Tuesday 11 January 2022

भ्रम और भय फ़ैलने से रोकने के लिए कोरोना का अधिकृत सूचना तंत्र होना जरूरी



कोरोना , डेल्टा और  ओमिक्रोन से होते हुए अब बात डेल्टाक्रोन तक आ पहुँची है | अख़बारों  और  टीवी पर आने वाले समाचारों के अलावा डिजिटल प्लेटफार्म नामक माध्यम पर भी कोरोना के बाद नए नाम वाले संक्रमणों के बारे में तरह – तरह की जानकारी के अतिरिक्त  सुझाव , संभावनाएं और भविष्यवाणियाँ भरी पड़ी हैं | तीसरी लहर कितने दिन जारी रहेगी , उसका असर क्या होगा , चरमोत्कर्ष कब आयेगा आदि – अदि पर इतनी बातें परोसी जा रही हैं कि आम जनता भ्रमित भी है और भयभीत भी | केंद्र और राज्य सरकारें लोगों से सावधान रहने की अपील तो कर रही हैं लेकिन दफ्तरों , शैक्षणिक संस्थानों , बाजारों और सार्वजनिक समारोहों को लेकर आये दिन विरोधाभासी  घोषणाएं होने से लोग तय  नहीं कर पा रहे हैं कि वे क्या करें और क्या न करें ? शादी आदि में कितने अतिथि बुलाये जा सकते हैं , ये भी अनिश्चित है | केवल एक बात की पूरी छूट है और वह है राजनीति | नेताओं के दौरे बदस्तूर जारी हैं | लोगों से उनके मिलने में मास्क और शारीरिक दूरी जैसी सावधानियां पूरी तरह उपेक्षित की जाती हैं |  तीसरी लहर के आगमन की पुष्टि करने के बाद प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्रियों ने उच्च स्तरीय बैठकें करते हुए कोरोना की दूसरी लहर के दौरान हुई गलतियों से बचते हुए माकूल इंतजाम करने के निर्देश प्रशासन को दे दिए जिसके अंतर्गत सरकारी अमले ने भी मुस्तैदी दिखाना शुरू कर दिया |  लेकिन  शिक्षण संस्थान खुलेंगे या नहीं और कितनी उम्र तक के बच्चे कक्षाओं में पढ़ने आ सकते हैं इस बारे में भी स्थिति अस्पष्ट है | अभिभावक इतने डरे हुए हैं कि वे ऑन लाइन पढाई पर ही जोर दे रहे हैं | शासकीय और अशासकीय कार्यालयों में भी पूरी उपस्थिति से काम हो रहा है | अदालतों में कुछ जगह आभासी तो कुछ जगह सामान्य तरीके से काम चल रहा है | रात्रिकालीन कर्फ्यू लगाते हुए बाजार जल्दी बंद कराने के निर्देश  दे दिए गए हैं | टीकाकरण को लेकर भी सरकारी व्यवस्थाओं की जानकारी रोजाना प्रसारित हो रही है | लेकिन इन सभी में सामंजस्य का अभाव होने से संचार क्रान्ति के इस युग में भी आम जनता को ये समझ में नहीं आ रहा कि उसे आखिर करना क्या है ? पिछले  अनुभवों के आधार पर अर्थव्यवस्था को चलायमान  रखने के लिए लॉक डाउन लगाने से सरकार बच रही है | पहली लहर में इकतरफा घोषणा से हुई आलोचना के कारण दूसरी लहर में केंद्र सरकार ने लॉक डाउन का निर्णय राज्यों पर छोड़ दिया था | इस बार भी  केंद्र की नीति वही है | लेकिन उद्योग – व्यापार को रोकने के दूरगामी दुष्परिणाम बीते दो लॉक डाउन के दौरान सामने आ चुके हैं , इसीलिये कोई भी सरकार इसे लागू करने से कतरा रही है | लेकिन ओमिक्रोन की प्रसार क्षमता का जो पूर्वानुमान लगाया गया था वह जिस तरह से सही साबित हो रहा है उसके बाद लोगों को प्रामाणिक जानकारी देने की पुख्ता व्यवस्था की जानी चाहिए | इस बारे में ये बात ध्यान रखनी होगी कि पिछली दोनों लहरों के दौरान लोगों को जो अनधिकृत जानकारियां मिलती रहीं उसके कारण काफी परेशानियाँ बढ़ीं | पहले - पहले संक्रमण को हलके में लिया गया और उसके बाद जब हालात बिगड़े तब अफरा - तफरी मची | इसलिए बेहतर होगा सरकार तीसरी लहर के बारे में चिकित्सा व्यवस्थाओं संबंधी जानकारी देने के लिए अधिकृत एजेसियाँ तय कर बाकी सभी को इस संदर्भ में ज्ञान बांटने से रोके | बीते कुछ दिनों में विभिन्न माध्यमों के जरिये जिस तरह की सूचनाएँ मिल रही हैं उनकी सत्यता की पुष्टि करने का कोई जरिया आम जनता के पास नहीं होने से जितने मुंह उतने सुझाव सुनने मिल जाते हैं | टीके के तीसरे या बूस्टर डोज को लेकर भी भारी अनिश्चितता है | इसके अलावा देश भर के वैज्ञानिक , चिकित्सक , आईआईटी शोधकर्ता और उनके  अलावा भी अनेक लोग लगभग रोजाना नई – नई बातें बताकर लोगों को भ्रमित और भयभीत करने का कारण बन रहे हैं | ये देखते हुए केंद्र और राज्य स्तर पर अधिकृत एजेंसियों को ही इस बारे में लोगों को सूचनाएँ देने हेतु अधिमान्य किया जाना चाहिए | बीते एक सप्ताह में संक्रमण जिस तेजी से बढ़ा है उसके बारे में भी विभिन्न प्रकार के अनुमान सुनने  मिल रहे हैं | संक्रमण का चरमोत्कर्ष कब आएगा और कब तक रहेगा इसे लेकर विरोधाभासी बातें कही जा रही हैं | ओमिक्रोन नामक वायरस की समुचित जांच हेतु सरकार और निजी पैथालोजी लैब के पास पर्याप्त साधन न होने के बाद भी जाँच किस आधार पर की जा रही है इसे लेकर भी असमंजस  है | कुल मिलाकर ये कहा जा सकता है कि सरकारी स्तर पर चिंता और बेफिक्री दोनों एक साथ चल रही हैं , जिसका लाभ लेकर  अनधिकृत लोग अधकचरी जानकारी प्रसारित कर अपने मियाँ मिट्ठू बने फिर रहे हैं | हालाँकि हमारे देश में झोला छाप डाक्टर भी स्वास्थ्य सेवाओं का अभिन्न हिस्सा हैं | लेकिन कोरोना काल में महामारी के बारे में बताने वाले ऐसे लोग पैदा हो गये हैं जिन्हें चिकित्सा विज्ञानं और आपदा प्रबंधन के बारे में समुचित ज्ञान नहीं है | तीसरी लहर की तीव्रता , इलाज , चिकित्सा प्रबंध और टीकाकरण आदि के बारे में अनधिकृत जानकारी न आये इस बात का केंद्र और राज्य सरकारों को ध्यान रखना चाहिए | जैसी आशंका है आने वाले कुछ दिनों में ही संक्रमण में और तेजी आयेगी और उस दौरान अप्रामाणिक सूचनाएं भीड़ वाली मानसिकता उत्पन्न करने का कारण बन सकती हैं , जो खतरनाक होगा | इस तरह की स्थितियों में लोगों का अनुशासित रहना बहुत जरूरी है परन्तु ये तभी संभव होगा जब उन्हें सही समय पर सही जानकारियाँ मिलें | मास्क और सैनिटाइजर जैसी चीजों की मुनाफाखोरी रोकना भी जरूरी होगा | वैसे समाज का बड़ा वर्ग पिछले दो वर्ष में इस आपदा से निपटने का अभ्यस्त और प्रशिक्षित हो चुका है किन्तु  संक्रमण जिस तरह रूप बदल रहा है उसे देखते हुए हर तरह की सावधानी रखना जरूरी है | उम्मीद है सरकार अपने सूचनातंत्र को अधिक विश्वसनीय और प्रभावशाली बनाने के साथ ही अनधिकृत लोगों को इस बारे में बोलने से रोकेगी ताकि किसी भी प्रकार का भ्रम न फैले |

- रवीन्द्र वाजपेयी 

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