीका लगवाने आये ही नहीं | इनमें चिकित्सा क्षेत्र के भी काफी लोग थे | इसी तरह के उदाहरण अन्य वर्गों में भी देखने मिले | उसके बाद ये सुनने में आ रहा है कि पहली खुराक लेने के बाद बड़ी संख्या में लोग दूसरी खुराक हेतु  नहीं लौटे जिसकी वजह से उनका टीकाकरण बेकार साबित हुआ | इन लोगों की गैर जिम्मेदारी समाज के लिए कितनी खतरनाक साबित हो सकती है इसका अंदाज लगाना कठिन नहीं है | विशेष रूप से जब कोरोना का संक्रमण तेजी से वापिस लौट रहा है तब टीकाकरण को लेकर बरती जाने वाली लापरवाही न सिर्फ सम्बन्धित व्यक्ति वरन  उसके परिवार और सम्पर्क में आने वाले बाकी लोगों को भी संकट में डालने वाली हो सकती है | इस बारे में रोचक बात ये है कि जब तक टीका नहीं आया था तब तक तो जिसे देखो वह उसके आने का बेसब्री से  इंतजार करता दिखता था | टीके के आम जनता को उपलब्ध होने के बारे में भी खूब विमर्श होता था | जिन्हें इस बारे में लेशमात्र भी ज्ञान नहीं है वे भी बढ़ - चढ़कर जानकारी प्रसारित करते हुए खुद को विशेषज्ञ साबित करने में जुटे रहते थे |  लेकिन  टीका आ जाने के बाद उसके प्रति अपेक्षित उत्साह नहीं  दिखाई देना ये साबित  करता है कि वह सब बुद्धि विलास था | अब जबकि आज से आम जनता के लिए टीकाकरण शासकीय और निजी दोनों केन्द्रों पर उपलब्ध होने लगा है तब हर किसी से ये अपेक्षा है कि इस सुविधा का समय पर प्राथमिकता के साथ उपयोग करे | जिन्हें सरकारी चिकित्सा केंद्र जाने में समय और सुविधा की समस्या हो वे निजी केन्द्रों में जाकर टीका लगवा सकते हैं  जिसका शुल्क बहुत ही कम है | उसी के साथ ये भी जरूरी है कि टीके की अगली खुराक लेने के प्रति पूरी गम्भीरता एवं जिम्मेदारी रखी जाए क्योंकि उसके बिना पहली खुराक तो बेकार जायेगी ही कोई जरूरतमंद  उससे वंचित रह जाएगा | राजनीतिक दलों का भी ये फर्ज है कि वे जिस तरह अपने अभियानों के लिए जनता के बीच  जाते हैं उसी तरह कोरोना टीकाकरण को लेकर जनता को जागरूक करते हुए  टीका लगवाने  प्रेरित करें | कोरोना ने बीते कुछ दिनों में जिस तरह से दोबारा दस्तक दी है उसे देखते हुए  जरूरी है कि ज्यादा से ज्यादा लोग जल्दी से जल्दी टीका लगवाकर खुद भी सुरक्षित हों और दूसरों के लिए भी खतरा पैदा न करें | ये टीका कितने समय तक प्रभावशाली रहेगा इसे लेकर भले ही पक्के तौर पर कुछ नहीं कहा कहा जा रहा लेकिन ये कारगर और नुकसान रहित है ये बात तमाम परीक्षणों में साबित हो चुकी है | देश की अनेक जानी - मानी  हस्तियों के अलावा  चिकित्सकों और अधिकारियों ने टीका लगवाकर उसके प्रति उत्पन्न शंका को भी को दूर किया है | अभी तक जितने लोगों को टीका लगवाया गया उनमें बहुत ही कम ऐसे रहे जिन्हें किसी तरह की समस्या हुई हो ,  जो चिकित्सा विज्ञान  के मानदंडों के लिहाज से बहुत ही मामूली कही  जाएगी | कोरोना की भयावहता को भारत की  जनता ने अपने अनुशासन और धैर्य से जिस तरह सीमित किया उसे पूरे विश्व में सराहा गया | अब टीकाकरण में भी वैसी ही आवश्यकता है | ये अभियान देश के भविष्य के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है | कोरोना के दूसरे हमले को किसी भी हाल में रोकना होगा क्योंकि उसकी पुनरावृत्ति समूची अर्थव्यवस्था को चौपट कर देगी | समाज के सुशिक्षित और   संपन्न वर्ग को भी चाहिये कि वह अपने से जुड़े प्रत्येक व्यक्ति को टीकाकरण के लिए तैयार करते हुए इस कार्य में उसकी हरसंभव सहायता करे क्योंकि ऐसा करना हर किसी का नैतिक और मानवीय दायित्व है | 

-रवीन्द्र वाजपेयी


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