Friday 23 November 2018

ध्रुवीकरण का मौका दे दिया कमलनाथ ने

मप्र में विधानसभा चुनाव के चंद रोज पहले प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ द्वारा मुस्लिम समुदाय से 90 प्रतिशत मतदान करने की अपील करने वाला वीडियो सार्वजनिक होने पर भाजपा ने चुनाव आयोग में उसकी शिकायत कर दी। इसके पहले एक और वीडियो उजागर हो चुका था जिसमें श्री नाथ ये कहते दिखे कि उन्हें तो जीतने वाला प्रत्याशी चाहिये चाहे उस पर कितने भी अपराधिक प्रकरण हों। इस वीडियो को तो कांग्रेस ने भाजपा की शरारत बताया किन्तु मुसलमानों को 90 प्रतिशत मतदान हेतु उकसाने वाले वीडियो का अब तक न कांग्रेस ने खंडन किया और न ही कमलनाथ ने। भाजपा की शिकायत पर चुनाव आयोग क्या कदम उठाता है ये भी नहीं कहा जा सकता क्योंकि ऐसी शिकायतों पर कार्रवाई होते तक तो चुनाव सम्पन्न हो चुके होंगे। शिकायत और उस पर सम्भावित कार्रवाई से अलग हटकर देखें तो भाजपा को हराने के लिए प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष की मुस्लिमों से 90 प्रतिशत मतदान करने की अपील ये साबित करती है कि वे भाजपा पर हिन्दू सांप्रदायिकता का जो आरोप लगाते हैं वह दरअसल कांग्रेस द्वारा मुस्लिम साम्प्रदायिकता को प्रोत्साहित करने की प्रतिक्रियास्वरूप ही जन्मी। एक तरफ तो कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी 2014 के लोकसभा चुनाव की हार के बाद एके एंटोनी समिति की रिपोर्ट में सुझाये गए उपाय के तौर पर सौम्य हिंदुत्व की राह पर चलने का दिखावा करते हुए मंदिर और मठों में जाकर पूजा-अर्चना कर रहे हैं तथा पार्टी प्रवक्ता उन्हें जनेऊधारी ब्राह्मण साबित करते हुए भाजपा पर ये तंज भी कसते हैं कि हिंदुत्व पर उसका एकाधिकार नहीं है लेकिन कमलनाथ ने जिस तरह मुसलमानों को ये उलाहना दिया कि पिछले चुनाव में जिन मुस्लिम बहुल मतदान  केंद्रों पर कम मतदान हुआ वहाँ कांग्रेस हार गई , इसलिए इस चुनाव में उन्हें भाजपा को हराने के लिए 90 प्रतिशत मतदान करना चाहिये। उससे ये स्पष्ट हो गया कि उसे अब भी बहुसंख्यक हिंदुओं के समर्थन में सन्देह है और इसीलिए वह मुस्लिमों के मन में भाजपा का हौआ खड़ा कर उन्हें अपने खूंटे से बांधे रखना चाह रही है। उसका ये प्रयास कितना सफल होगा ये कोई नहीं बता सकता क्योंकि मुस्लिम समाज में भी शिक्षा की रोशनी जिन तक पहुंच गई है वे साम्प्रदायिक सोच से निकलकर वास्तविक मुद्दों पर सोचने लगे हैं। तीन तलाक और हलाला जैसे विषयों पर मुस्लिम महिलाओं में भी कठमुल्लेपन के विरुद्ध भावना मजबूत हुई है। ऐसे में सारे के सारे मुस्लिम मत कांग्रेस को चले जायेंगे ये सोचना उसी तरह गलत है जिस तरह से पूरे बहुसंख्यक हिन्दू वोट भाजपा के पक्ष में जाने की बात सही नहीं है। बहरहाल कमलनाथ का वीडियो सामने आने के बाद भाजपा को भी अब हिन्दू कार्ड खुलकर खेलने का अवसर मिल गया है। रास्वसंघ की शाखाओं पर रोक की घोषणा के बाद संघ परिवार में कांग्रेस के विरुद्ध जो गुस्सा उत्पन्न हुआ वह श्री नाथ का वीडियो देखकर और बढ़ गया होगा। तमाम कोशिशों के बावजूद मप्र की राजनीति पर धार्मिक मुद्दे पूरी तरह हावी नहीं हो पा रहे थे। लेकिन कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष के मुस्लिम तुष्टीकरण का प्रमाण सामने आने से वे हिन्दू भी चौकन्ने हो गए जिन्हें राहुल का हिन्दू प्रेम आकर्षित करने लगा था। इन सबका चुनाव परिणामों पर क्या असर पड़ेगा ये तो अभी अनुमान लगाना कठिन है लेकिन इससे कांग्रेस को बहुसंख्यक समाज में मिलने वाला संभावित समर्थन जरूर अधर में लटक गया है। कमलनाथ एक अनुभवी और बेहद व्यवहारिक राजनेता हैं जो विकास की राजनीति के लिए जाने जाते हैं लेकिन जिताऊ प्रत्याशी के अपराधों को नजरअंदाज करने के साथ ही मुस्लिमों की चापलूसी करने की कोशिश से ये स्पष्ट हो गया कि कमलनाथ भी उसी ढर्रे पर चल रहे हैं जिसके कारण कांग्रेस मप्र में घुटनों के बल खड़ी होने के लिए मजबूर कर दी गई। उनकी इस गलती का भाजपा ने यदि समुचित लाभ उठा लिया तब आखिरी क्षणों में पलड़ा अपने पक्ष में झुकाने में उसकी महारत एक बार फिर कांग्रेस के लिए निराशा का काऱण बन जायेगी जिसका ठींकरा कमलनाथ के सिर पर फूटेगा। दिग्विजय सिंह इस बात पर खुश होंगे कि जिस बात के लिए उन्हें कठघरे में खड़ा किया जाता था वही इस मर्तबा कमलनाथ की जुबान से निकल पड़ी।

-रवीन्द्र वाजपेयी

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