Thursday 1 June 2023

मणिपुर को अफीम के कारोबार से मुक्त करवाना जरूरी


पूर्वोत्तर राज्य मणिपुर लंबे समय से  अशांत है | बहुसंख्यक मैतेई  समुदाय को उच्च न्यायालय द्वारा अनु. जनजाति का दर्जा दिए जाने के विरोध में नगा - कुकी नामक आदिवासी  वर्ग आंदोलित हो उठा | शुरुआत में इसे जातीय हिंसा माना गया किन्तु फिर कहा गया  कि इसके पीछे जमीन के कब्जे का मुद्दा है | दरअसल मणिपुर में घाटी का जो क्षेत्र हैं उसमें मैतेई समुदाय का वर्चस्व है , वहीं पहाड़ी इलाकों में  केवल अनु.जनजाति वर्ग के रहने का नियम चला आ रहा था | ऐसे में  मैतेई को भी जनजाति मान लिए जाने से नगा – कुकी समुदाय को ये लगने लगा कि जिन पहाड़ी क्षेत्रों में वे काबिज थे उसी में मैतेई भी आकर बसेंगे और संख्याबल  ज्यादा होने से कालांतर में  भारी पड़ेंगे  | इसीलिये जब दोनों के बीच संघर्ष ने हिंसात्मक रूप ले लिया तब राज्य सरकार अपेक्षित गंभीरता नहीं   दिखा सकी | लेकिन  विवाद लम्बा खिंचने और हिंसा - आगजनी के साथ ही लोगों के मारे जाने की घटनाएँ हुईं तब लगा कि मामला उतना आसान नहीं जितना समझा गया | सेना को भी मोर्चे पर तैनात कर दिया गया | फिर भी स्थिति जब काबू नहीं की जा सकी तब ये शंका व्यक्त की जाने लगी कि इसके पीछे उग्रवदियों का हाथ है जो कि समूचे पूर्वोत्तर में अलग – अलग नामों से सक्रिय हैं और उन्हें विदेशी सहायता मिलती है | लेकिन हाल ही में राज्य के हालात पर टिप्पणी करते हुए चीफ ऑफ डिफेन्स स्टाफ जनरल अनिल चौहान ने मुख्यमंत्री एन.बीरेन सिंह के बयान के विपरीत साफ़ कर दिया कि मणिपुर में हो रही हिंसा दो जातीय समुदायों के बीच का संघर्ष है जिसका उग्रवाद से लेने देना नहीं है | उनके इस बयान से मुख्यमंत्री की जमकर भद्द पिटी | गृहमंत्री अमित शाह भी मणिपुर की स्थिति का प्रत्यक्ष अवलोकन करने  वहां जा पहुंचे | हालांकि उनके वहां रहते हुए भी हिंसा होती रही | लेकिन इस सबके बीच जो नई जानकारी आई है उससे अब तक की सारी अवधारणाएं बदल सकती हैं | सूत्रों के अनुसार कुकी नामक  जनजाति मणिपुर में अफीम की खेती और व्यापार से जुड़ी है | इसके चलते ये राज्य नशे के कारोबार का बड़ा केंद्र बन गया  | म्यांमार और बांग्ला देश की सीमा पास होने से नशे के कारोबारियों को अपना जाल फ़ैलाने में काफी सहूलियत है | ये बात किसी से छिपी नहीं है कि अफगानिस्तान अफीम का सबसे बड़ा कारोबारी है और उससे होते हुए एशिया के अनेक देशों में नशे का व्यवसाय फल – फूल रहा है | चूंकि आतंकवाद की जड़ें भी इसी के पैसे से सींची जाती हैं इसलिए मुख्यमंत्री द्वारा हिंसा के पीछे उग्रवाद की भूमिका होने का संदेह पूरी तरह गलत नहीं कहा जा सकता | लेकिन एक बात पूरी तरह सही है कि इस स्थिति के लिए मैतेई समुदाय को आरक्षण दिए जाने को ही वजह मान लेना सच्चाई से मुंह चुराने जैसा होगा | बहरहाल मणिपुर के जो हालात हैं उन पर केवल राजनीतिक दृष्टिकोण से विचार करते हुए टिप्पणी कर देना गैर जिम्मेदाराना है | कुकी  समुदाय के लोगों द्वारा इस संघर्ष में ज्यादा उत्पात किये जाने की बात भी सामने आई है | इसके अलावा एनआरसी को भी एक वजह माना जा रहा है | और फिर कुकी समुदाय जिस तरह हाथियारों से लैस होकर सुरक्षा बलों से लड़ने उतारू हुआ उसके बाद से इस संघर्ष के तार म्यांमार से जुड़े होने की आशंका बढ़  गई है | ये बात भी सही है कि अफीम के कारोबार के विरुद्ध चलाये जा रहे अभियान की वजह से भी कुकी समुदाय नाराज चल रहा था | मैतेई का फैलाव पहाड़ी क्षेत्रों में होने की संभावना के चलते अफ़ीम के कारोबार में  दिक्कत आने के भय से भी कुकी समुदाय का हिंसा पर उतारू हो जाना इस विवाद का कारण माना जा रहा है | हालाँकि उच्च न्यायालय के फैसले पर सर्वोच्च न्यायालय के ऐतराज के बाद वह मसला तो झमेले में फंस गया लेकिन उसकी आड़ में जो खूनखराबा और नुक्सान हुआ वहा गंभीर घटना है | निश्चित तौर पर राज्य सरकार शुरुआती तौर पर हालात का सही – सही अनुमान और आकलन करने में विफल रही | ऐसे मामलों में ख़ुफ़िया तंत्र की नाकामी भी जिम्मेदार कही जायेगी | मणिपुर लम्बे समय से शांति के रास्ते  बढ़ रहा था | उग्रवाद को पीछे छोड़ते हुए समूचे पूर्वोत्तर को विकास की  मुख्यधारा में  शामिल किये जाने के  केंद्र सरकार के प्रयासों के परिणामस्वरूप ही मणिपुर भी आन्दोलन , बंद , हिंसा आदि से मुक्त हो चला था | लेकिन उच्च न्यायालय द्वारा  जल्दबाजी में जो फैसला किया  गया उसने आग भड़का दी | आज पत्रकारों के सामने गृह मंत्री अमित शाह ने इस बात को स्वीकार करने का साहस भी दिखाया | उनके वहां डेरा  ज़माने के बाद हालात सुधरने की  उम्मीद जागी है | श्री शाह ने सभी पक्षों से चर्चा करने के बाद पूरी जाँच करवाकर विवाद के कारणों को समाप्त करने की जो पहल की उसके अच्छे परिणाम आने की उम्मीद सभी कर रहे हैं | लेकिन इसके बाद भी अफीम के कारोबार से मणिपुर को मुक्त करवाने का काम सर्वोच्च प्राथमिकता के साथ किया जाना चाहिए क्योंकि इससे  नशाखोरी के साथ ही तस्करी का कारोबार फैलने से विदेशी घुसपैठ की आशंका बढ़ती है |  चूंकि पूरा  उत्तर पूर्व जनजातीय समूहों से भरा है इसलिए आजादी के बाद से ही विदेशी शक्तियों ने उग्रवाद और अलगाववाद का माहौल बनाकर सशस्त्र विद्रोह की स्थितियां बनाए रखीं। लेकिन बीते कुछ सालों में स्थिति में जबर्दस्त सुधार हुआ है।उग्रवादी मुख्यधारा में शामिल होते जा रहे हैं । लेकिन मणिपुर के हालिया घटनाक्रम ने इस बात के प्रति आगाह किया है कि अभी वह समय नहीं आया कि केंद्र सरकार पूरी तरह से राज्य के भरोसे बैठी रहे । श्री शाह द्वारा मौके पर जाकर स्थितियों का जायजा लेने के बाद ऐसा कुछ किया जाना चाहिए जिससे इन हालातों की पुनरावृत्ति न हो सके क्योंकि किसी सीमावर्ती राज्य में अशांति देश की एकता और अखंडता के लिए अच्छा संकेत नहीं होता।

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 रवीन्द्र वाजपेयी 

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