भारत में कोरोना को लेकर यूँ तो अनगिनत भविष्यवाणी की गईं किन्तु दिल्ली स्थित एम्स के निदेशक डा. रणदीप गुलेरिया का आकलन अभी तक सबसे सटीक निकलता दिख रहा है | मई में जब लॉक डाउन समाप्त करते हुए सामान्य स्थिति बनाने की कोशिश शुरू हुई तभी उन्होंने कह दिया था कि जून से कोरोना के मामले बढ़ेंगे और जुलाई तथा अगस्त में चरमोत्कर्ष पर पहुँचने के बाद सितम्बर माह से उसमें गिरावट आना शुरू होगी , लेकिन उसका प्रकोप दिसम्बर तक जारी रहेगा और तब तक स्वदेश में बनी वैक्सीन भी उपलब्ध होने लगेगी | बीते लगभग दो महीनों में कोरोना का फैलाव जिस तेजी से हुआ उसने कन्टेनमेंट ज़ोन की सीमा को खत्म कर दिया | शुरुवात में ये देखा गया था कि शहरों के कुछ विशेष इलाकों में ही कोरोना के अधिकतर मरीज मिल रहे थे किन्तु मौजूदा स्थिति में कोरोना का विस्तार शहर या कस्बों के तकरीबन हर क्षेत्र में हो चुका है | ये बात भी सही है कि जाँच की संख्या बढ़ने से भी नये संक्रमित सामने आने लगे | लेकिन बीते दो महीने में कोरोना संक्रमण के शिकार मरीजों की संख्या में हुई असाधारण वृद्धि ने पूरे देश को भयभीत कर दिया | भले ही वैश्विक पैमाने पर हमारे देश में मृत्युदर काफी नियन्त्रण में रही तथा ठीक होने वालों का प्रतिशत भी लगातार बढ़ता जा रहा है लेकिन नए संक्रमण जिस तेज गति से सामने आये उसके कारण अस्पतालों की क्षमता जवाब देने लगी थी | इसी वजह से सरकार द्वारा नये मरीजों को घर में रहकर खुद को अलग - थलग रखते हुए इलाज करवाने का विकल्प दिया जाने लगा | हालांकि उनके स्वास्थ्य पर लगातार नजर रखी जाती रही और तकलीफ बढ़ने पर अस्पताल ले जाया गया लेकिन ये देखने में आया कि बड़ी संख्या में मरीज घरों में रहते हुए भी कोरोना संक्रमण से मुक्त होने लगे | इससे चिकित्सकों और उनके सहयोगियों का मनोबल निश्चित रूप से बढ़ा | इसके साथ ही आम जनता में भी ये विश्वास जागा कि कोरोना होने के बाद हताश होने की जरूरत नहीं है । चूंकि देश में कुछ हिस्सों के अलावा लॉक डाउन हटा लिया गया है तथा लोगों का आवागमन भी शुरू हो चुका है इसलिए संक्रमण की दैनिक संख्या तकरीबन 70 हजार तक जा पहुँची किन्तु ठीक होने वालों का नियमित आंकड़ा भी तेजी से बढ़ते जाने से कुछ राहत महसूस की जाने लगी | कल सोमवार के जो आंकड़े आज सुबह प्रसारित हुए उनके मुताबिक नये मामलों से ठीक होने वालों की संख्या 4753 ज्यादा रही | हालाँकि ये राष्ट्रीय आंकड़ा है और इसमें दिल्ली जैसे राज्य हो सकते हैं जहां कोरोना ढलान पर है लेकिन ये भी सही है कि ये गिरावट तब देखने आई जब कोरोना जांच की दैनिक संख्या भी लगातार बढ़ती जा रही है | हालांकि इस बारे में एक सवाल गौरतलब है कि नये सैम्पलों की जांच रिपोर्ट आने में कितना समय लग रहा है ? बावजूद इसके ये संतोष का विषय है कि एम्स के निदेशक डा. गुलेरिया के अनुमान सही दिशा में जा रहे हैं | और यही स्थिति जारी रही तो उम्मीद की जा सकती है कि सितम्बर शुरू होते तक कोरोना सबसे ऊँचे शिखर पर पहुंचने के बाद उतार की तरफ रुख करेगा | प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा गरीबों को 30 नवम्बर तक मुफ्त राशन देने की जो घोषणा जून के अंतिम सप्ताह में की गई थी वह इस बात का संकेत थी कि सरकार भी मानकर चल रही थी कि तब तक कोरोना जमीन पर आ जायेगा और बची - खुची समस्या वैक्सीन की मदद से हल कर ली जावेगी | उस दृष्टि से अगस्त माह के शेष दिन बेहद महत्वपूर्ण हैं | यदि नये मामलों में गिरावट न सही लेकिन ठहराव भी आ गया और ठीक होने वालों की संख्या उससे ज्यादा होती गयी तब कोरोना पर जीत हासिल करने का आत्मविश्वास और मजबूत होगा | दिल्ली जिसे कुछ समय पहले तक मुम्बई के बाद सबसे ज्यादा समस्याग्रस्त माना जाता था , वहां अस्पतालों में बिस्तर खाली पड़े हैं | मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल बाहर के मरीजों का इलाज करने का प्रस्ताव भी दे रहे हैं | कुछ और शहरों से भी ठीक होने वालों की संख्या में तेजी से वृदधि की खबरें आश्वस्त कर रही हैं । लेकिन यही वह समय है जब जनता को अतिरिक्त सावधानी बरतने की जरूरत है क्योंकि अनेक देशों में कोरोना लगभग समाप्त होने के बाद दोबारा वापिस लौटा है | इसी तरह से अनेक देश जो लम्बे समय तक इससे बचे रहे वे भी अब उसकी चपेट में आ गये हैं | उसका बड़ा कारण वहां की जनता द्वारा पूरी तरह से असावधान होकर कोरोना पूर्व की जीवन शैली में लौट जाना ही है | भारत में विशाल आबादी और घनी बसाहट के कारण किसी भी संक्रामक बीमारी का तेजी से फैलना बहुत ही आसान है और फिर कोरोना तो बेहद खतरनाक वायरस है | ये देखते हुए अपेक्षा है कि उसके बारे में आ रही आशाजनक खबरों के बावजूद उससे बचाव के मान्य तौर - तरीकों का ईमानदारी से पालन किया जाए | सरकार और चिकित्सा कर्मी अपने स्तर पर जो कर रहे हैं उसमें पूर्ण सफलता तभी मिलेगी जब जनता भी पूरी तरह अनुशासन में रहते हुए सहयोग करे | बीते कुछ महीनों में अनेक बार ये देखने में आया कि कोरोना पर नियन्त्रण पाने में कामयाबी मिल रही है लेकिन जनता के स्तर पर लापरवाही के कारण वह खुशी क्षणिक होकर रह गई | बीते एक दो दिनों में आये सुखद समाचारों के बावजूद एहतियात रखने की जरूरत है | कोरोना चूंकि पूरी तरह से अदृश्य है इसलिए वह कब और कहाँ से आ धमके ये पता नहीं चलता ।
- रवीन्द्र वाजपेयी
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