Tuesday 16 November 2021

हिन्दू और हिन्दुत्व : कांग्रेस से न निगलते बन रहा है और न ही उगलते



ऐसा लगता है कांग्रेस ने गलतियों से सीखने की बजाय उन्हें दोहराने की आदत पाल ली है | बीते सप्ताह पार्टी के वरिष्ट नेता सलमान खुर्शीद की पुस्तक सनराइज ओवर अयोध्या के विमोचन पर वरिष्ट नेता दिग्विजय सिंह ने हिन्दू और हिंदुत्व संबंधी निरर्थक बातें कहते हुए विवाद पैदा कर दिया था | बाद में जब पुस्तक में हिंदुत्व की तुलना इस्लामिक आतंकवादी संगठनों से किये जाने की जानकारी उजागर हुई तब श्री खुर्शीद के विरुद्ध भी गुस्सा बढ़ा और बात  पुस्तक पर प्रतिबंध से उनके घर पर तोड़फोड़ तक जा पहुँची | इसी बीच एक और कांग्रेस नेता मणिशंकर अय्यर ने  आग में घी डालने का काम किया | पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल  गांधी भी हिन्दू और हिंदुत्व की अधकचरी व्याख्या करने बैठ गये | म.प्र के एक कांग्रेस विधायक ने श्री खुर्शीद को पार्टी से निकालने की मांग कर डाली | उधर छत्तीसगढ़ के एक सरकारी कार्यक्रम में अतिथि के तौर पर श्री खुर्शीद को दिया आमन्त्रण रद्द कर दिया गया | बीते काफी समय से कांग्रेस स्वातंत्र्य वीर सावरकर के व्यक्तित्व और कृतित्व को लेकर काफ़ी आलोचनात्मक है | वामपंथी विचारधारा से भी उसकी इस मुहिम को समर्थन मिल रहा है | प्रश्न ये है कि हिन्दू और हिंदुत्व को लेकर की जा रही निराधार टिप्पणियों से कांग्रेस  को क्या हासिल होगा ? धर्मनिरपेक्षता का अनुपालन अपनी जगह ठीक है | भारत अनादिकाल से बहु आस्था वाला देश रहा है | हिन्दुओं में भी अलग – अलग देवी – देवताओं  को मानने वाले हैं | परस्पर विरोधी विचारों वाले ऋषियों को भी एक समान सम्मान दिया गया | यही वजह रही कि विदेशों से आये दूसरे धर्मों के आक्रमणकारी भी यहीं रच - बस गये | मुगलों के पहले भी गैर हिन्दू विदेशी शासकों ने हम पर हमला किया और कुछ समय तक राज भी | लेकिन  हिन्दू संस्कृति और उसमें समाया हिंदुत्व का भाव जीवित रहा तो उसकी वजह उसका शाश्वत होना है | ये बात समय – समय पर साबित हो चुकी है कि जिस सनातन  धर्म को हिन्दू  और हिंदुत्व का आधार माना जाता है वह किसी एक व्यक्ति अथवा देवता द्वारा प्रतिपादित न होकर निरंतर चलने वाली चिंतन परम्परा से विकसित होता गया | किसी एक व्यक्ति या पुस्तक को पत्थर की लकीर मानकर चलने की बजाय समूचे ब्रह्माण्ड को अपनी आस्था से जोड़कर एक उदार और विचारशील जीवन पद्धति ही हिंदु और हिंदुत्व के रूप  में स्वीकार की गई | श्री अय्यर और उन जैसे तमाम लोग समय – समय पर ये साबित करने का प्रयास करते रहते हैं कि मुग़ल शासक बड़े उदार ह्रदय थे  और उन्होंने यदि आतंक फैलाकर हिन्दुओं का धर्म परिवर्तन कराया होता तो आज वे बहुसंख्यक न होते | अकबर को महान बताते हुए मणिशंकर ने दिल्ली में कांग्रेस मुख्यालय के अकबर रोड पर होने पर खुशी भी जाहिर की | उन्होंने मुगल शासक जहांगीर और शाहजहाँ की रगों में हिन्दू खून होने के बात को भी उछाला है | लेकिन आज जब कांग्रेस पार्टी अपने सबसे बुरे दौर से गुजर रही है और उसका जनाधार सिमटता जा रहा है तब उसे बजाय इस तरह के मुद्दों पर अपनी ऊर्जा और समय नष्ट करने के इस तरफ ध्यान देना चाहिए कि वह लोगों का विश्वास दोबारा किस तरह जीते | सही बात तो ये है कि कांग्रेस बीते कुछ समय से जबरदस्त मानसिक द्वन्द में फंसी हुई है | 2014 में सत्ता गंवाने के बाद बनाई गई एंटोनी समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि पार्टी की अल्पसंख्यक समर्थक  छवि उसकी पराजय का कारण बनी | चूँकि श्री एंटोनी गांधी परिवार के करीबी थे इसलिए उनकी बात को गम्भीरता से लेते हुए राहुल को ब्राह्मण के तौर पर प्रचारित करते हुए उनके द्वारा जनेऊ धारण करने और सारस्वत गोत्रीय होने की बात उछाली गई | मंदिरों में परंपरागत वस्त्र पहिनकर पूजा करने के चित्र भी प्रसारित होने लगे | कर्नाटक में वे विभिन्न मठों में भी गये | उनकी बहिन प्रियंका भी इन दिनों उ.प्र में मंदिरों के दर्शन करती देखी जा रही हैं | हालाँकि अभी तक उनकी माँ सोनिया गांधी ने अपने धर्म और गोत्र के बारे में कुछ भी  नहीं कहा | हाल ही कश्मीर यात्रा के दौरान भी राहुल ने खुद को कश्मीरी ब्राहमण बताया था | यद्यपि इस सबका कांग्रेस को कोई विशेष लाभ नहीं हुआ , बल्कि मुस्लिम उससे छिड़कने लगे |   श्री खुर्शीद की पुस्तक में कांग्रेस के इस मानसिक भटकाव पर तंज कसते हुए कहा गया है कि पार्टी की  अल्पसंख्यक समर्थक छवि बनने के कारण जनेऊ जैसे मुद्दे उछालकर बचाव किया जाने लगा है | ऐसा लगता है राहुल और प्रियंका द्वारा स्वयं को हिन्दू साबित करने की कोशिश पार्टी के एक तबके को रास नहीं आ रही जिसका प्रमाण हिन्दू और हिंदुत्व को लेकर खड़ा किया ताजा विवाद है | हालाँकि चौतरफा छीछालेदर होने के बाद श्री खुर्शीद भी सफाई देते फिर रहे  हैं | उनकी पुस्तक बिके या नहीं लेकिन उसके  विमोचन के अवसर पर हुई बयानबाजी और उसके कुछ अंश कांग्रेस की डूबती नाव में छेद बन रहे हैं | आगामी चुनावों के मद्देनजर मतदाताओं को आकर्षित करने के लिए पार्टी  तरह – तरह के  जतन कर रही है | लेकिन भाजपा पर हमला  करते – करते उसके कुछ नेता जनहित के मुद्दों को छोड़ ज्योंही हिन्दू और हिंदुत्व विरोधी बयान देते हैं त्योंही उसकी आक्रामकता ठंडी पड़ जाती है और  मजबूरन उसे रक्षात्मक होना पड़ता है | श्री खुर्शीद को संदर्भित पुस्तक से  क्या लाभ होगा ये तो अभी कह  पाना कठिन है लेकिन उसकी सामग्री और उस बारे में  कतिपय नेताओं की उलजलूल बयानबाजी ने कांग्रेस का बड़ा नुकसान कर दिया | अतीत में भी ऐसा होता रहा है जिसके लिए  मणिशंकर को तो निलम्बित तक किया गया था । लेकिन उसके बाद भी गैर जिम्मेदाराना बयानबाजी रुकने का नाम नहीं ले रही | पार्टी को अपने नेताओं को हिन्दू और हिन्दुत्व जैसे विषयों के बारे में प्रशिक्षण देकर ये समझाना चाहिए कि बहुसंख्यक समुदाय की उपेक्षा करने के दिन बीत चुके हैं | और ढुलमुल नीतियों के कारण ही  कांग्रेस का परम्परागत दलित , आदिवासी और यहाँ तक कि मुस्लिम मतदाता समूह भी उससे दूर होता जा रहा है |  उ.प्र इसका सबसे बड़ा उदाहरण है जो आजादी के बाद से ही नेहरु और फिर गांधी परिवार की कर्मभूमि रही है लेकिन आज आलम ये है कि राहुल गांधी अमेठी गँवा चुके हैं और सपा – बसपा अपना प्रत्याशी खड़ा कर देते  तो सोनिया गांधी भी रायबरेली में हार जातीं | बीते कुछ सालों से प्रियंका इस राज्य में कांग्रेस का चेहरा बनी हुई हैं लेकिन वे भी चुनाव लड़ने से डरती हैं | इसका मुख्य कारण हिन्दू और हिंदुत्व जैसे मुद्दे पर  कुछ नेताओं की  बयानबाजी ही है | कांग्रेस का प्रचारतंत्र भाजपा को चाहे जितना कोसे लेकिन उसकी वर्तमान दुर्दशा का सबसे बड़ा कारण  नीतिगत अनिश्चितता है | पार्टी को ये स्पष्ट करना चाहिए कि राहुल गांधी का सारस्वत गोत्र और जनेऊ उसे पसंद है या सलमान खुर्शीद द्वारा हिंदुत्व की तुलना आईएस और बोकोहरम से करने जैसी बेवकूफी | 

-रवीन्द्र वाजपेयी

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