Friday 12 November 2021

मामला केवल मलिक और फड़नवीस के मान – सम्मान तक सीमित नहीं रह गया



महाराष्ट्र की राजनीति में इन दिनों आरोप – प्रत्यारोप का रोचक मुकाबला देखने मिल रहा है | यूँ तो राजनीतिक क्षेत्र से जुड़ी हस्तियाँ नित्य प्रति इस तरह के खेल में हिस्सेदार होती हैं लेकिन मुम्बई में जिसे देश की आर्थिक राजधानी भी कहा जाता है , नशीले पदार्थों के कारोबार को लेकर जिस तरह की रस्सा खींच देखने मिल रही है उससे डब्ल्यू.डब्ल्यू.एफ नामक कुश्ती याद आती है जिसे देखने वालों को भी ये पता होता है कि रिंग  में होने वाली कुश्ती महज नाटकबाजी है किन्तु फिर भी वे उस स्टंटबाजी का आनंद उठाने महंगी टिकिट खरीदकर जाते हैं या टीवी पर उसका प्रसारण देखते हैं | हमारे देश में सियासत के सौदागर भी उसी शैली की कुश्ती लड़ा करते हैं जो  जीत हार का फैसला हुए बिना ही कब खत्म हो जाये , ये पता ही नहीं  चलता | इसे  कव्वाली का मुकाबला भी कह सकते हैं जिसमें आमने सामने बैठे कव्वालों द्वारा जवाबी शेर दागकर श्रोताओं का मनोरंजन किया जाता है | पिछले महीने फिल्म उद्योग के बड़े सितारे कहलाने वाले शाहरुख़ खान के बेटे आर्यन को उसके कुछ साथियों सहित गोवा जाने वाले एक क्रूज पर हो रही पार्टी में नशीली चीजों के उपयोग की शिकायत पर एनसीबी ने पकड़ा |  शाहरुख़ और उनके बेटे ने तो चुप्पी साधे रखी लेकिन महाराष्ट्र सरकार के एक मंत्री नवाब मलिक ने उक्त छापे का नेतृत्व करने वाले एनसीबी अधिकारी  समीर वानखेड़े पर आरोपों  की बौछार लगा दी | समीर से उनकी खुन्नस जनहित के किसी मुद्दे पर न होकर उनके दामाद की नशीली चीजों के कारोबार से जुड़े होने के आरोप में की गई गिरफ्तारी है , जिसे कुछ समय पहले ही जमानत मिली थी | श्री मलिक ने आर्यन की गिरफ्तारी के बहाने श्री  वानखेड़े के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए ये साबित करने का प्रयास किया कि वे घूसखोर और धोखेबाज हैं | उनकी शादी , धर्म और जाति को लेकर भी उन्होंने सनसनीखेज जानकारी उजागर की जिस पर  एनसीबी ने उनके विरुद्ध विभागीय जांच भी शुरू कर दी | लेकिन इसी दौरान महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडनवीस ने समीर का बचाव करते हुए श्री मलिक के विरुद्ध मोर्चा खोल दिया | वानखेड़े परिवार भी मंत्री महोदय के खिलाफ अदालत में चला गया | लेकिन श्री फड़नवीस के मैदान में कूदते ही मुकाबला उनके और श्री मलिक के बीच सिमट गया | दोनों और से रोजाना बयानों के तीर चलने लगे |  रोचक बात ये है कि सभी आरोप पुराने हैं  जिन्हें गड़े मुर्दे उखाड़ने का प्रयास भी कहा जा सकता है | उसके बाद शुरू हुआ  मानहानि के नोटिस जारी करने का सिलसिला | वानखेड़े परिवार के साथ ही श्री मलिक और श्री फड़नवीस के बीच भी मानहानि के दावों का मुकाबला चल पड़ा | इस बारे में उल्लेखनीय है कि श्री वानखेड़े के परिजनों द्वारा श्री मलिक के विरुद्ध प्रस्तुत शिकायत पर अदालत ने मंत्री जी से कहा है कि वे अपने आरोपों को पुष्ट करने विषयक हलफनामा पेश करें | ऐसी ही बात उनके और पूर्व मुख्यमंत्री के बीच चल रही बयानों की जंग के बारे में कही जा रही हैं  | लेकिन इस पूरे प्रकरण में सबसे महत्वपूर्ण बात ये है कि श्री मलिक को यदि श्री वानखेड़े के भ्रष्टाचार की इतनी बारीक जानकारी थी तो वे अब तक खामोश क्यों रहे ? इसी तरह श्री फड़नवीस के कथित कारनामों का पर्दाफाश करने की पहल  आर्यन मामले के बाद ही क्यों की गई ? सवालों के घेरे में तो पूर्व मुख्यमंत्री भी आते हैं | केंद्र में उनकी पार्टी की सरकार  होने से वे चाहते तो श्री मलिक के विरुद्ध जो आरोप वे अभी लगा रहे हैं , उनकी जांच करवा सकते थे | लेकिन न तो श्री मलिक ने श्री वानखेड़े के विरुद्ध पहले कोई आरोप लगाये और न ही श्री फड़नवीस ने इस विवाद के पहले कभी श्री मलिक की बखिया उधेड़ने के लिए इतना जोर लगाया | इससे साबित होता है कि राजनेता एक दूसरे के काले - कारनामों के  बारे में सब कुछ जानते हुए भी तब तक चुप रहते हैं जब तक उनको कोई व्यक्तिगत नुकसान न हो रहा हो | यदि श्री मलिक के दामाद गिरफ़्तार न होते तब उनको श्री वानखेड़े से कोई शिकायत न रहती | इसी तरह उनके और श्री फडड़नवीस के बीच शुरू हुई बयानों की जंग पहले शुरू क्यों नहीं हुई इसका जवाब भी मिलना चाहिए | इस बारे में ये बात भी  गौरतलब है कि आरोपों की जबरदस्त बौछार करने वाले योद्धागण अब तक पुलिस या किसी अन्य सक्षम एजेंसी के पास अपनी बात को प्रमाणित करने वाले सबूतों के साथ नहीं गये जिससे  ये लगता है कि पूरी कवायद केवल सामने वाले पर दबाव बनाने के लिए की जा रही है | समीर वानखेड़े तो सरकारी अधिकारी हैं इसलिए उनकी कुछ सीमायें हैं लेकिन नवाब मलिक और देवेन्द्र फड़नवीस तो ताकतवर लोग हैं जो उनके पास उपलब्ध जानकारी जाँच एजेंसियों को देकर अपनी बात को साबित कर सकते हैं | इससे भी  बड़ी बात ये है कि  किसी व्यक्ति की गैर कानूनी गतिविधियों की जानकारी होने पर उसे पुलिस को न बताना भी एक तरह का अपराध ही है | साधारण इंसान तो ऐसे मामलों में झंझट लेने से बचता है लेकिन वर्तमान मंत्री और पूर्व मुख्यमंत्री के साथ तो इस तरह का कोई डर नहीं होने से उनको तो पहले ही ये मामले सामने लाना चाहिए थे | कुल मिलाकर मुम्बई में आरोप – प्रत्यारोप के दैनिक मुकाबले के बाद अब मानहानि के दावों की जो बोलियाँ बढ़ – चढ़कर लग रही हैं उनसे राजनीतिक नेताओं का असली चरित्र उजागर हो रहा है | नशे के कारोबार से किसी का भी जुड़ाव गम्भीर मामला है | राजनेता और नौकरशाह मिलकर अपराधिक गतिविधियों को संरक्षण देते हैं ये  बात भी लोगों के मन में बैठती जा  रही है | इस प्रकरण में  नवाब मलिक और देवेन्द्र फड़नवीस ने जो कुछ भी कहा वह जगजाहिर है | दोनों ने एक दूसरे पर जो आरोप लगाये वे हवा में उड़ाने लायक नहीं हैं क्योंकि उनमें नशे के कारोबारियों के साथ विदेश से जुड़े तारों का  भी उल्लेख है | इसलिए दोनों तरफ से लगाये गये आरोपों की जाँच होनी चाहिए |  जो भी दोषी हो उसे समुचित दंड देना जरूरी है | अब ये मामला श्री मलिक और श्री फड़नवीस के मान – सम्मान तक सीमित न रहकर देश की सुरक्षा तक जा पहुंचा है |  यदि आरोप असत्य निकलते हैं तब भी दोनों नेताओं पर देश को गुमराह करने के लिए कारवाई होनी चाहिए |

- रवीन्द्र वाजपेयी

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