Monday 22 May 2023

विपक्षी एकता की कोशिश में भी भेदभाव




कर्नाटक में सिद्धारमैया सरकार के शपथ ग्रहण समारोह के अवसर पर कांग्रेस द्वारा विपक्ष के अनेक नेताओं को दावत देकर बुलाया गया। इसका उद्देश्य 2024 के लोकसभा चुनाव के पहले भाजपा के विरोध में विपक्षी मोर्चा बनाने की मुहिम में अपना हाथ ऊपर रखना था । दरअसल इसकी कोशिश पार्टी ने संसद के बजट सत्र के दौरान अडानी विवाद में जेपीसी की मांग और उसके बाद राहुल गांधी की सदस्यता जाने के समय ही प्रारंभ कर दी थी। पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के बुलावे पर एक दो को छोड़कर शेष विपक्षी दलों के नेतागण संसद में सरकार को घेरने जमा भी होते रहे , लेकिन कोई ठोस निर्णय नहीं हो सका। और जैसे ही जेपीसी मामले में शरद पवार ने अडानी की तरफदारी की तो कांग्रेस की वह मुहिम फुस्स होकर रह गई। राहुल को भी कानून की अदालत में ही अपना मामला ले जाना पड़ा। उसके बाद कर्नाटक के चुनाव आ गए जिसमें कांग्रेस को जोरदार सफलता मिली तो उसका मनोवैज्ञानिक लाभ लेते हुए उसने विपक्ष को अपने मंच पर जमा करते हुए ये संदेश देने का प्रयास किया कि भाजपा के विरुद्ध संयुक्त मोर्चे की अगुआई करने में वही सक्षम है। उसके बुलावे पर तमाम दिग्गज विपक्षी नेता आए भी। जिनमें शरद पवार , नीतीश कुमार , हेमंत सोरेन , स्टालिन, तेजस्वी यादव , डी राजा ,सीताराम येचुरी , फारुख अब्दुल्ला, मेहबूबा मुफ्ती आदि थे। नीतीश वैसे भी इन दिनों विपक्षी एकता के सूत्रधार बने हुए हैं । लेकिन कांग्रेस ने एकता प्रयासों के बीच भी अपनी हेकड़ी नहीं छोड़ी। जिसके चलते नवीन पटनायक , अरविंद केजरीवाल , जगनमोहन रेड्डी , पी. विजयन, के.चंद्रशेखर राव ,मायावती जैसे नेताओं को बुलावा नहीं भेजा। ममता बैनर्जी को हालांकि बुलाया गया किंतु वे बंगाल में कांग्रेस और वामपंथियों के गठबंधन से खफा होने से नहीं आईं। हास्यास्पद बात ये भी रही कि राजा और येचुरी को तो बुलाया गया किंतु केरल के वामपंथी मुख्यमंत्री को न बुलाना अटपटा सा लगा। इसी तरह पड़ोसी तेलंगाना और आंध्र के मुख्यमंत्री भी आमंत्रित नहीं किए गए। कुल मिलाकर कहें तो विपक्षी एकता के इस प्रयास में भी कांग्रेस बड़ा दिल नहीं दिखा सकी। राजनीतिक दृष्टि से देखने पर उसने उन नेताओं को बुलाने से परहेज किया जिनके राज्यों में उसे उनका विरोध करना पड़ता हैं । आंध्र , तेलंगाना , दिल्ली और पंजाब इसके उदहारण हैं। लेकिन ममता बैनर्जी को बुलाए जाने के बाद भी उनका न आना इस बात का इशारा कर गया कि कांग्रेस से भी कुछ क्षेत्रीय दलों को चिढ़ है क्योंकि उसका ऊपर उठना उनके भविष्य के लिए खतरनाक होगा। शपथ ग्रहण के बाद सीपीएम के पूर्व महासचिव और पोलित ब्यूरो सदस्य प्रकाश करात ने कांग्रेस द्वारा विपक्ष के बीच भेदभाव किए जाने पर गुस्सा व्यक्त किया । ऐसे में प्रश्न खड़ा होता है कि क्या विपक्ष की कथित एकता भी गुटबाजी का शिकार होकर रह गई ? उल्लेखनीय है सपा प्रमुख अखिलेश यादव और ममता बैनर्जी मिलकर कांग्रेस से अलग विपक्ष का तीसरा मोर्चा बनाने की पेशकश भी कर चुके हैं । उक्त आयोजन में निजी कारणों से अखिलेश भी नहीं गए और बाद में उनके और ममता की ओर से कांग्रेस को ये संदेश भी भेज दिया गया कि वह यदि 200 लोकसभा सीटों पर लड़ने राजी हो तो उसके साथ तालमेल बनाया जा सकता है। हालांकि कांग्रेस ने इसका उत्तर नहीं दिया किंतु ऐसा ही संकेत शुरुआती दौर में नीतीश भी कर चुके थे। इस सबसे लगता है कि कांग्रेस विपक्षी एकता तो चाहती है किंतु उसके भीतर श्रेष्ठता और वरिष्टता का जो भाव है , वह इसमें बाधक बन रहा है। राहुल की भारत जोड़ो यात्रा के बाद कर्नाटक का चुनाव जीतने से पार्टी का आत्मविश्वास निश्चित तौर पर बढ़ा है किंतु राजनीतिक विश्लेषक भी मान रहे हैं कि ये परिणाम 2024 के महासंग्राम की भविष्यवाणी नहीं हैं। इसका कारण ये बताया जा रहा है कि भारतीय मतदाता राज्य और केंद्र में अलग - अलग तरीके से मतदान करने लगा है। बीते दस साल में ये बात सामने आई है कि लोकसभा और विधानसभा में अलग - अलग सरकारें चुनने जैसा फैसला मतदाताओं ने किया। ये देखते हुए अनेक विपक्षी दल कांग्रेस की स्थिति में बहुत ज्यादा सुधार आने के प्रति आशंकित हैं । दूसरी तरफ कांग्रेस भी इस बात से भयभीत है कि सभी विपक्षियों को एकजुट करने के फेर में कहीं उसकी स्थिति कमजोर न हो जाए क्योंकि हर पार्टी अपने लिए हैसियत से ज्यादा मांगती है। उत्तर भारत के दो बड़े राज्यों के साथ ही बंगाल में कांग्रेस की हालत बेहद दयनीय है। ऐसे में वह विपक्ष का नेतृत्व किस प्रकार कर सकेगी ये समझ से परे है। कर्नाटक के शपथ ग्रहण को विपक्षी एकता का प्रकटीकरण कहने वाले ये भूल जाते हैं कि नवीन पटनायक ,ममता बैनर्जी , जगनमोहन रेड्डी , के. चंद्रशेखर राव , अरविंद केजरीवाल , पी. विजयन और मायावती के बिना बनाया जाने वाला विपक्षी मोर्चा महज औपचारिकता बनकर रह जायेगा। 

-रवीन्द्र वाजपेयी 


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