Wednesday 11 January 2023

निवेशक सम्मेलन की सफलता के लिए नौकरशाहों पर नकेल जरूरी




म.प्र का इंदौर नगर इन दिनों वैश्विक स्तर पर चर्चा का विषय बना हुआ है | प्रवासी भारतीयों के दो दिवसीय जलसे के बाद आज से वहां ग्लोबल इन्वेस्टर्स मीट प्रारम्भ हुई | जिसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आभासी माध्यम से संबोधित किया | म.प्र सरकार द्वारा आयोजित यह सम्मलेन चूंकि विधानसभा चुनाव वाले साल में हो रहा है लिहाजा ये मान  लेना गलत नहीं होगा कि इसके जरिये  मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान जनता को ये विश्वास दिलाना चाहते हैं कि उनकी सरकार प्रदेश के आर्थिक विकास के लिए पूरी तरह कटिबद्ध है | इसमें दो मत नहीं कि कभी बीमारू राज्य कहलाने वाला म.प्र अब विकास की दौड़ में काफी आगे बढ़ा है | बिजली  , पानी , सड़क आदि के क्षेत्र में  जो उल्लेखनीय प्रगति 2003 के बाद से हुई उसकी वजह से ये निवेशकों के लिए आदर्श राज्य बन गया है | भूमि की उपलब्धता भी काफी है | केंद्र और राज्य में एक ही पार्टी की सरकार होने से भी स्थितियाँ निवेश के अनुकूल हुई हैं | ऐसे में श्री चौहान का ये प्रयास अपेक्षित परिणाम दे सकता है | सबसे बड़ी बात ये है कि प्रवासी सम्मलेन की वजह से अनेक विदेशी निवेशक पहले से ही इंदौर में मौजूद हैं और उन्हें इस प्रदेश में उद्योग - व्यापार की संभावनाओं का अध्ययन करने का अवसर भी मिला होगा | इंदौर चूंकि हमेशा से ही इस दिशा में आगे रहा है इसलिए भी इस आयोजन  को सफलता मिलने की आशाएं हैं । लेकिन सम्मेलन समाप्त होने के बाद जो खेल शुरू होता है उस पर नजर रखना मुख्यमंत्री के लिए जरूरी है | अब तक के अनुभव बताते हैं कि सम्मेलन के दौरान जो निवेशक  उद्योग लगाने हेतु प्रस्ताव हस्ताक्षरित करते हैं वे बाद में  पीछे हट जाते हैं | इसका असली कारण नौकरशाही है जो निवेश के लिए आने वालों को खून के आंसू रुलाने से बाज नहीं आती | सम्मलेन के समय तो मुख्यमंत्री चूंकि खुद उपस्थित रहते हैं इसलिए अफसरशाही विनम्रता और सौजन्यता की प्रतिमूर्ति बनी रहती है किन्तु आयोजन खत्म होते ही वह अपने ढर्रे पर लौट आती है जिससे निवेशक हतोत्साहित हो जाते हैं | ये देखते हुए श्री चौहान को चाहिये कि वे सम्मलेन में आये निवेश प्रस्तावों पर तेजी से अमल करवाने के लिए समूची प्रक्रिया पर निरन्तर नजर रखें ताकि प्रदेश में पूंजी  लगाने के इच्छुक उद्योगपतियों को भटकना न पड़े | इस बारे में श्री मोदी की कार्यशैली अनुकरणीय है | गुजरात के मुख्यमंत्री रहते हुए उन्होंने उस राज्य को निवेशकों की पहली पसंद बनाने में सफलता हासिल की तो उसकी वजह उनसे संपर्क बनाए रखते हुए बाधाओं  को तत्काल दूर करने के बारे में मुख्यमंत्री कार्यालय का मुस्तैद रहना था | चोटी के उद्योगपतियों को गुजरात में निवेश हेतु राजी करने के बाद वे व्यक्तिगत संपर्क रखते हुए उनको प्रोत्साहित किया करते थे | प. बंगाल से टाटा कम्पनी की  नैनो कार का कारखाना गुजरात ले आने की घटना उद्योग जगत में काफी चर्चित हुई थी | चूंकि मुख्यमंत्री स्वयं सतर्क रहते इसलिए नौकरशाही भी अपने दायित्व का निर्वहन करने में पीछे नहीं रही | इस ग्लोबल इन्वेस्टर्स मीट के उपरान्त श्री चौहान को भी चाहिए वे मुख्यमंत्री कार्यालय में निवेश प्रस्तावों संबंधी एक विशेष सेल बनाकर उनकी दैनंदिन प्रगति पर नजर रखें | पिछले अनुभवों को देखते हुए ऐसा करना नितान्त आवश्यक है | आज  श्री मोदी ने सम्मेलन को संबोधित करते हुए  एम.पी अजब है ,गजब है के साथ और सजग भी जोड़कर श्री चौहान की जिम्मेदारी बढ़ा दी है | चुनावी वर्ष होने से मुख्यमंत्री के पास निवेश प्रस्तावों को अमली जामा पहिनाने के लिए बहुत ही कम समय है क्योंकि नवम्बर में होने वाले चुनाव की अधिसूचना जारी होते ही आदर्श आचार संहिता  लागू हो जाने से सरकार नीतिगत निर्णय नहीं कर सकेगी | और विपक्ष भी चुनाव मैदान में उसे घेरने में कोई कसर नहीं छोड़ेगा | इसलिए जैसे तेवर आजकल श्री चौहान भ्रष्ट और निकम्मे अधिकारियों के विरुद्ध दिखा रहे हैं वैसी ही सख्ती  उन्हें निवेश प्रस्तावों के क्रियान्वयन से जुड़े अधिकारियों पर भी दिखानी चाहिए | प्रधानमंत्री ने एम . पी को अजब और गजब के साथ सजग बताकर सांकेतिक शैली में जो सन्देश प्रदेश सरकार को दिया यदि मुख्यमंत्री उसके निहितार्थ को समझते हुए अपने नौकरशाहों पर कसावट रख सकें तभी निवेशक सम्मेलन का उद्देश्य पूरा हो सकेगा |  


रवीन्द्र वाजपेयी 




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