Saturday 3 June 2023

जीवन रेखा में असुरक्षित जीवन !!!



उड़ीसा में  गत दिवस हुई रेल दुर्घटना में अब तक लगभग 300 लोगों के मारे जाने की खबर आ चुकी है | घायलों की संख्या भी 1000 के करीब है | राहत और बचाव का काम जारी है | रेलमंत्री अश्विन वैष्णव घटना स्थल पहुंच चुके  हैं | 

उड़ीसा सरकार ने एक दिन का शोक घोषित कर दिया है | विभिन्न राज्य सरकारें अपने यहाँ  के यात्रियों की खोज खबर लेकर उनके इलाज आदि की व्यवस्था करने में जुटी हैं | नई वन्दे भारत एक्सप्रेस के उद्घाटन सहित अनेक सरकारी कार्यक्रम रद्द कर  दिए गए हैं | मृतकों के परिजनों और घायलों को मुआवजा दिया जावेगा | दुर्घटना की जांच करने के उपरांत ही उसका असली कारण पता चलेगा , रेल मंत्री से जवाब मांगें जाने के साथ ही नैतिकता के नाम पर इस्तीफ़ा देने की मांग भी आज नहीं तो कल उठेगी | संसद के अगले सत्र में भी इस दुर्घटना को लेकर हंगामा होगा और रेलवे के विकास को लेकर किये जाने वाले सरकारी दावों पर सवाल दागे जायेंगे | 

लेकिन कुछ दिन बाद लोग ये सब भूल जायेंगे और दुर्घटना की जाँच रिपोर्ट रेल मंत्रालय की आलमारी में बंद होकर रह जायेगी | भारत के सबसे बड़े सार्वजनिक उपक्रम को देश की जीवनरेखा कहा जाता है | इसका विशाल नेटवर्क प्रतिदिन लाखों यात्रियों को यहाँ से वहां  ले जाता है | इसके साथ माल की ढुलाई के काम में भी रेलवे की महत्वपूर्ण भूमिका है जो उसकी कमाई का मुख्य स्रोत है | बीते कुछ दशकों में रेलवे का काफी विकास हुआ है | कोरोना काल में जब यात्री गाड़ियों का परिचालन पूरी तरह से रोक दिया गया था तब भी माल गाड़ियों के जरिए आपूर्ति निर्बाध जारी रही | इसके अलावा उस अवधि में रेलवे ने पटरियां बिछाने के साथ ही विद्युतीकरण और पुलों आदि की मरम्मत का काम बड़े पैमाने पर पूरा किया | 

हालात सामान्य होते ही उसने आधुनिकीकरण की दिशा में भी तेजी से कदम बढ़ाए जिसके अंतर्गत स्टेशनों को विकसित किया जा रहा है | बीते कुछ समय से वन्दे भारत नामक ट्रेन के चर्चे हैं जिसे विश्वस्तरीय कहा जा रहा  है | निकट भविष्य में  वन्दे भारत ट्रेन का निर्यात भी होगा क्योंकि अनेक देशों ने इसे खरीदने में रूचि प्रदर्शित की है | मुम्बई से अहमदाबाद के बीच चलने वाली बुलेट ट्रेन का प्रकल्प भी तेजी से तैयार हो रहा है | अपनी कार्यप्रणाली को पेशेवर बनाने के लिए रेलवे ने निजी क्षेत्र की सेवाओं को लेना भी शुरू कर दिया है | आने  वाले समय में निजी रेल गाड़ियां भी पटरियों पर भागती नजर आयेंगी | कुल मिलाकर आशय ये है कि अर्थव्यवस्था में आ रहे उछाल का असर रेलवे में भी देखा जा सकता है | 

लेकिन दो क्षेत्र ऐसे हैं जिनमें अभी तक अपेक्षित परिवर्तन नहीं हो सका | उनमें पहला गाड़ियों की लेट लतीफी और दूसरा है सुरक्षा | यद्यपि इसे लेकर ये दावा किया जाता है कि  काफी  सुधार हुआ है | लेकिन जमीनी सच्चाई इससे सर्वथा अलग है | हालाँकि यात्री गाड़ियों के चलने में होने वाले विलम्ब के लिए अनेकानेक कारण होते हैं लेकिन यात्रियों का गुस्सा तब बढ़ता है जब इस बारे में सही जानकारी नहीं दी जाती | रेलवे मंत्री सहित आला अधिकारियों को ट्विटर पर शिकायत भेजने पर कई बार तो त्वरित कार्रवाई होती है लेकिन अधिकांश शिकायतें ढर्रे का शिकार होकर अपनी मौत मर जाती हैं | यदि  रेलवे का सूचना तंत्र सही जानकारी देता रहे तब यात्रियों के मन में होने वाली नाराजगी कुछ हद तक तो दूर की ही जा सकती है | इन्टरनेट के ज़माने में भी किसी यात्री गाड़ी की सही स्थिति न पता चल सके तब आधुनिकीकरण पर सवाल उठना अस्वाभाविक नहीं कहा जा सकता । गाड़ी सही समय पर आने की  जानकारी मिलने के बाद यात्री स्टेशन पर आ जाए और उसके आगमन में विलम्ब मिनिट से घंटा और फिर  घंटों में बदलता जाए तब लोगों में गुस्सा बढ़ना लाजमी है |  इसी तरह से गाड़ी के भीतर चोरियां हो जाने की घटनाओं के बाद रेलवे स्टाफ का रवैया पूरी तरह से गैर जिम्मेदाराना होता है वहीं  रेलवे पुलिस भी अपनी भूमिका के प्रति न्याय नहीं करती तब भी इस विशाल नेटवर्क की गुणवत्ता पर उंगलियाँ उठती हैं | 

हर साल रेलवे द्वारा दुर्घटनाओं को रोकने के  आश्वासन दिए जाते हैं | यात्रियों से इस हेतु अधिभार भी वसूला जाता है | दुर्घटनारोधी अति संवेदनशील उपकरण लगाये जाने की बातें भी सुनाई देती हैं ।वन्दे भारत गाड़ियों में ऐसी व्यवस्था भी की गई है । लेकिन उसके बाद भी दुर्घटनाओं पर रोक नहीं लग पा रही। इसका कारण कर्मचारियों की कमी है या रेलवे के प्रशासनिक ढांचे का कमजोर होना , ये विश्लेषण का विषय है किंतु उड़ीसा में गत दिवस हुईं भीषण दुर्घटना में जिस बड़े पैमाने पर जनहानि हुई उसके बाद देश के सबसे बड़े इस सार्वजनिक उपक्रम की कार्यप्रणाली एक बार फिर निशाने पर है। दुर्घटना के कारण तो तकनीकी जांच के बाद ही ज्ञात हो सकेंगे लेकिन जो हुआ वह बहुत ही दर्दनाक भी है और शर्मनाक भी। दुर्घटनाएं पूरी दुनिया में होती हैं लेकिन ये कहकर हम अपनी कमियों और गलतियों को छिपाने का प्रयास करें तो ये सुधार प्रक्रिया को पीछे लौटाने जैसा होगा। 

मौजूदा रेलमंत्री काफी योग्य और अनुभवी व्यक्ति हैं । तकनीकी और प्रशासनिक अनुभव के साथ ही उन्हें वैश्विक परिदृश्य की खासी जानकारी है।ये भी  उल्लेखनीय है कि भारतीय रेलवे अनेक देशों में रेल नेटवर्क खड़ा करने का काम कर रहा है। तकनीक का निर्यात भी होने लगा है परंतु उड़ीसा जैसी दुर्घटना उसकी शान में बट्टा लगाने का कारण बनती है। आज भी रेलयात्रा को सुविधा और सुरक्षा के मामले में जनता का विश्वास हासिल है किंतु समय - समय पर होने वाले इस तरह के हादसे आम जनता के मन में दहशत फैलाने में सहायक होते हैं।  भारतीय रेल को देश की जीवन रेखा कहना उसके प्रति विश्वास का परिचायक है। ये विश्वास तभी  बना रह सकेगा जब यात्रा करने वालों के जीवन की रक्षा असंदिग्ध रहे।

- रवीन्द्र वाजपेयी 

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