Wednesday 17 August 2022

भ्रष्टाचार के विरुद्ध जंग की शुरुआत अपने दल से ही करें प्रधानमंत्री



प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जनसंवाद की कला में बेहद पारंगत हैं | किसी भी सार्वजनिक आयोजन में उनका उद्बोधन देश के विकास और भविष्य पर केन्द्रित रहता है | दो दिन पूर्व नौवीं बार लालकिले की प्राचीर से लगभग 86 मिनिट तक उन्होंने देश और दुनिया की बातें कीं | मौका चूंकि स्वाधीनता के अमृत महोत्सव का था लिहाजा भाषण का पहला हिस्सा स्वाधीनता सेनानियों और अन्य महापुरुषों के प्रति सम्मान व्यक्त करने पर केन्द्रित रहा और तदुपरांत वे मौजूदा समस्याओं और  25 वर्ष बाद के भारत के संभावित चित्र में अपनी कल्पनाओं के रंग भरने में जुट गये | इस दौरान प्रधानमंत्री ने पांच प्रण करने का आह्वान किया | ये हैं भारत को विकसित राष्ट्र बनाना , मानसिक गुलामी से मुक्ति , अपनी विरासत पर गर्व , एकता और एकजुटता तथा नागरिक कर्तव्यों का बोध | निश्चित रूप से इन पंचभूत संकल्पों से कोई असहमत नहीं हो सकता क्योंकि इनके जरिये भारत न केवल विकसित अपितु सुसंस्कृत , संगठित  और अनुशासित देश बन सकेगा |  प्रधानमंत्री ने 2047 में आजादी की शताब्दि तक के 25 वर्ष को अमृतकाल बताते हुए युवाओं से कहा कि ये उनके जीवन का सबसे महत्वपूर्ण समय होगा क्योंकि भारत को दुनिया का सिरमौर बनाने में उन्हें अपना महत्वपूर्ण योगदान देने का अवसर मिलेगा | बीते कुछ समय से वे चूंकि रेवड़ी राजनीति के दुष्प्रभावों पर बोलते आ रहे थे इसलिए बीते वर्षों के विपरीत उनकी तरफ से किसी भी प्रकार की नई सौगात अथवा  कार्यक्रम की घोषणा नहीं की गयी | लेकिन कुछ ऐसे मुद्दे जरूर रहे जिन पर उन्होंने सांकेतिक शैली में अपनी बात कही जिनमें सबसे प्रमुख थे भ्रष्टाचार और परिवारवाद | जहाँ तक बात परिवारवाद की है तो वह राजनीतिक दलों द्वारा विकसित संस्कृति के रूप में स्थापित बुराई है | लेकिन भ्रष्टाचार तो  समूची व्यवस्था से लिपटी विषबेल  है जिसे जितना काटो  उतना फैलती जा रही है | इसकी शुरुवात कब , कैसे और किसके द्वारा की गई ये शोध का विषय है किन्तु  ये वास्तविकता है  कि बीते 75 साल में  हम आजादी के समय तय किये गए लक्ष्यों के अनुरूप विकसित देशों की बराबरी नहीं कर सके तो उसकी सबसे बड़ी वजह भ्रष्टाचार ही है | श्री मोदी ने आयकर विभाग और ईडी के छापों में बड़ी मात्रा में बरामद हो रहे काले धन पर कटाक्ष करते हुए कहा कि देश के करोड़ों लोगों के पास रहने की जगह नहीं है वहीं  कुछ लोग ऐसे भी हैं जिनके पास काला धन रखने के लिए  जगह कम पड़ रही है | उनका इशारा संभवतः कोलकाता में ममता सरकार के वरिष्ट मंत्री पार्थ चटर्जी के ठिकानों से बरामद 50 करोड़ की तरफ रहा होगा | दरअसल  देश में आये दिन किसी न किसी के पास छापों में करोड़ों की नगदी और काली कमाई से अर्जित संपत्ति का खुलासा होता है | पार्थ चटर्जी तो  मंत्री रहे लेकिन अदना से सरकारी लिपिकों , पुलिस कर्मियों और ग्राम पंचायत के सचिव जैसों के यहाँ जब बेहिसाब नोटों के  बण्डल जप्त होते हैं तब भ्रष्टाचार को प्रमाणित करने के लिए किसी जांच आयोग की जरूरत महसूस नहीं होती | उस दृष्टि से उसके विरुद्ध निर्णायक लड़ाई का आह्वान उद्बोधन की मुख्य बात मानी जानी चाहिये क्योंकि इस पर काबू किये बिना देश  एक कदम आगे , दो कदम पीछे की स्थिति में बना रहेगा  | लेकिन भ्रष्टाचार से लड़ने में सफलता के लिए प्रधानमंत्री को शुरुआत  अपने घर अर्थात भाजपा से करनी होगी और दूसरी बात अगला चुनाव जीतने के दबाव से मुक्त होकर कदम उठाने होंगे | आज केंद्र के साथ ही देश के बड़े हिस्से में भाजपा का राज है | श्री मोदी तो भ्रष्टाचार के आरोप से मुक्त हैं लेकिन क्या राज्यों में कार्यरत भाजपा सरकारों को ये प्रमाणपत्र दिया जा सकता है ? म.प्र और हाल ही में बनी महाराष्ट्र की सरकार में दूसरी पार्टी से आये विधायकों में से अनेक दागदार होने के बावजूद मंत्री बना दिए गए या फिर  उनकी घेराबंदी में ढील दे दी गई | टीवी पर होने वाली बहसों में भाजपा के प्रवक्ता इस सवाल का जवाब देने से बचते नजर आते हैं कि आयकर और ईडी वालों को भाजपा नेताओं या उसके साथ जुड़े कारोबारियों में कोई भी भ्रष्ट क्यों नहीं लगता ? केंद्र सरकार के प्रयासों से देश भर में वैश्विक स्तर के राजमार्गों का जो निर्माण हो रहा है उसके प्रति हर किसी के मन में प्रशंसा का भाव है लेकिन भाजपा शासित राज्यों की सरकारों द्वारा बनाये जाने वाले प्रादेशिक राजमार्गों के निर्माण में होने वाले भ्रष्टाचार को लेकर आम जन क्या कहते हैं इसका संज्ञान लिया जाना भी जरूरी है | इसी तरह सरकारी नौकरियों में होने वाला लेन देन भाजपा की हुकूमत वाले राज्यों में भी बेरोकटोक जारी है | इस हेतु ली  जाने वाली परीक्षाओं के पर्चे लीक होने से वे आगे बढ़ जाती हैं | परीक्षाओं के बाद साक्षात्कार हो जाने पर भी नियुक्तियां होने में बरसों - बरस बीत जाते हैं | प्रधानमंत्री आवास योजना हेतु मिलने वाली राशि के वितरण में सरकारी अमला और सरपंच  खुलकर घूसखोरी करते हैं | स्थानीय निकायों में मकान का नक्शा बिना चढ़ोत्री के स्वीकृत  नहीं होता | बिना घूस खिलाये व्यावसायिक निर्माण की अनुमति मिलना तो सपने देखने जैसा है | शराब और खनन के ठेकों में जितना भ्रष्टाचार अन्य राज्यों में है उतना ही भाजपाई सरकारों की छत्रछाया में चल रहा है | परिवहन विभाग में केन्द्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने यद्यपि काफी सुधार किये हैं लेकिन आरटीओ का नाम लेते ही भ्रष्टाचार की बू आने लगती है | आशय ये है कि जिस तरह श्री मोदी ने गुजरात में  मुख्यमंत्री रहते हुए विकास का एक मॉडल पेश किया था वैसा ही प्रयास उन्हें भाजपा शासित राज्यों में भ्रष्टाचार  मुक्त शासन व्यवस्था बनाने के लिए करना चाहिए जिससे पार्टी विथ डिफ़रेंस का दावा जमीनी तौर पर सही साबित हो सके | प्रधानमंत्री ने 2047  में आजादी की शताब्दि तक जिस अमृत काल की बात की है यदि उस दौरान केवल भ्रष्टाचार मुक्त शासन व्यवस्था बनाने का लक्ष्य सामने रखकर उस पर काम  किया जावे तभी  भारत को विकसित देश बनाने का सपना साकार हो सकता  है | यद्यपि  भ्रष्टाचार की जड़ें काफी गहरी हैं जिन्हें उखाड़ना आसान नहीं है | लेकिन देश को बर्बादी और विखंडन से बचाना है तो श्री मोदी को बिना लिहाज किये  कदम बढाने होंगे | और ऐसा करने पर उन्हें जनता का साथ भी खुलकर मिलेगा क्योंकि भ्रष्टाचार से सबसे ज्यादा पीड़ित वही है | प्रधानमंत्री से देश को अपेक्षा है कि वे अपनी तरह ही  भाजपा को भी  भ्रष्टाचार से पूरी तरह मुक्त करने का दुस्साहस करेंगे | सही  बात ये है कि आज के  परिदृश्य में वे ही ऐसे व्यक्ति हैं जिनमें कठोर फैसले करने का माद्दा है | ऐसे में उन्हें चाहिए लोकसभा चुनाव के पहले तक भ्रष्टाचार के विरुद्ध अपने आह्वान के अनुरूप कड़े से कड़े कदम उठायें जिससे विकास की गति और गुणवत्ता दोनों में वृद्धि हो | वरना हर साल 15 अगस्त आता रहेगा और हम अच्छे – अच्छे भाषण सुनकर फिर उसी ढर्रे पर लौट आयेंगें जो बीते 75 साल से हमारे जीवन के साथ अभिन्न रूप से जुड़ा हुआ है |

-रवीन्द्र वाजपेयी

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