Thursday 5 November 2020

सेवा क्षेत्र के साथ होटल और पर्यटन को सहारा देना समय की मांग



अक्टूबर महीने में जीएसटी का संग्रह 1 लाख करोड़ पार कर जाने के बाद से केंद्र सरकार का हौसला बुलंद है और उसी कारण ये संकेत आया कि तीसरा आर्थिक पैकेज सम्भवत: दीपावली के पहले ही घोषित कर दिया जावेगा। वित्त मंत्रालय के सूत्रों से पता चला है कि ये पैकेज सेवा क्षेत्र के साथ ही होटल और पर्यटन व्यवसाय के लिए होगा। उल्लेखनीय है कोरोना काल में सेवा क्षेत्र के साथ होटल और पर्यटन व्यवसाय को जबरदस्त नुकसान पहुंचा। लॉक डाउन हटाये हुए भी पाँच महीने बीत चुके हैं। उसके बाद उत्पादन में वृद्धि के साथ ही त्यौहारी मांग बढ़ने से उद्योग और व्यापार जगत तो रफ्तार पकड़ने लगा है लेकिन उक्त तीनों क्षेत्रों में अभी तक रौनक नहीं लौटी। ऐसे में सरकार उनके लिए किसी भी तरह की राहत की पहल करती है तो वह सामयिक और सार्थक होगी। सेवा क्षेत्र ने बीते कुछ वर्षों में सराहनीय प्रदर्शन करते हुए अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदान दिया था। इसी तरह होटल और पर्यटन व्यवसाय भी लगातार अच्छे परिणाम दे रहा था। मध्यमवर्ग में जिस तरह से पर्यटन के प्रति रुझान बढ़ा उसके परिणामस्वरूप इस क्षेत्र में अपार सम्भावनाएँ नजर आने लगी थीं। राजमार्गों के विकास की वजह से सड़क परिवहन भी तेजी से बढ़ता जा रहा था। इस कारण से भी होटल व्यवसाय को सहारा मिलने लगा। मिडवे मोटल, रेस्टारेंट और ढाबे का व्यवसाय भी इसके चलते खूब फलने-फूलने लगा। शहरों के बाहर मैरिज गार्डन के रूप में एक नया उद्योग पूरे देश में पनपा जिसने अनेक सहयोगी व्यवसायों को संबल प्रदान करने के साथ ही रोजगार के अवसर भी उत्पन्न किये। कुछ कम्पनियों ने देश भर में सस्ते होटलों की चेन बनाकर होटल व्यवसाय को जबर्दस्त विस्तार दिया। घरेलू पर्यटन में लगातार वृद्धि पर होने से ट्रेवलिंग एजेंसी का व्यवसाय प्रगति पथ पर था। टैक्सी चालकों को भी इसका फायदा मिलने लगा। इसके अलावा सेवा क्षेत्र में कार्यरत विभिन्न पेशेवरों का काम लगातार बढ़ता जा रहा था। आर्थिक क्षेत्र के जानकार भी ये मानने लगे थे कि सेवा, होटल और पर्यटन क्षेत्र भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए बेहद मददगार बनने जा रहे हैं। लेकिन कोरोना के कारण लगाये गये लॉक डाउन ने उक्त व्यवसायों को अकल्पनीय क्षति पहुंचाई। परिवहन सेवा पूरी तरह ठप्प हो गयी। सैर-सपाटा, तीर्थ यात्रा, शादी ब्याह, पार्टियां और जलसों आदि पर विराम लगने से बहुत बड़ा व्यवसाय ठहर गया। होटलों में ताले लटक गए, बार -रेस्टारेंट, जिम, क्लब आदि बंद किये जाने से उनके संचालक आर्थिक संकट में आ गए। हॉलांकि लॉक डाउन शिथिल किये जाने के बाद जनजीवन सामान्य हो चला है और व्यवसाय जगत में भी हलचल दिखाई देने लगी है। वैसे दीपावली इसका बड़ा कारण है। लेकिन सरकार के प्रयास और कोरोना की रफ्तार में कमी के कारण भी उपभोक्ता वर्ग का हौसला फिर से कायम हुआ है किन्तु जिस तरह से पिछले कुछ दिनों में दिल्ली, बंगाल और केरल में कोरोना के नये मामले बढ़े उसके बाद ये आशंका व्यक्त की जा रही है कि दीपावली के बाद कोरोना की दूसरी लहर आ सकती है और बड़ी बात नहीं वह पहले से ज्यादा व्यापक हो। ये देखते हुए कहा जा सकता है कि कारोबारी जगत पर इसका बुरा असर पड़े बिना नहीं रहेगा। सेवा क्षेत्र के साथ ही होटल और पर्यटन उद्योग के लिए तो कोरोना का दूसरा हमला दूबरे में दो आसाढ़ जैसा होगा। इसलिए सरकार ने यदि इनके लिए राहत पैकेज लाने का सोचा है तो वह स्वागतयोग्य कदम होगा। चूँकि अभी भी सेवा क्षेत्र काम की कमी से जूझ रहा है तथा होटल और पर्यटन व्यवसाय भी अपेक्षित गति नहीं पकड़ पा रहे इसलिए उनके लिए सरकार को बिना देर किये कुछ ऐसा करना चाहिये जिससे उनका अस्तित्व कायम रहे। अर्थशास्त्री भी इस बात पर एकमत हैं कि देश में सेवा क्षेत्र के साथ ही होटल और पर्यटन आने वाले समय में अर्थव्यवस्था के मुख्य घटक होंगे। इसलिए इस दुधारू गाय को सही-सलामत रखना राष्ट्रीय आवश्यकता है।

-रवीन्द्र वाजपेयी


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