Saturday 8 January 2022

पंजाब में जहर की खेती रोकना जरूरी : राष्ट्रविरोधी ताकतों से बचे कांग्रेस



 पंजाब में प्रधानमन्त्री की सुरक्षा को लेकर हुई  चूक के बाद जिस तरह की बयानबाजी हो रही है वह इस बात का परिचायक है कि राजनेताओं ने अपने विवेक को गहराई तक दफना दिया है | पंजाब प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू को इस घटना में पंजाबियों का अपमान नजर आ रहा है | किसान आन्दोलन के स्वयंभू प्रवक्ता राकेश टिकैत को प्रधानमंत्री के सड़क मार्ग से जाने पर ही आपत्ति है | जिन किसानों के कारण प्रधानमंत्री का काफिला रुका उनके नेता कह रहे हैं कि वे तो जिलाधिकारी के सामने प्रदर्शन करने जा रहे थे किन्तु  पुलिस ने उन्हें उस फ्लायओवर के पास रोक दिया जहाँ से प्रधानमंत्री को जाना था | पंजाब के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी ने पहले  – पहल तो किसी भी जाँच की जरूरत से ही इंकार कर दिया था लेकिन जब सोनिया गांधी ने उन्हें निर्देश दिए तब जाकर जाँच समिति गठित की किन्तु सर्वोच्च न्यायालय ने फ़िलहाल उस पर रोक लगा दी है | इस प्रकरण में कुछ वीडियो भी सामने आये हैं जिनमें कुछ सिख युवक लाठी और तलवारों से लैस भाजपा के बैनर पोस्टर फाड़ते देखे जा रहे हैं | इस तरह की खबरें भी आई हैं कि प्रधानमन्त्री की जिस सभा में कुर्सियां खाली दिखाई गईं उनमें जाने वाले  श्रोताओं को धमकाकर रोका गया | खैर , राजनीति में आ रही गंदगी देखते हुए ये सब अनपेक्षित नहीं है | वैसे इन दिनों  राजनीतिक विश्लेषक सबसे ज्यादा उ.प्र की चर्चा करते हैं क्योंकि  80 लोकसभा सीटें होने से वहां  के परिणामों का असर 2024 के महासंग्राम पर पड़ने की सम्भावना से इंकार नहीं किया जा सकता | जहाँ तक प्रश्न राजनीतिक कटुता का है तो वह उन सभी पांच राज्यों में देखी जा रही है जहां विधानसभा चुनाव होने जा रहे हैं लेकिन पंजाब उन सभी में अलग है | सीटों के लिहाज से राष्ट्रीय राजनीति पर उसका दबाव भले ही उ.प्र या अन्य बड़े राज्यों की तुलना में कम हो लेकिन उसकी भौगोलिक स्थिति देखते हुए वह राजनीतिक से कहीं ज्यादा रणनीतिक महत्व रखता है | जहां तक बात श्री टिकैत के अलावा श्री चन्नी और नवजोत जैसे नेताओं के बयानों की है  तो उनका भाजपा अथवा मोदी विरोध समझ में आता है लेकिन पंजाब के मौजूदा हालात में केवल विधानसभा चुनाव ही मुद्दा नहीं रहा | सोशल मीडिया पर कश्मीर का  एक वीडियो प्रसारित हो रहा है जिसमें सिख युवकों को भारत विरोधी नारेबाजी करते हुए दिखाया गया है | इसकी सच्चाई प्रमाणित नहीं हो सकी लेकिन पंजाब के भीतर किसान आन्दोलन की आड़ लेकर जिस तरह से सिखों को श्री मोदी और भाजपा विरोधी पेश करने का कुचक्र रचा जा रहा है उसके दूरगामी परिणाम बहुत ही खतरनाक होंगे | अलगाववादी ताकतें  कश्मीर , पूर्वोत्तर या पंजाब कहीं कहीं की भी हों किन्तु उन सबका उद्देश्य भारत की एकता और अखंडता को नुकसान पहुँचाना है | पंजाब में भाजपा  का अपना स्वतन्त्र जनाधार न बन पाने की वजह अकाली दल  के साथ चला लम्बा गठबंधन है |  शहरी इलाकों विशेष तौर पर हिन्दू मतदाताओं में उसके प्रति आकर्षण है किन्तु वह चुनावी जीत दिलवाने में कितना मददगार होगा ये चुनाव परिणाम बताएँगे | कैप्टन अमरिंदर सिंह भाजपा के साथ जो गठबंधन बना  रहे हैं उसकी वजह से उनको भाजपा समर्थक हिन्दू और अन्य मतदाताओं का समर्थन तो मिल जाएगा लेकिन वे सिखों को भाजपा के पक्ष में कितना झुका पाएंगे ये बड़ा सवाल है | ये देखते हुए इस बात पर मंथन होना  चाहिए कि यह चुनाव कहीं हिन्दू और सिखों के परंपरागत भाई - चारे को नुकसान न पहुंचा सके |  सबसे ज्यादा चिंताजनक बात ये है कि  जिन गलतियों से पंजाब में खालिस्तानी आतंक अस्सी और नब्बे के दशक में फ़ला - फूला , उनको दोहराने की गलती कांग्रेस की राज्य सरकार दोहरा रही है | मुख्यमंत्री श्री चन्नी और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष श्री  सिद्धू के बीच की रस्साकशी के चलते राज्य में जिस तेजी से खालिस्तानी आतंक का पदार्पण हुआ वह किसी बड़े खतरे का संकेत है | जैसी कि खबरें आ रही हैं उनके अनुसार पंजाब में कांग्रेस का पराभव निश्चित है | आम आदमी  पार्टी के सबसे बड़े दल के तौर पर उभरने के अनुमान विभिन्न सर्वेक्षणों में सामने आने से कांग्रेस में घबराहट होना स्वाभाविक है | लेकिन बजाय उस पार्टी के कांग्रेस के हमले का निशाना भाजपा बन रही है जो चौंकाने वाला है | चंदीगढ़ नगर निगम के हालिया चुनाव में आम आदमी पार्टी सबसे बड़ा दल बन गई जबकि भाजपा दूसरे और कांग्रेस तीसरे पर आई | त्रिशंकु की स्थिति बन जाने के कारण  महापौर का फैसला नहीं हो पा रहा | इस चुनाव के बाद आम आदमी पार्टी का हौसला बुलंद हुआ जबकि कांग्रेस में हताशा है | उसके नेता टूटकर आम आदमी पार्टी के अलावा कैप्टन अमरिंदर सिंह और  भाजपा के साथ  जा रहे हैं | प्रदेश सरकार की फजीहत करने में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष श्री सिद्धू की भूमिका किसी से छिपी नहीं है | सांसद मनीष तिवारी के स्वर भी बगावत के संकेत दे रहे हैं | पार्टी  की अंदरूनी हालत जिस तरह लगातार बिगड़ रही है उसके कारण उसका विक्षिप्त होना स्वाभाविक है लेकिन उसकी वजह से वह राष्ट्र विरोधी ताकतों को प्रोत्साहित करे ये चिंता का विषय है | कांग्रेस ने पंजाब के आतंकवाद की कितनी बड़ी कीमत चुकाई है ये किसी से छिपा नहीं है किन्तु वह उस घाव को क्यों भूल रही है ये बड़ा सवाल है | वहां  भाजपा को कितनी सीटें मिलेंगीं ये उतना महत्वपूर्ण नहीं है जितना ये कि इस राज्य में खालिस्तानी आतंक का पुनरागमन न हो और सिखों के हिन्दुओं के  साथ रोटी - बेटी के जो ऐतिहासिक रिश्ते हैं उनमें दरार न पड़े | किसान आन्दोलन के दौरान देश विरोधी ताकतों ने जिस  तरह का षडयंत्र रचा  पंजाब में उसी का अमल होता दिख रहा है | गौरतलब है कि कृषिप्रधान होने के बाद भी वहां  सभी खेती करते हों ये जरूरी नहीं है | वहां हिन्दू भी बड़ी संख्या में रहते हैं | केंद्र शासित होने से चंडीगढ़ में देश के विभिन्न हिस्सों से आकर लोग बसे हैं | हिन्दू बहुल हरियाणा से भी पंजाब का निकट सम्बन्ध है | ऐसे में इस राज्य की राजनीति में घोला जा रहा जहर देश को बड़ा नुकसान पहुंचा सकता है | कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व को यदि जरा सी भी समझ है तो उसे अपनी राज्य सरकार और पार्टी संगठन को देश विरोधी ताकतों से दूर रहने का निर्देश देना चाहिये | पंजाब की देश की सुरक्षा में  बहुत महत्वपूर्ण भूमिका है | भारतीय सेना में सिखों की मौजूदगी गौरवशाली परंपरा का हिस्सा है | अन्य क्षेत्रों में भी यह  समुदाय काफ़ी आगे है | देश के हर हिस्से में उनकी उपस्थिति का एहसास तो होता ही है किन्तु पूरी दुनिया में सिख कौम भारत के प्रतीक चिन्ह के तौर पर प्रसिद्ध है | ये देखते हुए किसान आन्दोलन के बहाने पंजाब की सरजमीं पर देशविरोधी जहर के जो बीज बोये जा रहे हैं उसे रोकने के लिए  कांग्रेस को पूरी ताकत से जुटना चाहिए | राज्य में सरकार होने से इस बारे में उसकी जिम्मेदारी और बढ़ जाती है | भाजपा और मोदी से लड़ने के मौके तो उसके सामने और भी आयंगे लेकिन उसके लिए पंजाब के साथ -साथ हिन्दू – सिख एकता को दांव पर लगाना  अक्षम्य अपराध होगा | 

- रवीन्द्र वाजपेयी


No comments:

Post a Comment