Friday 14 August 2020

आपदा को अवसर में बदलकर विश्व शक्ति बनने का सुअवसर



इस साल आजादी का पर्व ऐसी परिस्थितियों में आया है जब पूरी दुनिया के साथ हमारा देश भी कोरोना नामक महामारी से जूझ रहा है। इसके कारण समूचा देश हलाकान है। प्रारंभ में इसे शहरी, ख़ास तौर पर बड़े लोगों तक सीमित माना गया था परन्तु अब इसका संक्रमण शहरी बस्तियों से लेकर ग्रामीण क्षेत्रों तक फैल गया है। आर्थिक हैसियत की सीमा रेखा भी नहीं रही। हजारों लोग मारे जा चुके हैं। दो महीने से ज्यादा की देशबंदी ने राष्ट्रीय जीवन की समूची संरचना को ही उलट पुलट दिया। जिस तरह से कोरोना संक्रमण का आंकड़ा रोजाना बढ़ता जा रहा है उससे लगता है अभी उससे मुक्ति दूर है। चिकित्सा विज्ञान इसका टीका बनाने में जुट गया है। उम्मीद की जा रही है कि दिसम्बर तक भारत में बना टीका बाजार में आ जाएगा। हालाँकि अनेक देशों के टीके का उत्पादन भारतीय कपनियां करने वाली हैं लेकिन हमारे द्वारा तैयार किया टीका आने में कुछ महीनों की देर है। और तब तक सिवाय कोरोना का सामना करने और उससे बचकर रहने के दूसरा विकल्प नहीं है। देशबंदी में कारोबार चौपट होने से रोजगार की समस्या उत्पन्न हो गई थी और इसीलिये अंतत: उसे हटाना पड़ा। भले ही  सीमित प्रतिबंध अभी भी हैं लेकिन धीरे-धीरे देश गतिशील हो उठा है। सभी मोर्चों पर सक्रियता बढ़ी है। अर्थव्यवस्था भी लड़खड़ाते क़दमों से ही सही लेकिन रफ्तार पकड़ने लगी है किन्तु ये स्वीकार करने में कुछ भी बुराई नहीं है कि कोरोना ने हमारी प्रगति को काफी पीछे कर दिया है और इससे उबरने में लम्बा समय लगेगा। लेकिन आपदा अपने साथ अनेक अवसर भी लेकर आई है। आत्मनिर्भर भारत की प्रतिबद्धता जिस तरह से राष्ट्रीय विमर्श का विषय बन गयी वह अच्छा संकेत है। बीते दिनों रक्षा मंत्री द्वारा 100 से भी अधिक रक्षा उपकरणों का निर्माण भारत में ही  किये जाने की नीतिगत घोषणा  से रक्षा सामग्री  के क्षेत्र में विदेशों  पर निर्भरता घटने का रास्ता साफ़ हुआ। यही नहीं तो ऐसा होने पर देश की रक्षा उत्पादन इकाइयों के अस्तित्व पर मंडरा रहा खतरा भी कम होगा। चीन से आयात होने वाली राखी का आयात दो हजार करोड़ रु. से भी ज्यादा घटने से ये विश्वास प्रबल हुआ है कि स्वदेशी को मजबूत बनाकर समृद्ध भारत की नींव रखी जा सकती है। चीनी एप पर रोक लगाने के भारत सरकार के फैसले का अनुसरण अनेक देशों द्वारा किया गया। देखते ही देखते भारत में  बने एप की मांग बढ़ गई। कोरोना आने पर  उससे निपटने  का तंत्र हमारे देश में नहीं था परन्तु  बीते चार-पांच महीनों में भारत  में चिकित्सा सुविधाओं में उल्लेखनीय सुधार हुआ। हालाँकि वे अभी भी अपर्याप्त हैं किन्तु देश में एक आत्मविश्वास जाग्रत हुआ है। कोरोना  से हुई मौतों के आंकड़े जिस तरह नियन्त्रण में हैं वह निश्चित रूप से हमारे चिकित्सा तंत्र की बड़ी सफलता है। सबसे बड़ी बात ये हुई कि शासन और जनता दोनों को समझ आ गया कि स्वास्थ्य सेवाएँ भी उतनी ही जरूरी हैं जितनी कि देश  की सुरक्षा। केंद्र सरकार द्वारा दवा निर्माताओं को एक निश्चित समय सीमा के भीतर दवाइयों में लगने वाले कच्चे माल के मामले में आत्मनिर्भर होने के लिए जो सुविधाएँ दी गईं वह निश्चित रूप से एक क्रांतिकारी कदम है। इससे आने वाले समय में देश दवा निर्यात में बहुत आगे बढ़ सकेगा। कोरोना संकट के कारण भारतीय अर्थव्यवस्था को जो धक्का पहुंचा वह अकल्पनीय था। उसकी वजह से शुरूआत में आम देशवासी का मनोबल कमजोर हुआ लेकिन इतिहास गवाह है कि मुसीबत के क्षणों में भारत ने सदैव आगे बढऩे का हौसला दिखाया है। और वैसा ही वर्तमान दौर में नजर आ रहा है। यद्यपि मुसीबत बड़ी है और उसका अंत कब होगा ये कह पाना भी आज तो संभव नहीं है लेकिन संतोष का विषय है कि देश ने आपदा में अवसर तलाशने की बुद्धिमत्ता दिखाई है और कोरोना काल के बाद का  भारत एक सशक्त और समृद्ध भारत बनकर विश्व पटल  पर उभरेगा , ये तय है। सीमा पर शत्रुओं द्वारा उत्पन्न हालातों का जिस आत्मविश्वास और दृढ़ता से  सामना किया जा रहा है उसकी वजह से विश्व जनमत भी हमारी  ताकत को पहिचान रहा है। संरासंघ में भारत के समर्थन में विश्व की बड़ी ताकतों का खुलकर खड़ा होना इस बात का संकेत है कि भारत को विश्वशक्ति माना  जाने लगा है। लेकिन देश के भीतर आज भी अनेक समस्याएँ हैं जिनका समाधान किया जाना जरूरी है। ऐसी अनेक जानी-अनजानी ताकतें भी हैं जो विदेशी इशारों पर भारत को भीतर से कमजोर करने का कोई अवसर नहीं छोड़तीं। इनसे सख्ती के साथ निपटने का तंत्र विकसित करना होगा। वैसे एक बात अच्छी है कि केन्द्रीय सत्ता की दृढ़ता के कारण अनेक ऐसे  विवादों का निराकरण हो गया जिनकी वजह से जटिल  समस्याएँ बनी हुई थीं। ये भी अच्छा संकेत है कि कोरोना के कारण आये ठहराव के बावजूद निर्णय प्रक्रिया में व्यवधान नहीं आया और देश अपनी भावी दिशा को तय करने के प्रति गम्भीर है। आजादी के  इस पर्व पर देशभक्ति का भाव हर देशवासी के मन में जाग्रत होता है। लेकिन इस वर्ष आजादी की ये वर्षगांठ दायित्वबोध जाग्रत करने का भी अवसर है। किसी देश की ताकत का सही मूल्यांकन संकट के समय उसके नागरिकों के व्यवहार से होता है। भारत के सामने आज जो चुनौतियां हैं वे दरअसल नियति द्वारा ली जा रही परीक्षा के समान हैं। इन पर विजय प्राप्त करना हमारे भविष्य को तय करेगा। कोरोना नामक इस मुसीबत ने हमें बहुत कुछ सिखाया भी है। बेहतर होगा इस अग्निपरीक्षा में से सुरक्षित निकलकर हम ये साबित करें कि भारत 21 वीं सदी में दुनिया का नेतृत्व करने में सक्षम है। लेकिन इसके लिए हर देशवासी को अपनी भूमिका का ईमानदारी से निर्वहन करना होगा। विश्वास है आपदा को अवसर में बदलने के इस अभियान में हम सबकी भगीदारी रहेगी। आखिर ये देश भी तो हम सबका ही है।
कृपया कोरोना को लेकर समस्त सावधानियां बरतें क्योंकि उससे बचाव ही उसका बेहतर इलाज है।
स्वाधीनता दिवस पर हार्दिक शुभकामनाएं।

-रवीन्द्र वाजपेयी

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