Monday 8 May 2023

राजस्थान उच्च न्यायालय गहलोत से सबूत मांगे : आरोप गंभीर हैं



राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत देश के सबसे अनुभवी राजनेताओं में से हैं | अतीत में वे केन्द्रीय मंत्री भी रहे  | कांग्रेस के राष्ट्रीय संगठन में भी महत्वपूर्ण दायित्वों का निर्वहन करने के कारण ही उनको पार्टी अपना राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाने जा रही थी लेकिन एन वक्त पर वे फ़ैल गए और उनके समर्थक विधायकों ने थोक में विधानसभा अध्यक्ष को इस्तीफे सौंपकर पार्टी  हाईकमान पर दबाव बना दिया जिससे उसे अपना निर्णय बदलकर मल्लिकार्जुन खरगे को अध्यक्ष बनाना पड़ा | श्री गहलोत का वह पैंतरा खुले तौर पर अनुशासनहीनता थी  किन्तु गांधी परिवार तक उनके कान पकड़ने की हिम्मत न कर सका | उसके आगे का घटनाचक्र किसी से छिपा नहीं है | दरअसल राजस्थान कांग्रेस में चल रहे शीतयुद्ध में श्री गहलोत और पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट दो खेमे हैं | दोनों ने पार्टी का अनुशासन तोड़ने में कोई कसर नहीं छोड़ी  किन्तु शीर्ष नेतृत्व किसी  के विरुद्ध कार्रवाई करने का साहस न बटोर सका | और यही कारण है कि  दोनों तरफ से बयानों के तीर बिना रुके चला करते हैं | श्री पायलट हमेशा इस बात को उठाते हैं कि विधानसभा अध्यक्ष को इस्तीफा दे चुके विधायकों पर कार्रवाई क्यों नहीं हुई ? दूसरी ओर मुख्यमंत्री श्री पायलट के साथ बगावत पर उतारू हुए विधायकों द्वारा भाजपा नेताओं से करोड़ों रूपये लेने का आरोप लगते हुए जवाबी  दांव चलते हैं | लेकिन गत दिवस धौलपुर दौरे पर एक सार्वजनिक कार्यक्रम में श्री गहलोत ने ये कहकर राजनीतिक माहौल में हलचल मचा दी कि जिन विधायकों ने अमित  शाह  , धर्मेन्द्र प्रधान और गजेन्द्र शेखावत से 10 – 15 करोड़ रूपये लिए थे और अब तक नहीं लौटाए उनको चाहिए वे लौटाकर दबावमुक्त हो जाएँ  | यदि उसमें से कुछ खर्च कर लिया हो तो बताएं मैं कांग्रेस के राष्ट्रीय संगठन से कहकर दिलवा दूंगा | इसके साथ ही उन्होंने पूर्व मुख्यमंत्री भाजपा नेत्री वसुंधरा राजे की ये कहते हुए तारीफ की कि उन्होंने सरकार गिराने के पायलट खेमे के प्रयास को विफल कर दिया | हालाँकि श्रीमती राजे ने मुख्यमंत्री के इस बयान पर कड़ी आपत्ति जताई है | श्री पायलट के साथ जो विधायक गहलोत सरकार गिराने हरियाणा के मानेसर में जा बैठे थे उनके द्वारा भाजपा के उक्त नेताओं से 10 – 15 करोड़ रूपये लिए जाने का आरोप श्री गहलोत पहले भी लगा चुके थे | लेकिन गत दिवस उन्होंने जिस तरह वह राशि वापस करने के लिए पार्टी से पैसे  दिलवाने की बात कही उसे केवल राजनीतिक कटाक्ष मानकर उपेक्षित करना राजनीतिक विमर्श में रही – सही गंभीरता को नष्ट करने जैसा होगा | एक राज्य का मुख्यमंत्री यदि अपनी ही पार्टी के विधायकों पर दूसरी पार्टी के नेताओं से सरकार गिराने के लिए 10 – 15 करोड़ रूपये लेने जैसी बात बार – बार दोहराए तो फिर उससे ही ये सवाल पूछा जाना चाहिए कि क्या कारण रहा  जो उन्होंने उन विधायकों के विरुद्ध पार्टी से अनुशासन की कारवाई करने के लिए  नहीं कहा और  उनकी अपनी सरकार ने  इतनी बड़ी रकम लेने वाले विधायकों के  विरुद्ध आर्थिक अपराध का प्रकरण दर्ज नहीं किया | श्री गहलोत एक संवैधानिक पद पर हैं | ऐसे में उनसे अपेक्षित है कि वे राजनीतिक दांवपेंच दिखाते समय ऐसी कोई बात न बोलें जिसका प्रमाण उनके पास नहीं है | और यदि है , तब इतनी बड़ी राशि सरकार गिराने के लिए लेने वाले उनके अपने दल के ही विधायक छुट्टा कैसे घूम रहे हैं ? मुख्यमंत्री का ये कहना कि वे पैसा लौटा दें और यदि खर्च हो गया तब  वे कांग्रेस के राष्ट्रीय संगठन से दिलवा देंगे , बेहद बचकाना और गैर जिम्मेदाराना है | अव्वल तो विपक्षी दल से  अपनी ही सरकार गिराने के लिए मोटी रकम लेने वाले विधायकों को अब तक पार्टी क्यों ढो रही है , इसका जवाब श्री गहलोत को देना चाहिये | गत दिवस जिस अंदाज में श्री  गहलोत ने बागी कांग्रेस विधायकों पर तंज कसा वह अप्रत्यक्ष रूप से तो श्री पायलट पर किया गया हमला ही है | भले ही  भाजपा नेत्री वसुंधरा राजे के बारे में की गई उनकी टिप्पणी उन दोनों का व्यक्तिगत मामला है लेकिन कांग्रेस विधायकों द्वारा सरकार गिराने के लिए 10 – 15 करोड़ जैसी बड़ी रकम लेकर न लौटाने और खर्च हो जाने की स्थिति में पार्टी फंड से दिलवाने जैसी बातें करने के बाद खुद श्री गहलोत पर कानूनी कार्रवाई होनी चाहिए | बेहतर हो राजस्थान उच्च न्यायालय उनके कल दिए गए बयान का स्वतः संज्ञान लेते हुए मुख्यमंत्री से उनकी बात का सबूत मांगें क्योंकि इस तरह के आरोपों को हल्के में लिये जाने के कारण ही राजनीति और राजनेताओं की साख मिट्टी में मिलती जा रही है |

- रवीन्द्र वाजपेयी 

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