Monday 28 June 2021

दीपिका को भी क्रिकेटरों जैसी प्रशंसा मिलनी चाहिए



भारत में क्रिकेट को जितना महत्व मिलता है उतना ही  दूसरे खेलों को मिले तो ओलम्पिक  में भी हमारा स्थान पहले पांच में न सही किन्तु दस अग्रणी देशों में आना बड़ी बात नहीं होगी | लेकिन दुर्भाग्य इस बात का है कि समाचार माध्यमों के अलावा प्रायोजकों की रूचि भी क्रिकेट में ही ज्यादा रहती है | हालाँकि बीते कुछ सालों में टेनिस , बैडमिन्टन , फ़ुटबाल और कबड्डी जैसे खेलों को भी समर्थन मिलने लगा है लेकिन अब भी क्रिकेट ही सब खेलों का सरताज है | हाल ही में विश्व टेस्ट चैम्पियनशिप में भारत न्यूजीलैंड से हार गया | टीवी चैनलों ने उस हार पर चर्चा में ही लम्बा समय खर्च कर  दिया | लेकिन बीते दिन  तीरंदाजी विश्वकप  में दीपिका कुमारी नामक झारखंड की तीरंदाज द्वारा एक ही दिन में तीन स्वर्णपदक  जीते जाने को वह प्रचार नहीं मिला जो अपेक्षित था | खेल प्रेमियों ने सोशल मीडिया के माध्यम से इस पर अपना गुस्सा व्यक्त भी किया जो जायज है | सवाल ये है कि व्यक्तिगत खेल प्रतिस्पर्धा में देश का नाम रोशन करने वाले खिलाडियों को क्रिकेटरों जैसा मान - सम्मान और प्रशंसा क्यों नहीं मिलती ? भारत का क्रिकेट नियन्त्रण मंडल ( बीसीसीआई ) दुनिया भर के खेल संगठनों में सबसे ज्यादा पैसे वाला है | आईपीएल के कारण बोर्ड की कमाई भी आसमान छूने लगी | इसमें कुछ भी बुरा नहीं है | क्रिकेट में भारतीय खिलाड़ियों ने जो कौशल दिखाया उसकी वजह से ही एक दिवसीय और टी 20 के विश्व कप जीते जा सके | भारत की टेस्ट टीम भी दुनिया की श्रेष्ठतम टीम माने जाने लगी है | कीर्तिमान स्थापित करने में भी हमारे बल्लेबाज और गेंदबाज किसी से पीछे नहीं हैं | लेकिन अन्य खेलों का आकलन करें  तो भले ही  हॉकी पहले जैसी गौरवशाली स्थिति में नहीं रही लेकिन फुटबाल में अनेक विश्वस्तरीय खिलाड़ी हाल के वर्षों  में निकले जिन्हें यूरोप के प्रतिष्ठित क्लबों ने अनुबंधित भी किया | यही स्थिति बैडमिन्टन और टेनिस की है | निशानेबाजी , कुश्ती और मुक्केबाजी में भी भारत का प्रदर्शन निरन्तर सुधार पर है | तीरंदाजी में गत दिवस अर्जित उपलब्धि ताजा प्रमाण है | मुक्केबाजी में मैरीकाम नामक पूर्वोत्तर राज्य की  बेहद साधनहीन महिला द्वारा अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में पांच स्वर्ण पदक जीतने के बाद भी उनको वह सब हासिल नहीं हो सका जो आईपीएल के एक सीजन में चमकने के बाद किसी क्रिकेटर को  हो जाता है | हाल ही में दिवंगत उड़न सिख के नाम से विख्यात धावक मिल्खा सिंह को भारत सरकार द्वारा केवल पद्म श्री से ही अलंकृत किया गया था जबकि क्रिकेट के न जाने कितने खिलाडियों को उनसे ज्यादा सम्मान मिला | दीपिका कुमारी की ताजा उपलब्धि निश्चित तौर पर गौरवान्वित करने वाली है | एक ही दिन में तीन स्वर्ण पदक अपनी झोली में डालकर उसने अपना कौशल तो दिखाया ही किन्तु उनके इस शानदार प्रदर्शन से हर खेल प्रेमी उल्लासित हुआ | अच्छा होता यदि दीपिका और उन जैसा प्रदर्शन करने वाले बाकी खिलाडियों को भी उसी तरह सिर माथे पर बिठाया जावे जिस तरह एक शतक लगाने या चार - पांच विकेट लेने वाले को बिठाया जाता है | सरकार को भी खेलों और खिलाड़ियों के प्रति अपनी नीति में इस तरह का सुधार करना चाहिये  जिससे खेल का अर्थ केवल क्रिकेट न रह जावे | यद्यपि स्थिति में पूर्वापेक्षा काफी सुधार हुआ है जिसकी वजह से झारखंड और पूर्वोत्तर राज्यों से अनेक नवोदित खिलाड़ी  अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं | लेकिन यदि सरकार और औद्योगिक घराने मिलकर नए खिलाड़ियों को और  अधिक प्रोत्साहन  दें तो आने वाले कुछ सालों के भीतर ही अन्य खेलों का आकर्षण भी बढ़ेगा | दीपिका कुमारी के पहले भी अनेक खिलाड़ी इस तरह की स्पर्धाओं में भारत का मान - सम्मान स्थापित कर चुके हैं लेकिन उनको वह सितारानुमा लोकप्रियता नहीं मिल पाई जिसके वे हक़दार थे | वैसे ये अच्छा संकेत है कि समाज ऐसे खिलाड़ियों के प्रति अपना लगाव व्यक्त  करने में कंजूसी नहीं करता | उम्मीद की जा सकती है कि दीपिका की कामयाबी से प्रेरित होकर बाकी खिलाड़ी भी आगामी टोक्यो ओलम्पिक में ज्यादा से ज्यादा पदक जीतकर देशवासियों को आनंदित होने के अनेक अवसर प्रदान  करेंगे |

- रवीन्द्र वाजपेयी

 

 

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