Monday 21 June 2021

लापरवाही अपने और अपनों के लिए जानलेवा हो सकती है



आज अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस है | योग मूलतः एक व्यायाम है जिससे शरीर के साथ ही मन भी स्वस्थ रहता है | बीते एक वर्ष में पूरी दुनिया समझ गई  है कि भारतीय जीवन पद्धति बीमारियों से बचाने में सक्षम हैं | आम भारतीय चूँकि अपने दैनिक जीवन में परम्पराओं का काफी हद तक पालन करता है इसीलिये 135 करोड़ से भी ज्यादा की  जनसंख्या के बावजूद कोरोना की दूसरी लहर के दौरान  भी संक्रमित लोगों की संख्या साढ़े चार लाख से ज्यादा नहीं बढ़ सकी | ये भी अनुमान है करोड़ों लोग  संक्रमित होने के बाद भी बिना इलाज के ही ठीक हो गए | इसी तरह करोड़ों संक्रमित  घर पर ही उपचार लेकर स्वस्थ हुए | यही कारण है कि सरकारी  आंकड़ों में इनकी गिनती नहीं हो सकी | हालाँकि ये बात मौत की संख्या पर भी लागू होती है क्योंकि सरकारी दस्तावेज में जो कोरोना मरीज दर्ज नहीं हुए उनकी मौत को साधारण माना गया | लेकिन एक बात तो स्पष्ट हो ही गई कि भारतीय जनता की रोग प्रतिरोधक क्षमता औसत से बहुत अच्छी है , वरना झुग्गी - झोपड़ियों में रहने वाले लोगों के बीच कोरोना महामारी का रूप ले सकता था | ऐसे में सवाल उठता है कि फिर दूसरी लहर में इतनी मौतें क्यों हुईं ? और इसका उत्तर ये है कि बीमारी चाहे मौसमी हो या संक्रामक वह मनुष्य की रोग प्रतिरोधक क्षमता से टकराती है | इस टक्कर में जो भारी पड़ जाता है उसकी जीत होती है | देखने वाली बात ये है कि बीमारी के विषाणु जहां हर समय आक्रमण के लिए तत्पर रहते हैं वहीं मनुष्य बचाव के प्रति लापरवाह हो जाता है जो उसे महंगा पड़ता है | कोरोना की पहली लहर में आम जनता ने जिस अनुशासन का परिचय दिया उसी के कारण उस दौर में हमें  अमेरिका , ब्रिटेन , इटली और जर्मनी जैसे विकसित देशों की तुलना में  न्यूनतम जनहानि हुई और जल्द ही देश उस संकट से उबर गया |  टीके का उत्पादन भी उम्मीद के मुताबिक ही शुरू हो सका  | सबसे बड़ी उपलब्धि ये रही कि भारत अपना टीका विकसित करने में कामयाब हो सका | लेकिन इसके बाद जो अति आत्मविश्वास उत्पन्न हुआ उसका दुष्परिणाम ग्रामीण क्षेत्रों में कोरोना के फैलाव और बड़ी संख्या में हुई मौतों के तौर पर देखने मिला | जैसे - तैसे उस संकट से देश बाहर आने लगा है लेकिन विश्व स्वास्थ्य संगठन की चेतावनी  के बाद गत दिवस  एम्स दिल्ली के निदेशक डा. रणदीप गुलेरिया ने  भी  आगाह कर दिया कि यदि कोरोना संबंधी अनुशासन का पालन नहीं किया गया तो तीसरी लहर महीने भर में ही आ धमकेगी और पूर्वापेक्षा ज्यादा घातक होगी | इससे बचाव के लिए ज्यादा से जयादा टीकाकरण तो जरूरी है ही किन्तु उनकी सीमित उपलब्धता के अलावा इतनी बड़ी आबादी का टीकाकरण हंसी खेल नहीं है | जैसी कि जानकारी है अब तक कुल 22.57 करोड़ लोगों को एक और 5.10 करोड़ को दोनों टीके लगाये जा सके हैं | इस प्रकार मात्र 2.80 फीसदी जनता को टीका रूपी कवच पूरी तरह से हासिल हो सका है | इसलिए विश्व स्वास्थ्य संगठन और डा. गुलेरिया ने जो चेतावनी दी है उसे गम्भीरता से लेने की सख्त जरूरत है | चिंता का विषय  है कि लॉक डाउन हटते ही मास्क के उपयोग और शारीरिक दूरी जैसी सावधानियों के प्रति घोर उपेक्षाभाव सर्वत्र  देखने मिल रहा है जिससे  तीसरी लहर की आशंका लगातार प्रबल होती जा रही है | ऐसे में  बुद्धिमत्ता इसी में है कि हम पहले से  सतर्क रहें जिससे संक्रमण रूपी शत्रु अचानक हमला नहीं कर सके | कोरोना के दो हमले झेलने के बाद हर किसी में दायित्वबोध  स्वाभाविक रूप से आ जाना चाहिए | इसके बाद भी जो लोग गैर जिम्मेदाराना रवैया रखते हैं तो ये कहना गलत न होगा कि उन्हें न अपनी चिंता है और न अपनों की |  

- रवीन्द्र वाजपेयी

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