Saturday 10 November 2018

मध्यप्रदेश हिन्दी एक्सप्रेस के 30 वें वर्ष में प्रवेश के अवसर पर विशेष:- -रवीन्द्र वाजपेयी स्वस्थ और निर्भीक पत्रकारिता जारी रहेगी

29 बरस बीत गए। पीछे मुड़कर देखें तो ये कल की ही बात लगती है लेकिन तीन दशक पूरे करने की ओर बढ़ते हुए आज शुरू से अब तक की संघर्ष यात्रा की स्मृतियों को कुरेदने की कोशिश करने पर एक रोमांच महसूस होने लगता है क्योंकि कठिन से कठिन मुश्किलों से साक्षात्कार करते-करते आज मध्यप्रदेश हिन्दी एक्सप्रेस उस मुकाम तक पहुंच सका जो किसी मध्यम श्रेणी समाचार पत्र के लिए बड़ी उपलब्धि होती है। 9 नवम्बर 1989 को प्रकाशित पहले अंक से ही इसका पाठकों से जो आत्मीय सम्बंध कायम हुआ वह आज भी यथावत है। और वही आत्मीयता इस अखबार की ताकत है जिसके बल पर यह अपनी निर्भीकता कायम रख सका जो आज के दौर में व्यावसायिक सफलता की राह में बड़ी बाधा मानी जाती है। लेकिन ये कहते हुए गर्व की अनुभूति होती है कि मध्यप्रदेश हिन्दी एक्सप्रेस ने धनोपार्जन की दौड़ से अलग हटकर विश्वसनीयता नामक संपत्ति अर्जित की वरना पूंजी और तकनीक से उत्पन्न प्रतिस्पर्धा के सामने टिके रहना साधारण बात नहीं थी। पत्रकारिता की गौरवशाली परंपरा के निर्वहन के प्रति हमारी प्रतिबद्धता असंदिग्ध रही है जिसकी वजह से हमें तरह-तरह की परेशानियां झेलनी पड़ीं। आर्थिक संकट तो मानों हमारे स्थायी हमसफर रहे लेकिन उन्हें दूर करने के लिए स्वाभिमान को गिरवी रखने की बजाय मध्यप्रदेश हिन्दी एक्सप्रेस ने ऊंची आवाज में सच बोलना जारी रखा। जिसके अन्तर्निहित नुकसान भी खूब हुए। सत्ता प्रतिष्ठान को ये अखबार सदैव खटकता रहा क्योंकि ब्लैक एंड व्हाइट छपाई के बावजूद इसने कई ओहदेदारों का रंग फीका कर दिया। विज्ञापन के अलावा समाचार माध्यमों द्वारा अन्य स्रोतों से की जाने वाली कथित कमाई चूंकि मध्यप्रदेश हिन्दी एक्सप्रेस का उद्देश्य नहीं रहा इसलिए कोई इसकी आवाज दबाने या बंद करने का दुस्साहस नहीं कर सका और जिसने भी इसका प्रयास किया उसे निराशा ही हाथ लगी। इस लंबी यात्रा में मध्यप्रदेश हिन्दी एक्सप्रेस ने पत्रकारिता की पवित्रता और सम्मान को अक्षुण्ण बनाये रखने का जो प्रयास किया वह इसकी सफलता का सबसे बड़ा प्रमाण है वरना बाजारवाद के जबरदस्त आक्रमण के कारण समाचार माध्यमों की विश्वसनीयता संकट में पड़ गई है। इसी के चलते बिकाऊ मीडिया जैसी गाली प्रचलन में आई। दुर्भाग्य की बात ये है कि पत्रकार बिरादरी के दिग्गज कहे जाने वाले लोगों ने भी इसका प्रतिवाद नहीं किया जो उनके अपराधबोध का प्रतीक बन गया किन्तु मध्यप्रदेश हिन्दी एक्सप्रेस बिकाऊ मीडिया के आरोप को खुलकर नकारने का साहस रखता है और यही उसकी सबसे बड़ी उपलब्धि है। 30 वें वर्ष में प्रविष्ट होते हुए हम ये विश्वास दिलाते हैं कि निर्भीक पत्रकारिता के सशक्त प्रतिनिधि के रूप में मध्यप्रदेश हिन्दी एक्सप्रेस सदैव आपकी अपेक्षाओं पर खरा उतरता रहेगा। एक सांध्य दैनिक होने के बाद भी पाठकों ने उसे जो महत्व दिया वह विपरीत परिस्थितियों में भी जनहित के लिए लडऩे का सम्बल हमें प्रदान करता रहा। आज इस अवसर पर हम अपेक्षा करते हैं कि पाठकों और शुभचिंतकों का स्नेह बीते वर्षों की तरह ही भविष्य में भी हमारा उत्साहवर्धन करता रहेगा। इस माह की 28 तारीख को मध्यप्रदेश विधानसभा के चुनाव हेतु मतदान होने वाला है। लोकतंत्र की इस महत्वपूर्ण प्रक्रिया में पूरे उत्साह से हिस्सा लेकर अच्छे और सच्चे उम्मीदवार को अपना प्रतिनिधि चुनें जो नि:स्वार्थ भाव से अपने कर्तव्यों का निर्वहन कर सके। मध्यप्रदेश हिन्दी एक्सप्रेस ने चुनावों के दौरान सदैव स्वस्थ एवं निष्पक्ष प्रस्तुतीकरण की परंपरा कायम रखी है जिसे इस बार भी दोहराने हेतु हम वचनबद्ध हैं। आगामी कुछ महीने देश के लिए भारी उथलपुथल वाले होंगे। लोकसभा चुनाव के मद्देनजर राजनीति में नई-नई करवटें देखने मिलेंगी। निश्चित रूप से ऐसे समय में  लोकतंत्र के चौथे स्तम्भ की जिसे खबरपालिका भी कहा जाने लगा है, महत्वपूर्ण भूमिका रहेगी। मध्यप्रदेश हिन्दी एक्सप्रेस निर्णय की उस घड़ी में पाठकों को यथार्थपरक खबरें और जानकारियां देने का प्रयास उसी ईमानदारी से करता रहेगा जिसके कारण आप उस पर विश्वास करते आये हैं। 29 वर्ष रूपी मील के पत्थर से आगे बढ़ते हुए हम एक बार फिर आप सभी के स्नेहयुक्त सहयोग और शुभकामनाओं के आकांक्षी हैं।
विनम्र आभार सहित,
रवीन्द्र वाजपेयी
संपादक

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