Friday 7 August 2020

सोना-चांदी की कीमतों का आसमान छूना बड़े वैश्विक संकट का संकेत




सोना और चांदी ऐसी दो धातुएं हैं जिनके बारे में हर वह व्यक्ति भी रूचि रखता है जिसे न उन्हें खरीदना है और न ही बेचना है। वैसे तो पृथ्वी के गर्भ से इनसे भी मूल्यवान धातुएं निकलती हैं लेकिन सोना और चांदी से चूँकि आभूषण बनते हैं और इनका विक्रय दुनिया में कहीं भी हो जाता है इसलिए सदियों से ये मानव जाति को प्रिय रही हैं। इनके आधार पर किसी व्यक्ति की ही नहीं अपितु देश की सम्पन्नता का आकलन भी किया जाता है। और फिर भारत में तो इन धातुओं के प्रति दीवानगी विशेष रूप से रही है। इसीलिये हमारा देश सोने के आयात में अग्रणी है। कहते हैं जनता के अलावा विभिन्न मंदिरों और मठों के भण्डार में इतना स्वर्ण संचित है जिससे देश की आर्थिक स्थिति में अकल्पनीय सुधार हो सकता है। सोना और चांदी दोनों की कीमतों में यद्यपि बहुत अंतर होता है किन्तु चूँकि उनमें गिरावट नहीं आती इसलिए वह सबसे सुरक्षित निवेश माना जाता है। इनकी कीमतें भी वैश्विक आधार पर तय होती हैं और अक्सर दिन में कई बार उनमें बदलाव देखा जाता है। हर देश अपने खजाने में ज्यादा से ज्यादा स्वर्ण रखता है क्योंकि उसी आधार पर उसकी मुद्रा की साख निश्चित होती है। कोरोना महामारी के कारण बीते अनेक महीनों से पूरी दुनिया अस्त व्यस्त हो चली है। व्यापार-उद्योग पर इसका जबरदस्त प्रभाव पड़ने से सम्पन्न देशों तक के सामने बड़ा संकट आ गया है। अंतर्राष्ट्रीय व्यापार भी ठप्प सा है। दूसरी तरफ चीन और अमेरिका के बीच बढ़ते तनाव से युद्ध की आशंका भी प्रबल होती जा रही है। जिस प्रकार की अनिश्चितता है उसके मद्देनजर हर देश अपनी आर्थिक सुरक्षा को लेकर चिंतित हो उठा है। यही कारण है कि सोना और चांदी दोनों की कीमतें लगातार बढ़ती जा रही हैं। गत दिवस सोना 55 हजार रु. प्रति दस ग्राम और चांदी लगभग 75 हजार रु. प्रति किलोग्राम तक जा पहुँची। जानकारों के अनुसार कीमतें और ऊपर जायेंगीं। जैसी कि जानकारी आ रही है उसके अनुसार सोने और चांदी की बढ़ती कीमतों के पीछे आम जनता की मांग न होकर बड़े निवेशकों के साथ विभिन्न देशों की सरकारों द्वारा बड़े पैमाने पर की जा रही खरीदी है। उद्योग-व्यापार में आया ठंडापन निवेशकों को परेशान किये हुए है। दुनिया भर के पूंजी बाजार डगमगा रहे हैं। ऐसे में जिनके पास धन है वे सोने और चांदी में निवेश कर रहे हैं। दूसरी तरफ  सरकारी स्तर पर होने वाली खरीदी भी मूल्यवृद्धि का बड़ा कारण है। वर्तमान हालात में कौन सा देश कब दिवालिया हो जाये ये बता पाना कठिन है। इसी तरह चीन और अमेरिका के बीच शुरू हुए व्यापार युद्ध के बाद स्थिति अब सैन्य युद्ध की तरफ  बढ़ रही है। दक्षिण चीन सागर में चीन द्वारा अपना कब्जा बढ़ाये जाने से अमेरिका सहित एशिया और प्रशांत महासागर क्षेत्र में स्थित देश आक्रामक मुद्रा में हैं। कोरोना संकट के लिए चीन को जिम्मेदार मानने के अलावा अमेरिका के राष्ट्रपति चुनाव में अपनी कमजोर स्थिति देखते हुए डोनाल्ड ट्रंप चीन को दबिश देकर अमेरिका की जनता को अपनी तरफ खींचने का दांव चल सकते हैं। पश्चिम एशिया में भी हालात बेहद तनावपूर्ण हैं। ईरान और अमेरिका के बीच की तनातनी कब बारूदी धमाकों में बदल जाए ये कह पाना कठिन है। कच्चे तेल के व्यापार में जैसी अनिश्चितता उत्पन्न हो गई है वह भी वैश्विक अर्थव्यवस्था को हिला रही है। ऐसे में मुद्रा के प्रति विश्वास का संकट मंडराने लगा है। यही वजह है कि आपातकालीन विनिमय के तौर पर दुनिया भर के देश सोना और चांदी की खरीदी में जुट गए। यदि युद्ध हुआ तो उस सूरत में हथियारों सहित जरूरी चीजों की खरीदी में मुद्रा को अस्वीकार किये जाने पर सोना ऐसी धातु है जिसके जरिये भुगतान सुलभ हो सकेगा। हालाँकि उपभोक्ता बाजार में सोने और चांदी की मांग उतनी नजर नहीं आ रही। भारत में तो कोरोना के कारण ग्रीष्मकालीन विवाह सीजन चौपट होने से आभूषण बाजार ठण्डा ही रहा। कीमतें आसमान छू लेने के कारण अब सोना-चांदी खरीदना सटोरियों और काले धन को ठिकाने लगाने वालों के अलावा सरकारों के बस की ही बात रह गई है। लेकिन इस मूल्य वृद्धि को लेकर उठ खड़ी  हुई आशंकाएं पूरी दुनिया को भयभीत भी कर रही हैं। कोरोना से मुक्ति मिलने के पहले ही सीमित विश्व युद्ध के आसार बन जाएँ तो आश्चर्य नहीं होगा।

- रवीन्द्र वाजपेयी

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