Saturday 10 June 2023

अन्य नेता भी वित्तमंत्री सीतारमण से प्रेरणा लें



केंद्रीय वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण अपनी सादगी के लिए जानी जाती हैं । बतौर वित्तमंत्री उनके कार्यकाल का आकलन सभी अपने - अपने ढंग से करते हैं किंतु उनके बारे में जो ताजा खबर आई वह बाकी राजनेताओं के लिए एक संदेश है। उनकी बेटी का विवाह दो दिन पूर्व  संपन्न हुआ। वित्तमंत्री की बेटी की शादी में  दिग्गज राजनेताओं के साथ ही देश - विदेश के बड़े से बड़े उद्योगपतियों की उपस्थिति से किसी को आश्चर्य नहीं होता । और जब उनका दामाद प्रधानमंत्री कार्यालय में ओएसडी के पद पर पदस्थ हो तब तो जबर्दस्त तामझाम की जा सकती थी। अनेक मंत्री और अन्य बड़े नेता  बेटे - बेटियों के विवाह में अपने वैभव का प्रदर्शन खुलकर कर चुके हैं । जिसमें हजारों की भीड़ एकत्र हुई। प्रधानमंत्री से लगाकर तो निचले स्तर तक के कार्यकर्ता शामिल हुए । राजनीतिक मतभेद त्यागकर अन्य दलों के लोग भी आशीर्वाद देने हाजिरी लगाते हैं । जिनको ऐसी शादियों का निमंत्रण मिलता है वे इसे अपना सौभाग्य मानकर  दौड़े - दौड़े जाते हैं । ये भी  कहा जा सकता  है कि राजनीतिक नेताओं के लिए ऐसे अवसर जनाधार दिखाने के साथ ही धाक जमाने का जरिया होता है। लेकिन श्रीमती सीतारमण ने इस सबसे अलग हटकर  बेटी के विवाह का समूचा आयोजन अपने निवास पर ही किया । इसमें न बड़े नेता बुलाए गए और न ही  अन्य वी.आई .पी । केवल परिवार के सदस्य और कुछ नजदीकी मित्र ही पारंपरिक तरीके से संपन्न उक्त विवाह के साक्षी बने। जैसे ही उसके चित्र सोशल मीडिया पर आए त्योंही वित्तमंत्री के इस कार्य  की प्रशंसा होने लगी। यदि वे इसके बाद कोई स्वागत समारोह आयोजित नहीं करतीं तब उनका ये निर्णय निश्चित रूप से तमाम सत्ताधीश नेताओं और अन्य विशिष्ट जनों के लिए अनुकरणीय है। नेतागण अपने बेटे - बेटियों के विवाह में भीड़ एकत्र कर अपना रुतबा दिखाते हैं । जनता को खुश करने के लिए भी उन्हें ऐसा करना पड़ता है किंतु हंसी तब आती है जब वे सार्वजनिक मंचों पर विवाह जैसे आयोजनों में फिजूलखर्ची से बचने के उपदेश देते हैं । विभिन्न संगठनों द्वारा आयोजित किए जाने वाले सामूहिक विवाह समारोह में भी बतौर अतिथि नेताओं द्वारा शादियों में  दिखावे को रोकने के भाषण झाड़े जाते हैं । लेकिन जब उनका अपना मौका आता है तो वे उन उपदेशों के विपरीत अपनी संपन्नता का वीभत्स प्रदर्शन करने से बाज नहीं आते। उस दृष्टि से श्रीमती सीतारमण ने जो उदाहरण पेश किया वह निश्चित रूप से प्रशंसनीय और अनुकरणीय है । यद्यपि कोई अपने परिवार में होने वाली शादी में सादगी अपनाए या तामझाम दिखाए ये उसका निजी मसला है किंतु राजनेता केवल राजनीति तक ही सीमित नहीं रहते ।  बल्कि उनका आचरण समाज को भी प्रभावित करता है। आजकल शादियों पर किए जाने वाला खर्च  प्रतिष्ठा का मापदंड बन गया है। किसी बड़े व्यक्ति के यहां हुई शादी पर वैभव का कितना प्रदर्शन हुआ उससे उसकी सामाजिक हैसियत तय की जाने लगी है । नेताओं की जमात भी इससे प्रेरित और प्रभावित  है । उस दृष्टि से वित्तमंत्री ने एक आदर्श प्रस्तुत किया है। उनकी आर्थिक नीतियों की आलोचना करने वाले भी उनके द्वारा बेटी के विवाह को पारिवारिक आयोजन तक सीमित रखने के उनके निर्णय की प्रशंसा करेंगे और करना भी चाहिए। लेकिन इसके आगे सवाल ये है कि सत्ता और विपक्ष में बैठे अन्य नेतागण क्या श्रीमती सीतारमण से प्रेरित होकर विवाह जैसे आयोजन में  फिजूलखर्ची से बचेंगे ?  ज्यादा समय नहीं बीता जब कोरोना काल में अतिथियों की संख्या सीमित किए जाने की वजह से कम खर्च में  विवाह समारोह आयोजित किए जाने लगे थे। ज्यादातर लोग इस बात से खुश थे कि कम खर्च में इतना महत्वपूर्ण कार्य संपन्न हो सका। कोरोना के बाद से जीवन के प्रति लोगों के दृष्टिकोण में बदलाव आने की बात आम तौर पर सुनी जाती है । लेकिन ज्योंही महामारी का प्रकोप कम हुआ त्योंही विवाह आयोजनों में  फिजूलखर्ची का दौर लौट आया। इससे साबित होता है कि ऐसे मामलों में  सुधार की प्रक्रिया बहुत धीमी है। पहले दहेज नामक बुराई के विरुद्ध आवाजें उठती थीं। कानून ने तो उस पर रोक लगाई ही , सामाजिक तौर पर भी उसके विरुद्ध काफी जागरूकता आई।  अनेक शिक्षित युवाओं ने अपने माता - पिता को दहेज लेने से रोका। वहीं अनेक युवतियों ने दहेज  मांगने वाले लड़के से विवाह करने से इंकार करने का साहस दिखाया ।  दूसरी तरफ विवाह समारोहों पर होने वाला खर्च बेतहाशा बढ़ जाने से वधू पक्ष पर दहेज से कहीं ज्यादा बोझ आने लगा। ऐसे में  इस बुराई को  तब तक नहीं रोका जा सकता जब तक समाज के प्रमुख लोग फिजूलखर्ची से बचने का उदाहरण पेश नहीं करते। उस दृष्टि से  श्रीमती सीतारमण ने अच्छा प्रयास किया है। सभी ऐसा ही करें इसके लिए जबरदस्ती तो नहीं की जा सकती परंतु राजनीतिक और सामाजिक क्षेत्र में नेतृत्व की भूमिका निभाने वाला वर्ग ही यदि वित्तमंत्री से प्रेरित होकर उनका अनुसरण करने  लगे तो इससे साधारण आर्थिक स्थिति वालों का हौसला बुलंद होगा जो बड़े लोगों की नकल करने के फेर में कर्ज लेकर शादियों में रईसी का प्रदर्शन करते हैं ।

- रवीन्द्र वाजपेयी 


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