Tuesday 30 August 2022

कहीं सर्वोच्च न्यायालय को भी न रोकने लगें राज्य



भारत संघीय गणराज्य है | संविधान में केंद्र और राज्यों के अधिकारों का स्पष्ट उल्लेख है | कुछ विषय दोनों के क्षेत्राधिकार में आते हैं | कानून - व्यवस्था और अपराधों की जांच वैसे तो राज्यों का मसला है लेकिन जरूरत पड़ने पर वे केन्द्रीय एजेंसियों मसलन सीबीआई को ये जिम्मा सौंपते हैं | आर्थिक अपराधों के लिए ईडी है वहीं आतंकवाद के  मामलों में एनआईए की भूमिका होती है | लेकिन बीते कुछ सालों से  सीबीआई और ईडी को लेकर अनेक राज्यों को  भारी नाराजगी है जिसके चलते उन्होंने सीबीआई पर उनके  यहाँ आने पर  रोक लगाई है | इनमें प. बंगाल सबसे आगे है जहां छापा मारने गयी सीबीआई  टीम को पुलिस द्वारा गिरफ्तार तक किया  जा चुका है | 2014 के बाद से केन्द्रीय जाँच एजेंसियों और गैर भाजपा शासित राज्यों के बीच टकराव बढ़ता गया | पहले तो केवल सीबीआई खटकती थी लेकिन अब ईडी आंख का कंकड़ बन गई है | आरोप है कि केंद्र सरकार इनके जरिये गैर भाजपा राज्य सरकारों को अस्थिर करने में जुटी है | बिहार में नीतीश सरकार के विश्वास मत वाले दिन भी जब सीबीआई ने राज्य में छापेमारी की तो विवाद और गहरा गया | प. बंगाल के एक मंत्री 50 करोड़ की जप्ती के सिलसिले में जेल में हैं | महाराष्ट्र की पिछली सरकार के दो मंत्रियों के बाद शिवसेना प्रवक्ता संजय राउत भी अंदर हैं | रेलवे भर्ती घोटाले में उनके बेटे – बेटियों पर भी तलवार लटक रही है | दिल्ली सरकार के स्वास्थ्य मंत्री जेल में हैं और उपमुख्यमंत्री मनीष सिसौदिया के भीतर जाने की स्थिति बन रही है |  जाँच के घेरे में जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री डा. फारुख अब्दुल्ला भी हैं और कांग्रेस के  शीर्षस्थ नेता सोनिया गांधी और राहुल गांधी भी | आशय ये है कि सीबीआई और ईडी द्वारा  गैर भाजपा राजनीतिक दलों के दिग्गजों के गले में डाले गए फंदों से राजनीतिक सौजन्यता तो पूरी तरह से खत्म हुई  ही , साथ ही केंद्र और राज्यों में  समन्वय  भी कम हुआ   है | गत दिवस खबर आई कि बिहार  सरकार भी  सीबीआई को राज्य में घुसने से रोकने जा रही है  | आरजेडी के उपाध्यक्ष शिवानन्द तिवारी ने इस आशय का बयान देते हुए कहा कि महागठबंधन की सभी पार्टियों ने  उक्त निर्णय लिया है | लेकिन मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी तल्ख़ अंदाज में कह दिया कि कौन क्या  कहता है , मुझे नहीं मालूम लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं है | लेकिन इसी बीच प. बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बैनर्जी का ये बयान आ गया कि राज्य में पदस्थ  सीबीआई और ईडी के अधिकारियों के विरुद्ध उनकी सरकार के पास काफ़ी शिकायतें हैं जिनकी वे जांच करवाएंगी क्योंकि यदि केंद्र सरकार हमारे अधिकारियों  को बुलायेगी तो हम उनके अधिकारियों के साथ वैसा ही करेंगे | उल्लेखनीय है राज्य सरकार के कुछ अधिकारियों की जांच जब कोलकाता में करने में सीबीआई को परेशान किया गया तब उनको दिल्ली आने का सम्मन दिया गया | इससे ममता भड़क उठीं और उक्त बयान दे डाला | रही बात  शिवानन्द तिवारी के बयान की तो ऐसा लगता है लालू परिवार पर सीबीआई का शिकंजा कसे जाने के भय से शायद  आरजेडी , नीतीश पर  दबाव बनाना चाहती है | गौरतलब है प. बंगाल  के अलावा छत्तीसगढ़ , राजस्थान , पंजाब और मेघालय ने भी सीबीआई पर रोक लगा रखी है | उद्धव ठाकरे ने भी  मुख्यमंत्री रहते हुए ऐसा ही कदम उठाया था | हालांकि इसके औचित्य पर सवाल उठते रहे हैं | जब किसी छापे में कुछ नहीं मिलता तब सीबीआई और ईडी पर हमले बढ़ जाते हैं और जब पार्थ चटर्जी जैसे नेताओं का खजाना बेपर्दा होता है और हेमंत सोरेन के नजदीकी की आलमारी से झारखंड पुलिस द्वारा उपयोग की जाने वाली एके 47 रायफल बरामद होती है तब लगता है ये एजेंसियाँ सही काम कर रही हैं | लेकिन जिस तरह से विपक्षी राज्य सरकारें केंद्र के आधिपत्य को चुनौती देने लगी हैं उसे देखते हुए ये आशंका भी  निराधार  नहीं है कि आने वाले समय में सर्वोच्च न्यायालय के फैसलों से असंतुष्ट कोई राज्य उसकी सर्वोच्चता को नकारने का दुस्साहस करने लगे | हाल ही में द्रमुक  नेता पूर्व केन्द्रीय मंत्री डी. राजा ने तमिलनाडु पर हिन्दी लादे जाने का विरोध करते हुए अलग तमिल राष्ट्र बनाने जैसी धमकी  तक दे डाली | आजादी के 75 साल बाद भी जम्मू कश्मीर के अलावा उत्तर पूर्व के अनेक राज्यों में अलगाववाद के बीज गाहे - बगाहे अंकुरित होते रहते हैं | दिल्ली में हुए किसान आन्दोलन के बाद   खालिस्तान के समर्थक पंजाब में फिर सिर उठाने लगे हैं | ऐसे तत्वों को ममता बैनर्जी जैसे नेता अप्रत्यक्ष रूप से प्रोत्साहित करते हैं | सीबीआई और ईडी के गलत उपयोग का बेशक विरोध होना चाहिए | विपक्ष का ये कहना पूरी तरह सही है कि क्या भाजपा के तमाम नेता भ्रष्टाचार और अवैध कारनामों से पूरी तरह दूर हैं जो ये एजेंसियां उनके गिरेबान पर हाथ नहीं डालतीं | लेकिन जब विपक्ष  द्वारा शासित राज्य नागरिकता संशोधन क़ानून और राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर अपने राज्य में लागू करने पर रोक लगाते हैं तब उनकी नीयत पर भी सवाल उठते हैं | यहाँ तक कि बिहार में भाजपा के साथ रहते हुए भी नीतीश ने उक्त दोनों कानूनों को लागू न करने के साथ ही भाजपा की असहमति के बावजूद जाति आधारित जनगणना का फैसला कर डाला | कुल मिलाकर चिंता का विषय ये है कि राष्ट्रगान जन गण मन  में जिस संघीय ढांचे का भावनात्मक और सांकेतिक उल्लेख है , संदर्भित विवाद उसकी अवधारणा के लिए खतरा है | चूंकि इसके पीछे दलगत राजनीति है इसलिए सभी पक्ष एक दूसरे पर दोष मढ़ते रहेंगे | बेहतर हो राजनीति पर प्रभाव डालने वाली ताकतें ऐसे अवसरों पर खुलकर सामने आयें क्योंकि प्रश्न  केंद्र और राज्य सरकार का नहीं वरन देश की एकजुटता का है | संघीय गणराज्य एक आदर्श व्यवस्था है जो  नियन्त्रण और संतुलन के  सिद्धांत से संचालित होती है | इसलिए केंद्र और  राज्य दोनों को अधिकारों के साथ ही मर्यादाओं का भी ध्यान रखना चाहिए | वैसे विपक्ष के भीतर भी इस बारे में कम विरोधाभास नहीं हैं | सोनिया जी और राहुल से ईडी की पूछताछ पर देश भर में आन्दोलन करने वाली कांग्रेस ने मनीष सिसौदिया पर सीबीआई की दबिश पर कहा कि उन पर ऐसे दस छापे पड़ने चाहिए |

- रवीन्द्र वाजपेयी

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