Tuesday 30 May 2023

भारत का सम्मान और देशवासियों का आत्मविश्वास बढ़ना सबसे बड़ी उपलब्धि



नरेंद्र मोदी सरकार ने आज अपने दूसरे कार्यकाल के चार साल पूरे कर लिए | 2014 में सत्ता में आये श्री मोदी पहले ऐसे गैर कांग्रेसी प्रधानमंत्री हैं जो लगातार दूसरा कार्यकाल बिना किसी बाधा के पूरा करने की  ओर बढ़ रहे हैं |अगले वर्ष चूंकि लोकसभा चुनाव होने वाला है इसलिए भाजपा इस अवसर का लाभ उठाकर केंद्र सरकार के बीते 9 वर्ष के कार्यों से जनता को अवगत करवाने का अभियान भी शुरू कर रही है | इसे एक तरह से उसके चुनाव अभियान की अनौपचारिक शुरुआत भी कहा जा सकता है | हालाँकि उसके पहले ही तेलंगाना , म.प्र , राजस्थान और  छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव होंगे लेकिन देश की जो राजनीतिक परिस्थितियां हैं उन्हें देखते हुए भाजपा के रणनीतिकार बिना समय गँवाए चुनाव प्रचार में बढ़त लेने का दांव चल रहे हैं | वैसे भी भाजपा अब हर चुनाव प्रधानमंत्री के व्यक्तित्व और कृतित्व के आधार पर लड़ने की आदी हो गई है | चूंकि कांग्रेस सहित बाकी विपक्षी दलों के बीच भाजपा के विरोध में गठबंधन बनाने की कवायद जोरों पर है इसलिए भी प्रधानमंत्री ने अपनी सरकार के 9 वर्ष पूर्ण होने पर पार्टी  संगठन को जनता के बीच जाकर उनकी सरकार की उपलब्धियों से अवगत कराते हुए 2024 के महासमर हेतु मोर्चेबंदी करने हेतु सक्रिय कर दिया है | नए संसद भवन के उद्घाटन के साथ ही सही मायने में प्रधानमंत्री ने अपना अभियान शुरू कर दिया | विपक्ष के अनेक दलों द्वारा  संसद भवन के उद्घाटन समारोह का बहिष्कार किये जाने से श्री मोदी को खाली मैदान मिल गया | जहाँ तक बात उनकी सरकार की उपलब्धियों की है तो इसे लेकर राय भिन्न हो सकती हैं जो लोकतंत्र में स्वाभाविक ही है | वैसे भी भारत जैसे विविधताओं से भरे देश में जहाँ दर्जनों राजनीतिक पार्टियाँ हैं , वहां किसी एक नेता के बारे में एक जैसी राय बन जाना अस्वाभाविक तो है ही , असंभव भी है | और फिर क्षेत्रीय दलों के अलावा जातिवादी राजनीति के उभार ने समूचे परिदृश्य को बदलकर रख दिया है | ऐसे में राष्ट्रीय स्तर पर देश को भावनात्मक रूप से बांधे रखना आसान नहीं होता। लेकिन श्री मोदी की इस बात के लिए प्रशंसा करनी होगी कि उन्होंने पूरे देश में एक सुदृढ़ नेता के रूप में अपनी छवि स्थापित की है। जिन राज्यों में भाजपा की सरकारें नहीं हैं उनमें भी जब प्रधानमंत्री के लिए सर्वे किया जाता है तब श्री मोदी ही बाकी सबसे आगे नजर आते हैं । इसका कारण ये है कि बतौर प्रधानमंत्री बेहद सक्रिय रहते हुए वे कुछ न कुछ नया करते रहते हैं । बीते 9 वर्ष में  उन्होंने जितना कार्य किया वह अपने आप में रिकॉर्ड है।  राम मंदिर , धारा 370  और तीन तलाक जैसे मुद्दों की बात न करते हुए आर्थिक , सामरिक और    अंतरराष्ट्रीय मोर्चे पर उनकी सरकार ने जो हासिल किया है  वह हर मापदंड पर खरा उतरता है। उनके पूर्ववर्ती जो दो प्रधानमंत्री रहे वे अपने - अपने क्षेत्र में महारथी थे। स्व.अटल बिहारी वाजपेयी अपने समकालीन राष्ट्रीय नेताओं में  सबसे लोकप्रिय और सम्मानित थे।संसदीय राजनीति में उनके लंबा अनुभव और निष्कलंक सार्वजनिक जीवन की वजह से उनके किसी भी कार्य पर उंगली उठाने का साहस विरोधी भी नहीं कर पाते थे। उनके कार्यकाल में भी परमाणु विस्फोट और कारगिल विजय के साथ वैश्विक मंचों पर भारत की  प्रतिष्ठा नई ऊंचाई पर पहुंची किंतु एक तो उनको राजनीतिक अस्थिरता से लगातार जूझना पड़ा क्योंकि उनकी पार्टी के पास पर्याप्त संख्याबल नहीं था । इसीलिए 1996 , 98 और 99 में उन्हें जल्दी - जल्दी चुनाव का सामना करना पड़ा । और फिर उनकी आयु और स्वास्थ्य भी उनके लिए समस्या बना। उनके बाद आए डा.मनमोहन सिंह की पेशेवर योग्यता को कोई चुनौती नहीं दे सकता था। एक अर्थशास्त्री के तौर पर उनका लोहा पूरी दुनिया मानती थी किंतु वे भी स्वतंत्र रहकर कार्य नहीं कर पाए। दरअसल वे राजनीति के लिए बने ही नहीं थे। इसलिए उनका दस वर्षीय कार्यकाल घपलों , घोटालों और विवादों में घिरा रहा। ये कहने में कुछ भी गलत नहीं है कि उन्हें वह श्रेय नहीं मिल सका जिसके वे हकदार रहे । लेकिन उनकी सबसे बड़ी उपलब्धि ये रही कि उन पर निष्क्रियता का आरोप भले लगता रहा किंतु उनकी व्यक्तिगत ईमानदारी पर कोई उंगली नहीं उठा सकता। ऐसे में जब श्री मोदी सत्ता में आए तो उनके पक्ष में दो बातें रहीं। अव्वल तो ये कि वे उम्र और स्वास्थ्य के मद्देनजर पूरी तरह सक्षम थे और दूसरा उनके पास पूरा बहुमत होने से वे निर्णय लेने को स्वतंत्र रहे। अटल जी के दौर में ममता , जयललिता और मायावती जैसे अवरोध आते रहे वहीं मनमोहन सिंह जी गांधी परिवार के दबाव से मुक्त नहीं हो पाए। श्री मोदी इन समस्याओं से मुक्त रहे। इसलिए उन्होंने जोखिम उठाने में संकोच नहीं किया। और यही वह कारण है जिसकी वजह से वे देश ही नहीं वरन दुनिया में एक ताकतवर नेता के तौर पर स्थापित हो सके। बीते 9 वर्ष में रामराज आ गया है ये कहना अतिशयोक्ति होगी लेकिन ये स्वीकार करना ही पड़ेगा कि उन्होंने देश को आर्थिक और सामरिक दृष्टि से एक शक्ति के रूप में खड़ा कर दिया। वैश्विक मसलों पर उनकी नीतिगत कुशलता ने  भारत को महाशक्तियों के समकक्ष हैसियत दिलवाई । बीते 9 वर्ष के  कालखंड पर दृष्टिपात करें तो ये कहा जा सकता है कि उन्होंने देश और देशवासियों का आत्मविश्वास कई गुना बढ़ाया है। पूरी दुनिया में भारत और भारतीयों का जो सम्मान बढ़ा उसका श्रेय उन्हें देना ही होगा। राजनीति के अपने दांव पेच होते हैं किंतु देशहित के बारे में सोचने पर ये लगता है कि नरेंद्र मोदी का नेतृत्व आज भारत की आवश्यकता है और यही उनकी सबसे बड़ी सफलता है।  विश्व के तमाम नेता उनको जो सम्मान देते हैं वह निश्चित तौर पर भारत की बढ़ती शक्ति का प्रमाण है ।

-रवीन्द्र वाजपेयी 


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