Wednesday 24 August 2022

जांच रुकवाने का प्रलोभन देने वाले पर आपराधिक प्रकरण दर्ज करें सिसौदिया



दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसौदिया ने ये कहकर सनसनी मचा दी कि भाजपा ने उनको ऑफर दिया है कि आम आदमी पार्टी तोड़कर भाजपा में आने पर सीबीआई और ईडी के मामले खत्म करवा दिए जायेंगे  | लेकिन वे महाराणा प्रताप के वंशज हैं इसलिए सिर कटवा लेंगे लेकिन झुकायेंगे नहीं | भारतीय राजनीति में इस तरह की बातें आये दिन सुनाई देती हैं | जात – पांत मिटाने का उपदेश देने वाले राजनीतिक जब नेता किसी भी मामले में  घिर जाते हैं तब उनको अपनी जाति याद आने लगती है | उस दृष्टि से सिसौदिया जी को अचानक अपने महान पूर्वज की याद आ जाना अस्वाभाविक नहीं कहा जा सकता | उनके यहाँ सीबीआई छापे को राजपूतों की आन  – बान – शान के  साथ गुस्ताखी बताते हुए पार्टी के एक नेता ने गुजरात में 5 हजार राजपूतों के आम आदमी  पार्टी में शामिल होने की घोषणा कर डाली और श्री सिसौदिया भी राजपूत नेता बनकर गुजरात जा पहुंचे  | आने वाले दिनों में वे मेवाड़ के राजवंश से अपनी रिश्तेदारी  भी निकाल लें तो आश्चर्य नहीं होना चाहिए | लेकिन राजनीति में आने से पहले पत्रकारिता करते रहे मनीष ने अब तक इस बात का खुलासा नहीं किया कि वह कौन व्यक्ति  था जिसने सीबीआई और ईडी जांच बंद करवाने की शर्त पर उन्हें भाजपा में शामिल होने का न्यौता दिया था | दिल्ली के उपमुख्यमंत्री जैसे जिम्मेदार पद पर होने के नाते उनका ये दायित्व है कि इस तरह का प्रलोभन देने वाले व्यक्ति का नाम उजागर करने के साथ ही उसके विरुद्ध पुलिस में रिपोर्ट दर्ज करवाएं |  यदि उन्हें कोई पद देने की बात कही जाती तब वह राजनीतिक सौदेबाजी का हिस्सा होता लेकिन सीबीआई और ईडी की जांच बंद करवाने का  आश्वासन आपराधिक कृत्य है और ऐसा दुस्साहस करने वाले को दण्डित किया ही जाना चाहिए | साफ़ – सुथरी राजनीति का नारा लेकर मैदान में उतरी आम आदमी पार्टी अपने आक्रामक तेवरों के लिये जानी जाती है | पंजाब में उसकी  सरकार के एक मंत्री के कारनामे उजागर होते ही उसे जेल भेजने जैसा साहसिक कार्य वहां के मुख्यमंत्री ने खुद होकर किया | लेकिन दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री को जेल जाने के बाद भी  पद से न हटाया जाना पार्टी के दोहरे चरित्र को पेश कर रहा है | श्री सिसौदिया जब आबकारी नीति में घोटाले के आरोप में फंस गये तब उनको राणा प्रताप से अपना खून का रिश्ता याद आया | हो सकता है आम आदमी पार्टी राजस्थान के विधानसभा चुनाव में उनको बतौर राजपूत नेता पेश करे | लेकिन राजनीतिक दांव पेंच अपनी जगह हैं परन्तु पार्टी छोड़कर आने पर अपराधिक प्रकरणों की जांच बंद करवाने का प्रस्ताव पूरी तरह गैर कानूनी है | ऐसे में श्री सिसौदिया को अपनी प्रामाणिकता साबित करने के लिए उस शख्स के विरुद्ध आपराधिक  प्रकरण दर्ज करवाने आगे आना चाहिए जिसने उनको कथित प्रलोभन दिया | हालाँकि ऐसे मामलों में फंसने पर ज्यादातर नेता इसी तरह की  शान हांकते हैं | प. बंगाल के एक वजनदार मंत्री की महिला मित्र के यहाँ  50 करोड़ नगदी मिलने के पहले तक मुख्यमंत्री ममता बैनर्जी और  तृणमूल कांग्रेस के अन्य नेता ईडी और सीबीआई के दुरुपयोग का आरोप लगाते नहीं थकते थे | लेकिन जबसे नोटों का जखीरा जप्त हुआ तबसे सबकी  बोलती बंद है | श्री सिसौदिया के यहाँ पड़े छापे के बाद सीबीआई ने उस बारे में कुछ स्पष्ट नहीं  किया इसलिए कुछ भी कहना जल्दबाजी होगी किन्तु उन्हें भाजपा में आने का जो सशर्त ऑफर मिला उसका खुलासा तो होना ही चाहिए | अन्यथा बतौर शिक्षा मंत्री उनकी  जो छवि बनी है वह तार – तार होते देर नहीं लगेगी | सीबीआई के छापे  के बाद  श्री सिसौदिया की  पहली  प्रतिक्रिया बहुत ही संयत और परिपक्व थी  | ये कहना भी गलत न होगा कि शिक्षा  के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य करने के कारण उन्हें जन सहानुभूति भी मिली | लेकिन दलबदल करने के बदले जाँच खत्म करवाने जैसे ऑफर का जिक्र करने के बाद वे व्यर्थ के विवाद में फंस गये हैं | हालांकि  भाजपा के बारे में ये बात काफी प्रचारित की  रही है कि वह अपने विरोधियों को डराने और   विपक्षी राज्य  सरकारें गिराने के लिए सीबीआई और ईडी का दुरूपयोग कर रही है | लेकिन श्री सिसौदिया ने जिस ऑफर की बात कही है वैसा   आरोप ममता बैनर्जी और संजय राउत जैसे नेताओं द्वारा लगाये जाने पर लोग उतनी गंभीरता से नहीं लेते किन्तु दिल्ली के उपमुख्यमंत्री की छवि एक सौम्य नेता की रही है | इसलिए उनके द्वारा कही गयी बात में तथ्य की अपेक्षा की जाती है | आरोप लगाने के बाद  ये पूछे जाने पर कि किसने उन्हें संदर्भित प्रस्ताव दिया , उनकी तरफ से कोई जवाब न मिलने से विश्वसनीयता  पर सवाल उठ खड़े हुए हैं | आम आदमी पार्टी के सर्वोच्च नेता अरविन्द केजरीवाल भी अपने सबसे विश्वसनीय सहयोगी को भारत रत्न दिलवाने की  मांग करते हुए आबकारी घोटाले के कारण उनके दामन पर पड़े छींटों को धोने का प्रयास तो कर  रहे हैं लेकिन उनका भी ये दायित्व है कि जिस भाजपा नेता ने उनके उपमुख्यमंत्री को पार्टी तोड़कर उनके साथ आने का न्यौता दिया उसके विरुद्ध कानूनी कार्रवाई करें | अन्यथा न सिर्फ श्री सिसौदिया अपितु पूरी पार्टी की प्रामाणिकता पर सवाल उठने लगेंगे | इस बारे में ये उल्लेखनीय है कि दिल्ली में किये गये एक ताजा  सर्वेक्षण में 51 प्रतिशत लोगों ने श्री सिसौदिया को आबकारी घोटाले में दोषी माना है | ये बात भी ध्यान देने योग्य है कि कांग्रेस ने भी खुलकर श्री सिसौदिया पर डाले गये छापे का समर्थन कर  उन्हें तत्काल मंत्रीमंडल से हटाये जाने की  मांग की है  |  

- रवीन्द्र वाजपेयी


 

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