Friday 5 August 2022

जब कुछ गलत नहीं किया तो ईडी की जांच पर हाय तौबा क्यों



आजकल सब जगह ईडी (प्रवर्तन निदेशालय ) चर्चा में है | 1956 में बनी इस एजेंसी का काम पहले केवल विदेशी मुद्रा कानूनों और आर्थिक अपराधों की जांच करना था | लेकिन बाद में वित्तीय धोखाधड़ी और मनी लाऊंड्रिंग के मामले भी इसके क्षेत्राधिकार में आ गये | 2005 में इसे गिरफ्तारी , संपत्ति की जप्ती , नेताओं और अधिकारियों को तलब करने के अलावा बिना सरकार की अनुमति के मुकदमा चलाने का अधिकार भी मिल गया जिसे पीएमएलए कहा जाता है | उस समय पी. चिदम्बरम वित्त मंत्री हुआ करते थे | बीते सप्ताह तमाम विपक्षी दलों ने पीएमएलए को वापिस लिये जाने की मांग भी उठाई |  गैर भाजपा पार्टियाँ इसे लेकर श्री चिदम्बरम को कोसते हुए कह रही हैं कि उन्होंने अपने ही पाँव पर कुल्हाड़ी मारने जैसा कृत्य किया | ये सब इसलिए हो रहा है क्योंकि ईडी ने कोलकाता में ममता सरकार के वरिष्ट मंत्री पार्थ चटर्जी की महिला मित्र अर्पिता मुखर्जी के दो आवास पर छापेमारी के दौरान लगभग 50 करोड़ नगद और कई किलो सोना जप्त किया | उसके बाद शिवसेना के मुंहफट सांसद संजय राउत को हिरासत में ले लिया | इधर दिल्ली में कांग्रेस की कार्यकारी अध्यक्ष सोनिया गांधी और उनके सांसद पुत्र राहुल गांधी से भी ईडी द्वारा लगातार कई दिनों तक घंटों पूछताछ की गई | पार्थ वाले मामले में तो सीधे – सीधे भ्रष्टाचार सामने आ गया , वहीं श्री  राउत की पत्नी के खाते में आया पैसा उनके विरुद्ध बड़ा सबूत है  | रही बात श्रीमती गांधी और राहुल गांधी  की तो नेशनल हेराल्ड का सौदा जिस तरह से कांग्रेस के पैसे से करते हुए उसका 76 फीसदी स्वामित्व इन दोनों के पास आया उसे लेकर डा. सुब्रमण्यम स्वामी ने मामला दर्ज किया था जो बढ़ते – बढ़ते यहाँ तक आ पहुंचा | तीनों प्रकरणों में विपक्ष का आरोप है कि सरकार  बदले की भावना से काम  कर रही है | ईडी के जरिये विपक्ष को भयभीत किये जाने के आरोप भी लग रहे हैं | महाराष्ट्र की पिछली उद्धव सरकार के दो वरिष्ट मंत्री नवाब मलिक और अनिल देशमुख  तो मंत्री रहते हुए ईडी द्वारा गिरफ्तार किए गए थे और अभी तक  जेल में हैं |  हालाँकि सबसे ज्यादा होहल्ला कांग्रेस मचा रही है क्योंकि गांधी परिवार और पार्टी समानार्थी जो हैं | सोनिया जी तो ज्यादा नहीं बोलीं लेकिन राहुल लगातार उसी तरह के बयान दे रहे हैं जैसे गिरफ्तार होने के पूर्व श्री राउत दिया करते थे | मसलन हम डरते नहीं , सरकार चाहे जो कर ले वगैरह – वगैरह | हालाँकि विपक्ष के नेताओं से इसी तरह की प्रतिक्रया अपेक्षित रहती  है किन्तु  उक्त तीनों मामलों में प्रथम दृष्टया अपराध साफ झलकता है | पार्थ के मामले में तो नोटों के बण्डल ही अपने आप में काफी हैं , वहीं श्री राउत के विरुद्ध मिले दस्तावेजी प्रमाण काफी वजनदार हैं | जहां तक बात नेशनल हेराल्ड सौदे की है तो इसमें भी कांग्रेस पार्टी के पैसे से उक्त संस्थान का तीन चौथाई स्वामित्व अपने नाम करने का कारनामा सोनिया जी और राहुल के विरुद्ध पर्याप्त साक्ष्य है | इन मामलों के अलावा भी ईडी द्वारा अनेक अन्य राजनेताओं और सरकारी अधिकारियों के आर्थिक अपराधों की जाँच जारी है | लेकिन सबसे ज्यादा चिल्ल - पुकार गांधी परिवार और कांग्रेस द्वारा  की जा  रही है  | राहुल जिस तरह गुस्से में नजर आ रहे हैं वह उनकी बौखलाहट को दर्शाता है | सवाल ये है कि अगर नेशनल हेराल्ड का सौदा पूरी तरह पाक - साफ है तब गांधी परिवार से की जा रही पूछताछ पर इतनी हाय तौबा  की क्या जरूरत है  ? डा.स्वामी की अर्जी पर यह मामला अदालत में है जहां से श्रीमती गांधी और राहुल  सामान्य प्रक्रिया के तहत जमानत पर हैं  | ऐसे में ईडी की जांच यदि राजनीतिक बदले के लिए की जा रही है और उसे ऐसा कुछ भी हाथ नहीं लगा जिससे अपराध साबित हो सके तो अदालत में उसका आरोप पत्र टिक नहीं पायेगा | लेकिन जांच को लेकर आसमान सिर पर उठा लेना गांधी परिवार के मन में छिपे डर को ही व्यक्त कर रहा है | कांग्रेस पार्टी को भी ये सोचना चाहिए कि वह कब तक एक परिवार की निजी जागीर बनी रहेगी | नेशनल हेराल्ड की अरबों की अचल संपत्ति का तीन चौथाई स्वामित्व पार्टी के पैसे से अपने नाम करवाने के पूर्व उसकी मालिक एजेएल ( एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड ) के  अंशधारकों की स्वीकृति ली जाती तो वह सही कदम होता | लेकिन सर्वोच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश और नेहरु परिवार के बेहद निकट रहे मार्कंडेय काटजू के अलावा देश के पूर्व कानून मंत्री शांति भूषण ने भी  सार्वजनिक तौर पर ये खुलासा किया कि उनके पास भी  उक्त कम्पनी के अंश हैं तो नेशनल हेराल्ड का स्वामित्व किसी और को स्थानांतरित करने के पूर्व कम्पनी नियमों के अनुसार अंशधारकों की स्वीकृति ली जानी चाहिए थी , जो नहीं ली गई | उल्लेखनीय है देश भर में एजेएल के अंशधारकों की बड़ी संख्या है | डा. स्वामी की शिकायत में मूल मुद्दा यही था जिसकी परतें खुलते – खुलते बात हवाला तक आ पहुंची है | ये देखते हुए गांधी परिवार और कांग्रेस दोनों को जांच पूरी होने और अदालती फैसले तक धैर्य रखना चाहिए | यदि वे बेकसूर हैं तो अदालत उन्हें दोषमुक्त होने का प्रमाणपत्र देगी और उस स्थिति में कांग्रेस और गांधी परिवार दोनों को राजनीतिक लाभ मिलना तय है | लेकिन उनकी तरफ से जिस तरह का विरोध सामने आ रहा है उससे दाल में कुछ काला होने का संदेह बढ़  रहा है | वैसे भी  ये पहला मौका नहीं है जब किसी राजनेता के विरुद्ध ऐसे प्रकरणों में जांच हो रही हो | भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष रहते हुए नितिन गडकरी के यहाँ भी आयकर का छापा पड़ा था | तमिलनाडु की पूर्व मुख्यमंत्री स्व. जयललिता को जेल में सजा काटनी पड़ी | लालू प्रसाद यादव अभी भी कैद में हैं | हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला भी जेल की हवा खा रहे हैं | ईडी के गिरफ्तार करने के अधिकार को सर्वोच्च न्यायालय  ने भी हाल ही में पूरी तरह सही मानते हुए कहा कि गिरफ्तारी के समय बताया गया आधार पर्याप्त है | कुल मिलाकर इस विवाद में गांधी परिवार को अहंकारी सोच  से  बाहर निकलना होगा |  सोनिया जी और राहुल बेक़सूर हैं और नेशनल हेराल्ड का मालिकाना बदला जाना पूरी तरह वैधानिक है ,  इसका फैसला तो अदालत ही करेगी क्योंकि ईडी महज एक जांच एजेंसी है |  

- रवीन्द्र वाजपेयी

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