Tuesday 29 June 2021

आसमान में मंडराते मशीनी शत्रु नए खतरे का संकेत



पौराणिक प्रसंगों में मायावी युद्ध के अनेक प्रसंग मिलते हैं जिनमें हमलावर नजर आये बिना जोरदार आक्रमण करता था | महाभारत में भी  भीम और हिडिम्बा के पुत्र घटोत्कच द्वारा मायावी युद्ध से कौरव सेना में हाहाकार मचाने का वर्णन है  | बीते तीन दिनों से जम्मू सेक्टर में  स्थित सैन्य ठिकानों पर ड्रोन  से हमले की कोशिशों ने सैन्य बलों की चिंत्ता बढ़ा दी है | पहले ड्रोन ने वायुसेना के एक अड्डे पर विस्फोटक गिराए जिससे एक भवन को क्षति पहुंचने के साथ ही कुछ सैनिक घायल हुए | गत दिवस फिर एक ड्रोन दिखा  और आज भी ऐसी ही खबर है | अभी तक इस यंत्र का उपयोग जासूसी के लिये होता रहा | चूंकि यह  मानव रहित होता है इसलिए पायलट के शत्रुओं के हाथ पड़ने की सम्भावना नहीं होती | इसे दूर से भी नियंत्रित किया जा सकता है | आम तौर पर किसी सार्वजानिक कार्यक्रम में  फोटोग्राफी अथवा शरारती तत्वों की  पतासाजी हेतु ड्रोन का उपयोग देखा गया है | लेकिन सैन्य उद्देश्य से काम लाये जाने वाले ड्रोन 100 किमी तक भेजे जा सकते हैं | इनके जरिये सीमित मात्र में विस्फोटक  गिराने की सुविधा भी  है | बहुत नीचे उड़ने की वजह से ये रडार की निगाह से बच जाता है | हालाँकि इसकी विस्फोटक ढोने की क्षमता लड़ाकू विमान से  बहुत कम होती है लेकिन बेहद  सस्ता होने से शत्रु को छकाने के लिए उपयोगी है | पहले ड्रोन हमले के फौरन बाद सुरक्षा बलों ने जो घेराबंदी की उसकी वजह से कुछ  आतंकवादी पकड में आये हैं जिनके पास बड़ी मात्रा में विस्फोटक बरामद हुआ | एनकाउन्टर की भी खबर है | ये सब तब शुरू हुआ जब प्रधानमंत्री द्वारा जम्मू - कश्मीर में विधानसभा चुनाव करवाने को लेकर बीते सप्ताह राज्य के विभिन्न दलों की बैठक दिल्ली में आयोजित की गयी थी | इसी के साथ ऐसा लगने लगा था कि आतंकवाद ढलान पर है किन्तु ड्रोन हमले  ने नई शैली का  संकट  उत्पन्न कर दिया हैं | माना जा रहा है कि ये  ड्रोन चीन में निर्मित हैं और उनका संचालन सीमा के उस पार से पाकिस्तान द्वारा किया जा रहा है | वैसे एक शंका स्थानीय आतंकवादियों की बारे में भी है | लेकिन सबसे बड़ी चिंता इस बात की है कि शत्रु के युद्धक विमान का पता लगाने वाली रडार प्रणाली तो हमारे पास है लेकिन कम ऊँचाई पर उडकर सीमा पार करने में सक्षम ड्रोन का पता लगाने वाला रडार नहीं होने से चीन और पाकिस्तान दोनों अब इस तकनीकी  छापामार का उपयोग कर सकेंगे | खबर है कि सरकार ने इजरायल से ड्रोन का पता लगाने में सक्षम रडार की आपातकालीन आपूर्ति हेतु संपर्क साधा है | दूसरी तरफ ये भी जानकारी  है कि अमेरिका सहित अन्य विकसित देश युद्ध में उपयोग किये जाने वाले ड्रोन तैयार करने में जुट गये हैं क्योंकि ये सस्ते और  मानवरहित होने के कारण कम नुकसानदेह हैं | भारत के लिए ये वाकई खतरे की घंटी है क्योंकि ड्रोन के जरिये पाकिस्तान युद्धविराम होने के बावजूद सैन्य ठिकानों को निशाना बना रहा  है |  ऐसे में वह चीन की मदद से इस तरह के छद्म युद्ध का सहारा ले सकता है क्योंकि  उसे एक बात समझ आ चुकी है कि सैनिक  ठिकानों पर आतंकवादियों के जरिये हमले करवाने का परिणाम बालाकोट जैसी सर्जिकल स्ट्राइक हो सकती है | इसलिए वह ऐसे हमले  करने की तैयारी में है जिसमें उसका हाथ होने की बात को साबित करना संभव न हो सके | बहरहाल हमारी सुरक्षा एजेंसियां किसी भी स्थिति से निपटने के प्रति सतर्क भी हैं और सक्षम भी किन्तु  हमें अपनी प्रतिरक्षा मजबूत करने के साथ ही  आक्रामकता भी बढ़ानी होगी | कश्मीर में लोकतान्त्रिक प्रक्रिया की बहाली के प्रयासों से पाकिस्तान के साथ ही चीन के पेट में भी मरोड़ होने लगा है |  ये भी सही है कि धारा 370 हटने और केंद्र शासित राज्य बनने के बाद से घाटी में आतंकवाद का जोर कम हुआ है | हाल ही में एक पुलिस कर्मी की आतंकवादियों द्वारा हत्या किये जाने के बाद उसके जनाजे में जिस बड़ी संख्या में लोग शामिल हुए वह घाटी की बदलती फिजा का संकेत है लेकिन इससे निश्चिन्त होकर बैठ जाना आत्मघाती होगा | अब तक तो गोली का जवाब गोले से देने की हुंकार सुनाई देती थी परन्तु अब देखने वाली बात ये होगी कि ड्रोन का जवाब काहे से दिया जाता है ?

-रवीन्द्र वाजपेयी


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