Tuesday 8 June 2021

मुफ्त के साथ ही टीकाकरण को अनिवार्य भी किया जावे



अपने देश में किसी  भी काम में राजनीति की घुसपैठ होना अवश्यम्भावी है | गत दिवस प्रधानमन्त्री नरेंद्र मोदी ने आगामी 21 जून से कोरोना टीकाकरण पहले की तरह केंद्र सरकार के नियन्त्रण में लेने की घोषणा के साथ सभी आयु वर्ग के लोगों के मुफ्त टीकाकरण का ऐलान कर दिया | नई व्यवस्था में  75 फीसदी टीके केंद्र सरकार खरीदेगी और बचे हुए 25 फीसदी निजी अस्पताल खरीदकर अधिकतम 150 रु. सेवा शुल्क के साथ लगा सकेंगे | इस प्रकार राज्यों द्वारा अपने स्तर पर टीके खरीदने पर रोक लग गई | प्रधानमन्त्री ने इसका कारण स्पष्ट करते हुए बताया कि पहले केंद्र ही देश भर में  टीकाकरण का संचालन कर  रहा था लेकिन अनेक राज्यों ने स्वास्थ्य को राज्य का विषय बताते हुए अपने अधिकार में अतिक्रमण का मुद्दा उठा दिया | इसी तरह टीकों के आवंटन में पक्षपात का आरोप भी लगाया जाने लगा | उसके बाद केंद्र  ने अपनी भूमिका सीमित करते हुए राज्यों को सीधे टीके खरीदने की छूट दे दी | कुछ राज्यों ने विदेशों से टीके खरीदने का प्रयास भी किया जिसमें वे विफल रहे | इन सब वजहों से टीकाकरण अभियान कुछ अव्यवस्थित होता दिखा | ये मांग भी उठी कि राज्यों पर टीके का भार न डाला जाये | राजनीतिक दलों के साथ ही सर्वोच्च न्यायालय ने भी मुफ्त टीकाकरण के लिए सरकार को निर्देशित किया | बहरहाल प्रधानमन्त्री ने इस बारे में सब कुछ स्पष्ट कर दिया है | वैसे भी जुलाई से देश में टीके की उपलब्धता में अच्छी खासी वृद्धि होने की सम्भावना है | देश में उत्पादन बढ़ने के साथ ही विदेशी टीके का आयात भी बड़ी मात्रा में होने जा रहा है | अभी तक देश में 23 करोड़ से ज्यादा लोगों को टीके लग चुके हैं | प्रतिदिन का औसत 15 लाख से कुछ ज्यादा है | कोरोना की दूसरी लहर भी धीरे - धीरे लौटती लग रहे है | इस महीने पहले अस्पतालों में बिस्तर , ऑक्सीजन , वेंटीलेटर , रेमिडिसिविर की जो मारामारी थी , वह भी नहीं रही | ये कहना भी गलत न होगा कि तीसरी लहर की आशंका के मद्देनजर देश में आपातकालीन चिकित्सा व्यवस्था पहले से काफी बेहतर हो गई है | प्रधानमन्त्री की घोषणा से एक बात और साफ़ हो गयी कि टीकाकरण की व्यवस्था में अब केंद्र और राज्य के बीच खींचातानी नहीं रहेगी जिससे अनिश्चितता भी समाप्त होगी | आयु सीमा की बंदिश खत्म करने के साथ ही सभी को मुफ्त सरकारी टीका लगाए जाने से जनअसंतोष भी कम होगा | टीवी पर श्री  मोदी का  भाषण खत्म होते ही प्रतिक्रियाओं का चिर - परिचित सैलाब आ गया | पक्ष और विपक्ष दोनों मोर्चे पर डट गये | राजनीति तो ऐसे मौकों  की तलाश में रहती ही है | कुछ का कहना है कि प्रधानमन्त्री ने सर्वोच्च न्यायालय की फटकार के कारण ये कदम उठाया | दूसरी बात ये भी कही जा रही है कि कांग्रेस  नेता राहुल गांधी द्वारा  एक माह पहले दिए सुझाव को श्री मोदी ने आखिरकार मान ही लिया |  लेकिन इससे अलग हटकर सबसे चौंकाने वाली बात  ये है कि जिस टीके की कमी को लेकर समाचार माध्यम , राजनेता और अदालतें आसमान सिर पर उठाए हुए थीं उसे लगवाने के प्रति एक बड़े वर्ग में अरुचि है | इसके पीछे शिक्षा के साथ ही जागरूकता का अभाव तो है ही लगे हाथ बाबा रामदेव  और अखिलेश यादव सरीखे लोग भी हैं जिनके बयानों ने टीका लगवाने के प्रति असमंजस पैदा किया | एक तरफ तो ये शिकायत आम थी कि लोग टीके के लिए भटक रहे हैं वहीं  दूसरी तरफ ये देखने में आ रहा है कि टीका केन्द्र सूने हैं जिससे गाँव तो दूर शहरों तक में उसका दैनिक लक्ष्य पूरा नहीं हो पा रहा | ये जानकारी भी है कि युवा वर्ग तक में इस बारे में उदासीनता देखी जा रही है | ऐसे में अब जबकि टीकाकरण को लेकर एकीकृत सरकारी व्यवस्था बनाई जा रही है और आने वाले समय में टीकों की कमी भी नहीं रहने वाली तब अधिकतम लोगों को कोरोना का टीका लगाने का काम पूरा करना राष्ट्रीय आवश्यकता है क्योंकि आने वाली किसी भी लहर का सामना करने में ये सबसे ज्यादा सहायक होगा | अभी तक सरकार ने इसके लिए किसी भी प्रकार का दबाव नहीं बनाया किन्तु अब ऐसा लगता है कि टीकाकरण मुफ्त किये जाने के साथ ही अनिवार्य भी किया जावे | आधार कार्ड की तरह टीकाकरण प्रमाण पत्र को शासकीय योजनाओं का लाभ लेने के अलावा यात्रा सहित प्रत्येक काम के लिए जरूरी बना  दिया जाना चाहिए | ऐसा करने से ही लोग टीका लगवाने के लिए बाध्य होंगे | जो लोग टीका नहीं लगवाते उनसे इस आशय का घोषणा पत्र लिया जाए कि वे शासन द्वारा मिलने वाला कोई लाभ नहीं लेंगे | कुछ लोग इसे तानाशाही बता सकते हैं | बाबा रामदेव भी इसका विरोध करेंगे लेकिन कुछ लोगों को इस बात की छूट नहीं दी जा सकती कि वे अपनी लापरवाही की सजा दूसरों को दें | मास्क और शारीरिक दूरी के लिए दबाव बनाए जाने के साथ ही टीकाकरण के प्रति भी सख्ती दिखानी होगी | लोगों की उदासीनता की वजह से हजारों टीके रोज बर्बाद  होना  राष्ट्रीय क्षति है |

- रवीन्द्र वाजपेयी

No comments:

Post a Comment