न तो ये चीन द्वारा भेजा वायरस है और न ही इसमें किसी सरकार को दोष दिया जा सकता है | कोरोना की वापिसी संबंधी जो आशंका पहले से ही जताई जा चुकी थी , वह सही साबित होती लग रही है | सर्दियों के मौसम में आम तौर पर जो बीमारियाँ आ धमकती हैं वे सब चूँकि कोरोना के शुरुवाती लक्षणों को दर्शाने वाली हैं । इसलिए चिकित्सा जगत एवं सरकार दोनों लोगों को सचेत करते रहे | लेकिन जैसा देखने में मिला नवरात्रि से दीपावली के बीच के त्यौहारी मौसम में लोगों की जो भीड़ बाजारों में नजर आई उसने कोरोना के लौटते क़दमों को वापिस घुमा दिया | बीते कुछ दिनों के भीतर देश की राजधानी दिल्ली में जो भयावह स्थिति बन गई उसके कारण केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह को आपातकालीन बैठक बुलानी पड़ी और दिल्ली उच्च न्यायालय ने केजरीवाल सरकार को समय रहते पुख्ता इंतजाम नहीं करने के लिए लताड़ लगाई | दिल्ली से आ रही खबर पूरे देश में प्रसारित होने के बाद भी लोगों ने उस पर ध्यान नहीं दिया और एक तरह से ये मान लिया कि कोरोना पूरी तरह लौट चुका है | हालांकि इस बेफिक्री के पीछे वैक्सीन को लेकर आने वाली भ्रामक जानकारियाँ भी बड़ा कारण बनीं | भारत सरकार सहित निजी क्षेत्र ने भी वैक्सीन की उपलब्धता को लेकर जिस तरह का माहौल बनाया उससे लगने लगा कि दिसम्बर या हद जनवरी तक भारत में कोरोना का टीका सहज रूप से मिलने लगेगा | चूँकि भारत वैक्सीन उत्पादन का सबसे बड़ा केंद्र है और विश्व के अनेक देशों द्वारा कोरोना का जो टीका खोजा गया उसके उत्पादन का काम भारतीय कम्पनियों को ही मिल रहा है इसलिए भी ये एहसास प्रबल हो गया कि जल्द ही देशवासियों को कोरोना के विरुद्ध रक्षा कवच हासिल हो जाएगा | लॉकडाउन हटने के बाद व्यापारिक गतिविधियों में भी तेजी आई और आवागमन भी बढ़ा | सितम्बर के आख़िरी सप्ताह से लगातार जो आंकड़े आये उनमें कोरोना तेजी से ढलान पर आता दिखा | नए संक्रमणों की संख्या में तेजी से कमी आने लगी वहीं स्वस्थ होकर घर लौटने वाले भी बढ़ते गये | इसकी वजह से भी लोगों का हौसला बढ़ा और कोरोना की वापिसी संबंधी चेतावनियों की जमकर उपेक्षा की जाने लगी | इसी दौरान बिहार में विधानसभा के चुनाव हुए | मप्र में 28 उपचुनाव के कारण भी कोरोना की प्रति जमकर लापरवाही नजर आई | दीपावली के साथ ही शादी सीजन की खरीदी भी इस दौरान होती दिखी | और इन सब वजहों का संयुक्त परिणाम कोरोना की दूसरी लहर के रूप में देखने मिल रहा है | दीपावली के बाद ज्योंही शासन - प्रशासन ने स्थिति की समीक्षा की त्योंही दोबारा प्रतिबंधात्मक कदम उठाने पर विचार किया जाने लगा | शुरुवात दिल्ली से हुई और धीरे - धीरे अनेक राज्यों से खबरें आने लगीं | गत दिवस मप्र के अनेक शहरों में रात्रिकालीन कर्फ्यू लगाने का फैसला किया गया | नए संक्रमणों की तुलना में स्वस्थ होने वालों की संख्या बीते डेढ़ महीने में बढ़ने से राहत अनुभव की जा रही थी | लेकिन बीते एक सप्ताह में वह अंतर फिर घटता जा रहा है | मप्र में तो गत दिवस स्वस्थ होने वालों की संख्या नए संक्रमणों से आधी निकली | भोपाल और इन्दौर में स्थिति ज्यादा गंभीर होने लगी है | दिल्ली में विवाह आयोजनों में अतिथि संख्या घटाकर 50 कर दी गयी | अन्य राज्यों से भी इसी तरह के फैसले लिए जाने की जानकारी आ रही है | दोबारा लॉकडाउन की अटकलें भी दबी जुबान सुनाई दे रही हैं | गत दिवस अहमदाबाद में तो इस कारण अफरातफरी मच गई और जनता जरूरी सामान खरीदने बाजारों में दौड़ पड़ी | हालाँकि अर्थव्यवस्था के मद्देनजर केन्द्र के साथ ही राज्य सरकारें दोबारा लॉकडाउन जैसा कदम नहीं उठाएंगी किन्तु अब ये जनता के हाथ में है कि वह कोरोना की वापिसी को किस तरह रोके और ये कठिन काम भी नहीं है | कोरोना संबंधी सरकारी आंकड़ों में ये भी बताया जाता है कि मास्क न लगाने के कारण प्रशासन ने कितने लोगों का चालान करते हुए इतनी राशि वसूली | इसके बाद भी सड़कों पर सैकड़ों और बाजारों में हजारों की संख्या ऐसे लोगों की नजर आ जायेगी जो बिना मास्क के घूम रहे हैं | दरअसल ऐसे गैर जिम्मेदार लोग ही कोरोना की वापिसी की असली वजह हैं | शासन - प्रशासन अपने स्तर पर जो भी कर रहे हैं वह अपनी जगह है | और उसमें आलोचना की जबर्दस्त गुंजाइश भी है किन्तु बेहतर होगा हर नागरिक स्वयं तो कोरोना संबंधी सावधानियां रखे ही लगे हाथ बल्कि अपने सम्पर्क में आने वाले प्रत्येक व्यक्ति को उस हेतु प्रेरित , प्रोत्साहित और जरूरत पड़ने पर प्रशिक्षित भी करे | बीते लगभग 8 महीनों में एक बात तो तय हो ही गयी है कि कोरोना पर विजय पाई जा सकती है | लेकिन इसके लिए जो जरूरी उपाय हैं वे करना अनिवार्य है | मास्क , सैनीटाईजर का उपयोग और हाथ धोते रहने के साथ ही शारीरिक दूरी जैसा साधारण सा अनुशासन कोरोना से बचाव में सहायक हो सकता है | भारत ने जिस तरह से इस महामारी का मुकबला किया उसकी दुनिया भर में प्रशंसा हुई है | टीके के विकास में भी हमारी भूमिका काफी महत्वपूर्ण है लेकिन फिलहाल कोरोना पलटवार करता हुआ नजर आ रहा है और ऐसे में जरूरी होगा कि बजाय सरकार के भरोसे बैठे रहने और व्यवस्थाओं को कोसने के हम अपने स्तर पर कोरोना से अपने और अपनों के बचाव के प्रति पूरी तरह सावधानी बरतें | आखिर ये जान भी तो हमारी है |
- रवीन्द्र वाजपेयी
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