Wednesday 14 November 2018

संघ : दिग्विजय चुप हुए तो सुंदर बोल पड़े



भले ही अपनी तीखी टिप्पणियों से कांग्रेस को होने वाले नुकसान के मद्देनजर मप्र के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने बयानबाजी से परहेज कर रखा हो किन्तु ऐसा लगता है कांग्रेस के कुछ नेता दिग्विजय सिंह की कमी पूरी करने पर आमादा हैं। मप्र के लिए जारी अपने वचनपत्र में कांग्रेस ने सरकारी परिसर में रास्वसंघ की शाखा लगाने और सरकारी कर्मचारियों के संघ में भाग लेने पर रोक की जो बात कही उस पर मचे राजनीतिक बवाल पर मप्र कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने फौरन रक्षात्मक रवैया दिखाते हुए स्पष्ट कर दिया कि संघ पर प्रतिबंध लगाने का कांग्रेस का कोई इरादा नहीं है। दरअसल श्री नाथ संघ की आड़ में भाजपा द्वारा हिन्दू मतों के धु्रवीकरण को किसी भी कीमत पर रोकने के लिए वैसा कहने मज़बूर हुए थे लेकिन इसी बीच पार्टी के विधायक सुंदरलाल तिवारी ने ठंडी होती आग में पेट्रोल छिड़कने जैसी मूर्खता कर डाली। गत दिवस उन्होंने एक बयान जारी करते हुए संघ को आतंकवाद का प्रतीक बताते हुए उस पर सामाजिक घृणा फैलाने का आरोप लगा दिया। उनके इस अप्रत्यशित बयान ने संघ को और भड़का दिया और प्रदेश के विभिन्न अंचलों से संघ के वरिष्ठ अधिकारियों ने कांग्रेस के विरुद्ध मोर्चा खोल दिया। यद्यपि वचनपत्र से उत्पन्न विवाद पर कांग्रेस के छोटे बड़े सभी नेता पहली मर्तबा इतने दबाव में नजर आए और संघ पर प्रतिबन्ध लगाने की सम्भावना को नकारने में जुट गए। कमलनाथ के तत्सम्बन्धी बयान को कांग्रेस के सुलझे हुए रवैये से जोड़कर देखा जा रहा था लेकिन सुंदरलाल तिवारी ने सब गुड़-गोबर कर दिया। उसके बाद कमलनाथ को और झुकते हुए कहना पड़ा कि उन्हें संघ की किसी बात से उन्हें कोई एतराज नहीं है। उन्होंने श्री तिवारी के बयान से पूरी तरह किनारा करते हुए कह दिया कि वह उनका निजी विचार है जिससे कांग्रेस पार्टी को कुछ लेना देना नहीं है। जहां तक प्रश्न श्री तिवारी का है तो वे कोई दूध पीते बच्चे तो हैं नहीं। पूर्व विधानसभा अध्यक्ष स्व. श्रीनिवास तिवारी के पुत्र होने के नाते सियासत के दांव पेंच अच्छी तरह जानते हैं। लोकसभा सदस्य भी रह चुके हैं। ऐसे में उनको नादान तो नहीं कहा जा सकता। जब प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष संघ को लेकर एक नर्म बयान दे चुके थे तब श्री तिवारी को किस पागल कुत्ते ने काटा था जो पार्टी के हितों को पलीता लगते हुए उन्होंने दिग्विजय सिंह वाली गलती दोहराते हुए संघ को आतंकवाद का प्रतीक बताकर और भी आरोप उस पर मढ़ दिए। यद्यपि कमलनाथ ने फौरन समझदारी दिखाते हुए सुंदरलाल के बयान को उनकी निजी खुराफात बताते हुए उससे कांग्रेस का पिंड छुड़ाने की कोशिश की लेकिन इस वजह से संघ को खुलकर कांग्रेस के विरुद्ध मुखर होने का अवसर मिल गया। वैसे संघ के लिए सबसे अनुकूल और काफी हद तक चौंकाने वाली बात ये रही कि प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष ने दो टूक शब्दों में इस हिन्दू संगठन को क्लीन चिट दे दी। इसके पहले शायद ही किसी कांग्रेस नेता ने संघ को लेकर इतनी सौजन्यता बरती हो। इसे कमलनाथ की सज्जनता कहें या राजनीतिक मजबूरी लेकिन संघ को लेकर बीते दो दिन में उन्होंने जिस तरह की बातें कहीं वे इस बात का सबूत हैं कि संघ की ताकत से वे कितना अवगत और काफी हद तक भयभीत भी हैं। सुंदरलाल का बयान अतीत में दिग्विजय सिंह द्वारा लगाए गए हिन्दू आतंकवाद जैसे ऊलज़लूल आरोपों की नकल जैसा ही कहा जायेगा। भले ही श्री तिवारी की पहिचान विंध्यप्रदेश तक ही सीमित हो लेकिन उनके श्रीमुख से निकले वचन कांग्रेस को पूरे प्रदेश में नुकसान पहुंचा दें तो कोई अचंभा नहीं होगा। जहां तक बात कमलनाथ के स्पष्टीकरण की है तो वह निश्चित रूप से उनकी व्यवहारिकता और बुद्धिमत्ता का परिचायक है किन्तु सुंदरलाल जैसे अपरिपक्व नेताओं की बदजुबानी यदि नहीं रोकी गई तो ये कांग्रेस के लिए तक्षक नाग जैसे साबित होंगे। अभी मतदान में दो सप्ताह शेष है। बेहतर यही होगा कि कांग्रेस के शेष नेता भी कमलनाथ जैसा संयम और सौजन्यता दिखाते हुए केवल भाजपा से भिड़ें। संघ के विरुद्ध मोर्चा खोलना उनके लिए आत्मघाती साबित हो सकता है। कांग्रेस को इस वास्तविकता को भली-भांति समझ लेना चाहिए कि रास्वसंघ का आम कार्यकर्ता आमतौर पर राजनीति में लिप्त नहीं होता लेकिन जब-जब संघ को घेरने की कोशिश की जाती है तब उसके स्वयंसेवक अपने संगठन की सुरक्षा के लिए राजनीतिक दृष्टि से सक्रिय हो जाते हैं। आपात्काल के दौरान और उसके बाद जब-जब भी संघ को घेरने की कोशिश हुई तब-तब उसने पूरी ताकत से उसे विफल कर दिया।

- रवीन्द्र वाजपेयी

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