Monday 24 August 2020

होटलों और सभागारों को दी जा रही छूट स्वागतयोग्य बशर्ते .....



कोरोना वैक्सीन को लेकर व्याप्त अनिश्चितता के बीच केंद्र सरकार ने इस दौरान सबसे ज्यादा प्रभावित पर्यटन उद्योग को उबारने के लिए विगत दिवस अनेक रियायतों का ऐलान किया। होटल एवं सभागार आदि में होने वाले आयोजनों में 50 व्यक्तियों की सीमा खत्म कर दी है। गत दिवस केन्द्रीय पर्यटन मंत्री प्रहलाद पटेल ने इस आशय की घोषणा करते हुए बताया कि जितने मेहमान बुलाये जायेंगे उससे दोगुना स्थान आयोजन स्थल पर होना अनिवार्य होगा। सभागारों में भी जितनी सीटें होंगीं उसके आधे व्यक्ति ही प्रवेश पा सकेंगे। इस बारे में विधिवत घोषणा शीघ्र ही की जावेगी। मार्च में लॉक डाउन के बाद शादी-विवाह, संगीत, साहित्यिक और सांस्कृतिक कार्यक्रम तथा व्यावसायिक सम्मेलन आदि पर रोक लग गई थी। विवाह में अधिकतम 50 लोगों की अनुमति दिए जाने से होटलों, बैंक्वेट हॉल, तथा मैरिज गार्डन का पूरा व्यवसाय चौपट हो गया। देश के अधिकाँश होटल बीते अनेक महीनों से बंद पड़े हैं। पर्यटन पूरी तरह से बंद है। व्यवसायिक और औद्योगिक गतिविधियां ठप्प होने से होटलों और सभागारों के सामने अस्तित्व का संकट होने लगा था। बिजली के बिल, रखरखाव और वेतन पर होने वाले खर्च के कारण उनकी कमर टूटने लगी थी। उस लिहाज से केंद्र सरकार का उक्त फैसला उम्मीदें जगाने वाला है। भारत में ग्रीष्मकाल शादियों का मौसम होता है। शिक्षण संस्थानों में अवकाश होने से लोग सपरिवार सैर-सपाटे पर निकलते हैं। कोरोना के कारण लगाये गए लॉक डाउन की वजह से उक्त सभी गतिविधियाँ ठप्प होकर रह गईं। प्रतिबंधों के चलते फिल्म उद्योग भी पूरी तरह से ठहराव का शिकार हो गया। उसे दोबारा खड़ा करने के मकसद से प्रतिबंधों का पालन करते हुए शूटिंग की अनुमति भी दे दी गयी। इस सबसे पर्यटन और मनोरंजन उद्योग को एक तरह से प्राणवायु मिल जायेगी। सबसे बड़ी बात ये हैं कि विवाह समारोह में अतिथियों की संख्या पर लगी पाबंदी हटने से उसका सीधा असर बाजार पर पड़ेगा। ये बात सर्वविदित है कि विवाह संबंधी आयोजन भारतीय अर्थव्यवस्था को गतिशील बनाये रखने में सर्वाधिक योगदान देते हैं। इसी तरह सामाजिक, साहित्यिक, सांस्कृतिक एवं इसी तरह की गतिविधियों से भी बड़ी संख्या में लोगों को काम मिलता है। बीते लगभग पांच महीने इस दृष्टि से बेहद भारी साबित हुए। जून में लॉक डाउन शिथिल किये जाने के बाद भी उक्त सभी क्षेत्रों पर प्रतिबंध जारी थे। शीघ्र ही सिनेमाघरों को भी उनकी क्षमता के आधे दर्शकों के साथ शुरू करने की अनुमति देने पर भी विचार हो रहा है। परिवहन क्षेत्र तो पहले ही खोल दिया गया है। हालाँकि अभी शिक्षण संस्थान खोले जाने को लेकर अनिश्चितता है। लेकिन होटल, सभागार, मैरिज हाल आदि में गातिविधियां शुरू होते ही बाजार में छाई उदासीनता को दूर करने में सहायता मिलेगी। फिलहाल जो भय का माहौल है उसे दूर करना भी बहुत जरूरी है। लेकिन इन छूटों के साथ ही ये भी देखना होगा कि प्रतिबंधों के हटने से कहीं स्वछंदता का बोलबाला न हो जाए। लॉक डाउन हटने के बाद बाजारों में उमड़ी भीड़ ने जिस तरह से कोरोना संबंधी सावधानियों की धज्जियाँ उड़ाईं उसे देखते हुए ये कहना गलत नहीं होगा कि होटलों एवं सभागारों में आयोजनों की अनुमति दिए जाने के बाद जरा सी चूक कोरोना के फैलाव का कारण बन सकती है। जबलपुर में बीते दिनों स्थानीय होटल में एक शासकीय अधिकारी के पारिवारिक विवाह समारोह में अतिथि संख्या का उल्लंघन होने पर सैकड़ों लोग संक्रमित हुए। इस तरह की लापरवाही पर यदि रोक लग सकी तो केंद्र सरकार के उक्त सभी फैसले कारगर साबित होंगे। बरसात के बाद भारत में विवाह के साथ ही त्यौहारी मौसम भी आता है जिसके कारण बाजार में बहार आ जाती है। ऐसे में अभी मिल रही छूट का यदि सही उपयोग हुआ तब होटल और पर्यटन उद्योग के साथ ही अर्थव्यवस्था के बाकी क्षेत्रों को भी जबर्दस्त सहारा मिल जाएगा। जैसी उम्मीद जताई जा रही है उसके अनुसार सितम्बर मध्य से कोरोना ढलान पर आयेगा। लेकिन अतिउत्साह में बेफिक्र हो जाना खतरनाक होगा। दुनिया के अनेक देशों में लापरवाही के चलते कोरोना संक्रमण ने पलटवार किया है। भारत में तो वैसे भी अनुशासन का पालन करने के प्रति अशिक्षित ही नहीं पढ़े-लिखे लोग भी बेहद लापरवाह हैं।

-रवीन्द्र वाजपेयी

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