Tuesday 16 May 2023

राजस्थान में मंत्री ही कह रहा सरकार को भ्रष्ट तब कांग्रेस नेतृत्व मौन क्यों



कर्नाटक में भाजपा की करारी हार के  संकेत गत वर्ष अप्रैल माह में  एक ठेकेदार की  मौत के बाद ही मिलने लगे थे जब पूर्व मंत्री और पार्टी के वरिष्ट नेता के.एस, ईश्वरप्पा पर 40  प्रतिशत कमीशन मांगने का आरोप लगा | बाद में मामला और आगे बढ़ा जब ठेकेदारों के संघ ने राज्य सरकार के विभागों में भुगतान न होने और भ्रष्टाचार के कारण  बाहरी ठेकेदारों को काम देने का आरोप लगाते हुए प्रदर्शन भी किये | उसी के कारण भाजपा की बोम्मई सरकार 40 परसेंट के नाम से बदनाम होने लगी | कांग्रेस के स्थानीय से लेकर राष्ट्रीय नेताओं तक ने भाजपा को घेरने में कोई कसर नहीं छोड़ी | यद्यपि भाजपा के प्रचारतंत्र ने भी कांग्रेस  के राज में हुए भ्रष्टाचार की सूची सार्वजनिक करते हुए जवाबी दाँव चला लेकिन जनता के मन में कहीं न कहीं 40 परसेंट वाली बात घर कर गयी जिसकी वजह से सुशिक्षित मतदाताओं ने उसकी पराजय का मन बना लिया | पार्टी समर्थक वह तबका जो उसके विरोध में मतदान नहीं करना चाहता था वह घर से नहीं निकला और यही कारण रहा कि शहरी क्षेत्रों में भी भाजपा को निराशा हाथ लगी | हालांकि ये अकेला मुद्दा नहीं था जिसने कांग्रेस को भारी जीत दिलवाई किन्तु ये बात माननी होगी कि भाजपा की  पराजय की नींव इसी आरोप पर रखी गयी | लेकिन कर्नाटक के चुनाव से अलग हटकर निगाह घुमाएँ तो कांग्रेस शासित राजस्थान में इन दिनों मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट के बीच चल रहे राजनीतिक मुकाबले से कांग्रेस के लिए जो शोचनीय स्थिति उत्पन्न हो गयी है वह उसके लिए आगामी विधानसभा चुनाव में गड्ढा खोदने का काम कर सकती है | श्री पायलट आये दिन मुख्यमंत्री पर ये आरोप लगा रहे हैं  कि वे पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के विरुद्ध भ्रष्टाचार के जो आरोप उनके द्वारा लगाये गए थे , उनकी जांच करवाने से कतरा रहे हैं | इसके जवाब में श्री गहलोत ने पायलट समर्थक विधायकों पर सरकार गिराने के लिए भाजपा से करोड़ों रुपए लेने का आरोप लगाते हुए ये तंज कसा कि वे पैसे लौटाने में असमर्थ हों तो उनको कांग्रेस के फंड से दिलवा दिए जायेंगे और उसी के साथ उन्होंने वसुंधरा राजे की ये कहते हुए तारीफ भी कर डाली कि उनके कारण ही पायलट खेमे की  बगावत विफल हो गई। उल्लेखनीय है हाल ही में श्री पायलट ,  वसुंधरा राजे की जांच हेतु दिन भर धरना भी दे चुके थे। उसके बाद उन्होंने भ्रष्टाचार के तीन मामलों की जांच हेतु अजमेर से जयपुर तक पांच दिवसीय पद यात्रा भी की जिसके समापन पर गत दिवस जयपुर में जबरदस्त भीड़ उमड़ी तथा 14 विधायकों  सहित एक राज्य मंत्री राजेंद्र गुढ़ा भी उपस्थित रहे जिन्होंने आरोप लगाया कि गहलोत सरकार ने भ्रष्टाचार के सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं और बिना पैसे लिए कोई काम नहीं होता । दूसरी तरफ श्री पायलट ने चेतावनी दी कि 15 दिन में यदि उनके द्वारा उठाए तीनों मामलों में जांच शुरू नहीं की जाती तब वे प्रदेशव्यापी आंदोलन करेंगे। इस मामले में श्री गहलोत और श्री पायलट के बीच की राजनीतिक प्रतिद्वंदिता तो समझ में आती है किंतु जब राज्य  का एक मंत्री ही सार्वजनिक सभा में ये कहे कि सरकार ने भ्रष्टाचार के सभी रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं तब फिर विपक्ष के लिए कहने के लिए कुछ बचता ही कहां है ? और मुख्यमंत्री अपने विधायकों पर विपक्षी पार्टी से उसकी सरकार गिराने के एवज में करोड़ों की  धनराशि लेने के बात ऐलानिया कहता फिरे तब उन विधायकों की बेईमानी और गद्दारी को प्रमाणित करने की जरूरत ही नहीं बच रहती।  ऐसे में कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व को इस बात का स्पष्टीकरण देना चाहिए कि कर्नाटक के ठेकेदारों द्वारा भाजपा की राज्य सरकार पर कमीशनखोरी का आरोप लगाए जाने के बाद पार्टी ने उसी से अपना चुनाव प्रचार शुरू किया किंतु राजस्थान में उसकी अपनी सरकार पर उसी का एक मंत्री रिकॉर्ड तोड़ भ्रष्टाचार का आरोप लगाने के बावजूद सत्ता में कैसे बना है ?  और जिन विधायकों पर खुद मुख्यमंत्री करोड़ों रु.भाजपा से लेने का आरोप लगा रहे हैं उनके विरुद्ध अब तक क्या कार्रवाई हुई ? कर्नाटक में भाजपा सरकार को तो जनता ने सजा दे दी किंतु जब राजस्थान में उसके अपने ही मंत्री द्वारा सरकार और मुख्यमंत्री द्वारा  विधायकों पर भ्रष्टाचार के आरोप बेधड़क लगाए जा रहे हैं तब कांग्रेस नेतृत्व इस बारे में आंखें मूंदकर क्यों बैठा हुआ है ? आज तक न तो राहुल गांधी और न ही किसी अन्य नेता ने  राजस्थान में कांग्रेस के भीतर से ही सरकार और पार्टी दोनों  पर लगाए जा रहे आरोपों के बारे में एक शब्द नहीं कहा ।  भाजपा से मिलकर सरकार गिराने के लिए करोड़ों डकारने के आरोपी विधायक भी पार्टी में बने हुए हैं और सरकार को  भ्रष्टतम कहने वाले मंत्री महोदय भी सरकार का हिस्सा हैं । ये स्थिति हास्यास्पद भी है और चिंताजनक भी। विपक्ष द्वारा लगाए जाने वाले  आरोपों को सत्ता पक्ष द्वारा नकारे जाने पर  किसी को आश्चर्य नहीं होता लेकिन राजस्थान में तो कांग्रेसी कुनबे में ही आरोप - प्रत्यारोप का सिलसिला जिस तरह बेशर्मी  के साथ चल पड़ा है उसे देखते हुए आगामी चुनाव में जब श्री पायलट और श्री गहलोत द्वारा चलाए जा रहे आरोपों के तीर यदि विपक्ष के हाथ में बतौर हथियार काम करेंगे तब राहुल गांधी किस मुंह से बचाव करेंगे ये बड़ा सवाल है क्योंकि भ्रष्टाचार हमारे देश की ऐसी बुराई है जिसमें सभी पार्टियां लिप्त हैं। मात्रा कम या ज्यादा हो सकती है किंतु पूरी तरह पाक - साफ होने का दावा कोई नहीं कर सकता । देखने वाली बात ये होगी कि कर्नाटक में भाजपा सरकार को 40 परसेंट कमीशन के नाम पर घेरने वाली कांग्रेस , राजस्थान में अपनी सरकार के बारे में क्या करती है ? 

-रवीन्द्र वाजपेयी 


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