Friday 23 June 2023

अमेरिका : स्वागत से ज्यादा सौदे और समझौते महत्वपूर्ण हैं



प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अमेरिका  यात्रा चर्चा में है। उनके भव्य स्वागत का ब्यौरा समाचार माध्यम प्रसारित कर रहे हैं। राष्ट्रपति जो बाइडेन ने उनके लिए निजी रात्रि भोज रखा जिसे अमेरिकी कूटनीति के मुताबिक अति विशिष्ट माना  जाता है। गत रात्रि प्रधानमंत्री ने अमेरिकी  कांग्रेस (संसद)  को भी संबोधित किया । अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस पर संरासंघ मुख्यालय पर उनके द्वारा योग के कार्यक्रम में हिस्सा लेना  भारत की सांस्कृतिक कूटनीति का सफल प्रदर्शन कहा जायेगा। योग को वैश्विक स्वीकृति दिलवाने में 9 वर्ष पूर्व प्रधानमंत्री ने संरासंघ में दिए अपने प्रथम भाषण में ही जो प्रयास किया वह फलीभूत हो गया ।  अमेरिका के राष्ट्रपति से यूं तो श्री मोदी की भेंट अनेक अवसरों पर हो चुकी है किंतु यह यात्रा इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद अमेरिका और उसके  समर्थक देशों ने जहां रूस पर आर्थिक प्रतिबंध लगा दिए वहीं भारत ने संतुलित कूटनीति अपनाते हुए एक तरफ रूस से रिश्ते बनाए रखते हुए अपने व्यापारिक और सामरिक हितों का संरक्षण किया वहीं दूसरी ओर युद्ध रोकने की दिशा में प्रयास जारी रखते हुए यूक्रेन की सद्भावना भी अर्जित की । संरासंघ में रूस विरोधी जितने भी प्रस्ताव अमेरिकी लॉबी द्वारा लाए गए उनमें तटस्थ रहकर भारत ने खुद को पक्ष बनने से रोके रखा और यही कारण है कि इस संकट के दौरान जब समूचा यूरोप तेल और गैस के संकट से हलाकान हो उठा तब भारत तेल का निर्यात करने की स्थिति में आ गया। इसी का परिणाम है कि जब पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था अस्त व्यस्त हो चली है तब भारत में दुनिया को संभावनाएं नजर आ रही हैं । शुरूआत में ये आशंका थी कि यूक्रेन पर रूस के हमले का विरोध नहीं किए जाने के कारण अमेरिका और भारत के रिश्तों पर बुरा असर पड़ेगा । कुछ समय के लिए अमेरिका के साथ पश्चिमी देशों ने दबाव बनाया भी किंतु जल्द ही वे भांप गए कि मौजूदा वक्त में भारत की उपेक्षा करना अब आसान नहीं रहा । एक तरह से वैश्विक अर्थव्यवस्था के साथ ही शक्ति संतुलन के लिए भारत दुनिया की जरूरत बन गया है । अमेरिका के मौजूदा राष्ट्रपति जो बाइडेन के बारे में कहा गया था कि वे पाकिस्तान के पक्षधर हैं किंतु विभिन्न अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलनों में उन्होंने जिस प्रकार प्रधानमंत्री श्री मोदी के साथ भेंट की उससे वह अवधारणा गलत साबित हुई। सबसे बड़ी बात ये है कि जो अमेरिका , भारत से इस बात से नाराज रहता था कि वह रूस के साथ बड़े रक्षा सौदे करता है , वही आज भारत को  न सिर्फ रक्षा उपकरण बेचने अपितु लड़ाकू वायुयान  के एंजिन का उत्पादन यहां करने का समझौता करने तैयार है। इलेक्ट्रिक वाहनों के सबसे बड़े निर्माता टेस्ला के मालिक एलन मस्क ने भी अपनी अकड़ त्यागकर भारत में कारखाना लगाने की इच्छा व्यक्त कर दी। सेना के लिए अत्याधुनिक ड्रोन भी अमेरिका देने राजी हो गया। अनेक अमेरिकी उद्योगपति भारत में अपनी इकाई लगाने आतुर हैं। एलन मस्क का ये   कहना बेहद महत्वपूर्ण है कि भारत व्यवसाय हेतु सर्वथा उपयुक्त देश है। इस सबसे चीन को सबसे ज्यादा परेशानी हो रही है । दक्षिण एशिया में अमेरिका , भारत , जापान और ऑस्ट्रेलिया के संगठन क्वाड से बीजिंग वैसे ही परेशान है। भारत की आर्थिक वजनदारी बढ़ने से चीन को विश्व बाजार में अपनी हिस्सेदारी घटने का डर लग रहा है। उसकी आर्थिक विकास दर भी गिरावट की ओर है। कोरोना संकट ने उसकी विश्वसनीयता में जो कमी की उससे वह उबर नहीं पा रहा। श्री मोदी की अमेरिका यात्रा से पाकिस्तान  भी भन्नाया हुआ है क्योंकि उसके लाख गिड़गिड़ाने के बाद भी अमेरिका उसकी आर्थिक बदहाली दूर करने राजी नहीं हुआ और भारत के साथ रक्षा सौदे करने जा रहा है । वर्तमान वैश्विक हालात में एक साथ रूस और अमेरिका के साथ दोस्ताना बनाए रखने के अलावा भारत ने सउदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात जैसे मुस्लिम देशों के साथ ही इजरायल से प्रगाढ़ रिश्ते बनाए रखकर जिस कूटनीतिक कुशलता का परिचय दिया वह उसके विश्व शक्ति बनने का संकेत है । अन्यथा अमेरिका यूक्रेन संकट पर भारत द्वारा अपनाई गई तटस्थता को अपना विरोध मानकर उसके साथ असहयोग करने से बाज नहीं आता।   जी - 20 देशों की अध्यक्षता कर रहे भारत को ताकतवर देशों के उन समूहों में  भी विशेष तौर पर बुलाया जाने लगा है जिनका वह औपचारिक तौर पर सदस्य नहीं है। श्री मोदी की मौजूदा अमेरिका यात्रा का बखान राष्ट्रपति बाइडेन द्वारा की गई मेजबानी के लिए नहीं अपितु इस दौरान हुए विभिन्न आर्थिक , सैन्य और रणनीतिक समझौतों के लिए किया जाना चाहिए। भारत इस समय रक्षा सामग्री के सबसे बड़े खरीददार के साथ ही लड़ाकू विमान और मिसाइल के निर्यात के क्षेत्र में भी आगे आ रहा है। ऐसे में भारत में जेट एंजिन के निर्माण का समझौता ऐतिहासिक है। टेस्ला इलेक्ट्रिक वाहनों का कारखाना लगाने की एलन मस्क की रजामंदी भी इस बात का प्रमाण है कि हम अपनी शर्तों पर काम करने के लिए दिग्गज बहुराष्ट्रीय कम्पनियों को बाध्य कर सकते हैं। उल्लेखनीय है भारत आगामी दस सालों में इलेक्ट्रिक वाहनों का सबसे बड़ा बाजार होने जा रहा है। अमेरिकी कांग्रेस  को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने  ए. आई ( आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस ) को अमेरिका और इंडिया बताकर जो संदेश दिया वह भविष्य की ओर इशारा है। उन्होंने अमेरिकी सांसदों को भारत के सामने स्पष्ट कर दिया कि जल्द ही हम दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने जा रहे हैं।  पूरी यात्रा में वे जिस तरह से पेश आए और जिस प्रकार अमेरिकी सरकार ने उन्हें महत्व दिया वह भारत के बढ़ते आत्मविश्वास और सम्मान का प्रमाण है।

- रवीन्द्र वाजपेयी 


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