Saturday 14 November 2020

इस संकट से भी भारत और मजबूत होकर निकलेगा :- रवीन्द्र वाजपेयी



दीपावली भारतीय पर्व परंपरा का चरमोत्कर्ष है।  यह धन और धान्य दोनों से जुड़ा हुआ है।  धन संपदा की देवी लक्ष्मी को समर्पित होने से इस त्यौहार पर  उद्योग - व्यापार सम्वन्धी चर्चा भी  होती है।  मुहूर्त की खरीदी से अर्थव्यवस्था का आकलन  किया जाता है।  वैसे भी भारत में अधिकतर  तीज - त्यौहार प्रत्यक्ष या अप्रत्य्क्ष रूप से कृषि से जुड़े होते हैं क्योंकि अर्थव्यवस्था का आधार भी वही है।  इस वर्ष दीपावली पर अर्थव्यवस्था को लेकर सामान्य से ज्यादा चर्चा हो रही है क्योंकि आर्थिक मंदी के बाद अचानक कोरोना नामक वैश्विक  संक्रमण ने भारत को भी जकड़ लिया जिसकी वजह से समूचा अर्थतंत्र पटरी से उतर गया।  मार्च के अंतिम सप्ताह में लॉक डाउन लागू किये जाने के बाद कारोबारी जगत में ठहराव आ गया ।  उद्योगों में तालाबंदी हो जाने से लाखों की संख्या में कामगार बेरोजगार हो गए।  निर्माण गतिविधियाँ भी रुक गईं।  रेल और सड़क परिवहन बंद किये  जाने के परिणामस्वरूप प्रवासी मजदूरों के हुजूम अपने गाँवों के लिए पैदल , सायकिल , स्कूटर , ऑटो रिक्शा और ट्रक जैसे साधनों से रवाना हुए।  उनकी वापिसी ने एक अभूतपूर्व दृश्य उत्पन्न कर दिया।  बुजुर्ग पीढ़ी को देश के विभाजन के दृश्य याद आ गये।   महीनों तक चली तालाबंदी से एक अदृश्य भय लोगों के मन में समा गया।  समाज का प्रत्येक वर्ग उस स्थिति से प्रभावित हुआ।  अनिश्चितता और असुरक्षा का माहौल समूचे वातावरण में व्याप्त था।  जून में जब लॉक डाउन हटा तब तक ये मान लिया गया था कि भारत की अर्थव्यवस्था पूरी तरह गड्ढे में  जा चुकी है और उसको दोबारा खड़ा करने में बहुत लंबा समय लगेगा क्योंकि लॉकडाउन से पहले से ही  आर्थिक मंदी  दस्तक दे चुकी थी।  देश विदेश के तमाम अर्थशास्त्री एवं  रेटिंग एजेंसियां भारत के सकल घरेलू उत्पादन में ऐतिहासिक गिरावट के साथ ही विकास दर शून्य से भी नीचे जाने की आशंका व्यक्त कर रही थीं ।  बेरोजगारी के आंकड़े सर्वकालिक सर्वोच्च स्तर पर जा पहुँचे।  एक अजीब सी उदासी जनमानस में थी।  भले  ही जनजीवन पटरी पर लौटने लगा लेकिन भविष्य की चिंता पूरे देश सवार  थी किन्तु भारत के पुरुषार्थ ने एक बार फिर पूरे विश्व को चमत्कृत कर दिया।  देखते  ही देखते देश में उद्योग - व्यापार जगत ने दोबारा रफ्तार पकड़नी शुरू कर दी।  अगस्त - सितम्बर में कोरोना भयावह रूप में फैला , लेकिन भारत की जनता और उद्यमी दोनों ने अभूतपूर्व साहस का परिचय देते हुए धैर्य और हिम्मत दोनों बनाये रखा।  उसी का सुपरिणाम है कि आर्थिक क्षेत्र में जबरदस्त सुधार परिलक्षित होने लगा और अब ये उम्मीद की जाने लगी है कि  आगामी वित्त वर्ष में भारत दुनिया में सबसे तेज रफ़्तार से आगे बढ़ने वाला देश होगा।  कोरोना संकट के दौर में ही चीन के साथ सीमा पर हालात बेहद तनावपूर्ण हो चले।  लेकिन भारतीय सेना ने अत्यंत विषम परिस्थितियों के बावजूद चीन को रक्षात्मक होने मजबूर कर दिया।  सौभाग्य से केंद्र  सरकार ने भी सेना को खुला हाथ दिया।  इसकी वजह से हर भारतीय का आत्मविश्वास प्रबल हुआ जिसका प्रमाण दीपावली पर नजर  आ रहा उत्साह है।  यद्यपि अभी भी अर्थव्यवस्था कोरोना द्वारा दिए गये झटके से उबर नहीं सकी किन्तु  नैराश्य का जो भाव कुछ महीने पहले था वह अब नहीं दिखाई देता।  विदेशी निवेश जिस तेजी से आ रहा है और विदेशी मुद्रा का भण्डार लबालब है वह बेहद उत्साहित करने वाला है।  उद्योगपतियों ने इस चुनौती से निपटने के लिए कमर कस ली है और श्रम शक्ति भी पूरे जोश के साथ मोर्चे पर डट गई  है।  हालाँकि ये आशंका भी है कि ज्यों - ज्यों सर्दी बढ़ेगी त्यों - त्यों कोरोना दोबारा कहर ढाएगा।  लेकिन दूसरी तरफ चिकित्सा जगत भी किसी  आपदा से निपटने में दक्षता हासिल कर चुका है और आम जनता का मनोबल भी काफी ऊंचा है।  लेकिन इसी के साथ ये समय बेहद सावधानी से कदम आगे बढ़ाने का है।  कोरोना एक चुनौती के रूप में हमारे सामने आया था।  वह छापामार शैली की बीमारी है जो दबे पाँव हमला करती है।  इसलिए दीपावली के उत्साह के बीच हमें  उससे बचाव के सभी तरीकों का ईमानदारी से पालन करना चाहिए।  अगले महीने  तक वैक्सीन आने की खबरों को सुनकर लापारवाह होना खतरे को दावत देने जैसा होगा।  अनेक विकसित देश  इस गलती की  सजा भोग रहे हैं।  इसलिए ये दीपावली बहुत  ही विशिष्ट है।  एक तरफ ये चुनौतियों पर विजय  के आत्मगौरव  का एहसास करवा रही है वहीं दूसरी तरफ भविष्य के संभावित संकटों की प्रति सतर्क भी कर रही है।  लक्ष्मी जी की पूजा अर्चना में बुद्धि और विवेक के अधिष्ठाता गणेश जी को भी शामिल किया जाता है।  हमें इसके  उद्देश्य को समझकर विवेक का इस्तेमाल करते हुए संकट के इस दौर  से देश को  निकालना है।   अतीत इस बात का गवाह है कि भारत हर संकट से  और मजबूत होकर निकला है और इस आधार पर देश के उज्ज्वल भविष्य की उम्मीद करना पूरी तरह सही होगा।  दीपपर्व आप सभी  के  जीवन में सुख , समृद्धि और शांति लेकर आये यही शुभकामना है।

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