Monday 11 September 2017

अखाड़ा परिषद : आगे भी सतर्कता जरूरी

अभा. अखाड़ा परिषद ने फर्जी बाबाओं की जो सूची जारी की है उससे शायद ही किसी को आश्चर्य हुआ हो। इसमें तमाम ऐसे नाम हैं जो किसी न किसी कारण से विवादग्रस्त एवं बदनाम हो गये। कुछ तो जेल में हैं। इनमें सभी भ्रष्ट एवं चरित्रहीन हों ये जरूरी नहीं है परन्तु धर्म के नाम पर पाखंड फैलाना उनका सबसे बड़ा अपराध है। अखाड़ा परिषद साधु-सन्तों की सर्वोच्च प्रतिनिधि संस्था है परन्तु अब उसका पहले जैसा प्रभाव नहीं रहा, क्योंकि उसी के द्वारा तमाम ऐसे लोगों को महिमामंडित कर दिया गया जो किसी भी कसौटी पर खरे नहीं उतरते। धर्म के नाम पर जिस तरह का ढोंग तथा व्यापार चल पड़ा है उसके कारण धर्मगुरुओं के प्रति असम्मान तथा घृणा बढ़ी है। परिषद ने फर्जी बाबाओं के नाम घोषित कर बड़ा अच्छा काम किया परन्तु अगले कदम के रूप में उसे शेष बाबाओं पर भी धर्मानुकूल आचरण हेतु दबाव बनाना चाहिए। जिन फर्जी बाबाओं के नाम गत दिवस अखाड़ा परिषद ने घोषित किये वे रातों-रात प्रसिद्ध और समृद्ध तो हो नहीं गये थे। यदि वास्तविक रूप में सन्यास एवं धर्म का पालन करने वाले साधु-सन्त समय रहते इन पाखंडियों पर नजर रखते हुए लोगों को सावधान कर देते तब शायद ये नौबत नहीं आती। खैर, देर से ही सही अखाड़ा परिषद को ये ध्यान आया कि उसका काम पाखंडियों के चेहरे बेनकाब करना भी है। उसका ताजा निर्णय नकली बाबाओं की पैदायश पूरी तरह तो नहीं रोक सकता परन्तु समय-समय पर यदि अखाड़ा परिषद इसी तरह की समीक्षा करती रहे तो हालात को बेकाबू होने से जरूर बचाया जा सकेगा।

-रवींद्र वाजपेयी

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