Tuesday 24 January 2023

कांग्रेस की फजीहत करवाने पर आमादा हैं दिग्विजय



कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने एक बार फिर पार्टी  की फजीहत करवाने का इंतजाम कर दिया | भारत जोड़ो यात्रा के दौरान गत दिवस जम्मू में उन्होंने पुलवामा हमले के बाद भारतीय सेना द्वारा की गयी सर्जिकल स्ट्राइक पर सवाल उठाते हुए कहा कि सरकार दावा करती है कि उस मुहिम में इतने पाकिस्तानी सैनिक मार गिराए गये थे किन्तु उसका प्रमाण नहीं दिया गया | संसद में इस बारे में किसी भी प्रकार की जानकारी नहीं दिए जाने पर भी उन्होंने प्रधानमंत्री को घेरने की कोशिश की | बाद में जब एक टीवी चैनल के संवाददाता ने उनसे उनके बयान के बारे में बात करनी चाही तब यात्रा के मीडिया प्रभारी जयराम रमेश ने उसका माइक अलग करते हुए अंग्रेजी में कहा कि बात को घुमाइए मत | बाद में श्री रमेश ने श्री सिंह की टिप्पणी को उनका निजी विचार बताते हुए स्पष्ट कर दिया कि राष्ट्रहित में सभी सैन्य कार्रवाइयों का उनकी पार्टी ने समर्थन किया है और करती रहेगी  | लेकिन श्री रमेश की कोशिश बेकार साबित हुई | श्री सिंह की टिप्पणी पर भाजपा तो स्वाभाविक तौर पर आक्रामक होकर मैदान में कूदी ही किन्तु पूर्व थल सेनाध्यक्ष जनरल वी. पी . मलिक के अलावा  सैनिकों की विधवाओं की ओर से भी कांग्रेस नेता के बयान का तीखा विरोध किया गया | यद्यपि वे  इस तरह के  गैर जिम्मेदाराना बयानों के लिए लम्बे समय से कुख्यात हैं | भगवा आतंकवाद और ओसामा जी जैसे उनके शब्दों ने अतीत में भी कांग्रेस की दुर्गति करवाई है | 2019 में जब वे भोपाल से लोकसभा चुनाव लड़े तो वे बयान ही उनकी शर्मनाक हार का कारण भी बने | उम्मीद की जाती थी कि वे उस पराजय से कुछ सबक लेंगे लेकिन ऐसा लगता है म.प्र के  पूर्व मुख्यमंत्री ने अपनी पार्टी का नुकसान  करते रहने  का बीड़ा उठा रखा है | भारत जोड़ो यात्रा के दौरान पहले भी उनके कुछ बयान राहुल और कांग्रेस दोनों के लिए मुंह छिपाने की स्थिति उत्पन्न कर चुके थे जिसे उनकी निजी राय बताकर पल्ला झाड़ा गया | लेकिन एक सफल  फ़ौजी अभियान पर संदेह व्यक्त कर श्री सिंह ने ये साबित कर दिया कि आयु के इस पड़ाव पर आकर भी बजाय परिपक्वता दिखाने के वे पार्टी को गर्त में डुबोने में लगे हुए हैं  |  बहरहाल उनके उक्त बयान ने भारत जोड़ो यात्रा के अंतिम चरण को भी विवादास्पद बना दिया है  | ये बात  समझ से परे है कि उनके बयानों से जबर्दस्त नुकसान उठाने के बावजूद कांग्रेस उन्हें किस कारण से ढो रही है ? जिस – जिस राज्य में उनको पार्टी ने प्रभारी बनाया उन सभी में कांग्रेस की लुटिया डूब गयी | उनके अपने गृह राज्य  म.प्र में भी पार्टी लंबे समय से सत्ता से बाहर है | 2018 में जैसे – तैसे सरकार बनी भी तो श्री सिंह ने सिंधिया परिवार से अपनी खुन्नस के चलते पहले तो ज्योतिरादित्य सिंधिया को मुख्यमंत्री नहीं बनने दिया और बाद में उनके राज्यसभा में जाने में अड़ंगे लगाये जिससे नाराज होकर वे भाजपा में चले गये और कमलनाथ सरकार महज 15 महीने में चलती बनी | केन्द्रीय स्तर पर भी श्री सिंह भले ही कांग्रेस संगठन के महत्वपूर्ण पदों पर रहे लेकिन वे हिन्दू संगठनों के विरोध में जो ऊल जलूल बयानबाजी करते रहते हैं उससे कांग्रेस को नीचे देखने मजबूर होना पड़ता है | श्री गांधी की इस यात्रा में जयराम रमेश भी लगातार साथ रहे हैं | लेकिन वे विवादास्पद बयानबाजी से बचते हैं जबकि श्री सिंह मौका मिलते ही ऐसी  टिप्पणी कर बैठते हैं  जिसके बाद पार्टी को उनकी बात से किनारा करने मजबूर होना पड़ता है | ऐसे  में सवाल उठता है कि किसी छोटे नेता या कार्यकर्त्ता को इस तरह की बात कहने पर कारण बताओ नोटिस मिल जाता है तब श्री सिंह जैसे वरिष्ट नेता को पार्टी और विशेष रूप से गांधी परिवार ने आंय – बाँय बकने के  लिए छुट्टा क्यों छोड़ रखा है ? श्री  सिंह को भी इस बात का जवाब देना चाहिए कि जब पार्टी ने सर्जिकल स्ट्राइक को राष्ट्रहित में मानते हुए उसके समर्थन की बात कही  , तब क्या वे पार्टी के रुख के विरूद्ध खड़े होने का दुस्साहस भी करेंगे ? कांग्रेस आज की स्थिति में आजादी के बाद सबसे दयनीय स्थिति में नजर आ रही है | राहुल गांधी ने 3500 किमी की पदयात्रा निकालकर उसको वर्तमान दुरावस्था से उबारने का जो प्रयास किया उसे श्री सिंह जैसे नेता पलीता लगाने में जुटे हुए हैं | उनके विवादस्पद बयानों ने कांग्रेस को कितना नुकसान पहुँचाया इसका आकलन भी श्री गांधी को करना चाहिए वरना कांग्रेस की स्थिति में और गिरावट आना तय है क्योंकि जो काम पार्टी के दुश्मनों को करना चाहिए वह दिग्विजय सिंह जैसे लोग ही कर  रहे हैं |  

रवीन्द्र वाजपेयी 



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