Saturday 23 March 2019

बयानवीर गैंग कांग्रेस की मुसीबत

ऐसा लगता है कांग्रेस के कुछ नेताओं का मानसिक सन्तुलन पूरी तरह से बिगड़ चुका है। होली के त्यौहार के समय जब पूरा देश हर्षोल्लास में लीन था तब कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के निकटतम सलाहकार बने हुए सैम पित्रोदा ने बालाकोट में वायुसेना द्वारा की गई कार्रवाई पर सवाल उठाते हुए न सिर्फ  मारे गए आतंकवादियों की संख्या पर अंतर्राष्ट्रीय सूत्रों को आधार बनाते हुए शंका व्यक्त की अपितु यहां तक कह दिया कि भारत को पाकिस्तान से बातचीत करनी चाहिए क्योंकि कुछ लोगों के अपराध के लिए पूरे देश को कसूरवार नहीं माना जा सकता। उल्लेखनीय है कि श्री पित्रोदा जाने माने संचार विशेषज्ञ हैं। स्व. राजीव गांधी के शासनकाल में वे बतौर सलाहकार नियुक्त हुए और देश में मोबाइल फोन सेवा के विस्तार में सराहनीय योगदान दिया। अप्रवासी भारतीय रहे श्री पित्रौदा तभी से कांग्रेस के साथ जुड़े हैं। बीते कुछ वर्षों से वे राहुल गांधी के विदेशी दौरों का प्रबंधन कर रहे हैं। लोकसभा चुनाव के लिए कांग्रेस द्वारा बनाई गई अनेक महत्वपूर्ण समितियों में भी उन्हें रखा गया है। ऐसे में उनसे ये अपेक्षा की जाती है कि पार्टी के हितों को ध्यान रखें। लेकिन गत दिवस उनके एक बयान ने कांग्रेस की होली खराब कर दी। ज्योंही श्री पित्रोदा का बयान समाचार माध्यमों के जरिये प्रसारित हुआ त्योंही उनकी फजीहत शुरू हो गई। यहाँ तक कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तक ने बिना नाम लिए श्री पित्रोदा पर हमला बोलते हुए कांग्रेस को भी लपेटे में ले लिया। इस अप्रत्याशित मुसीबत से घबराई पार्टी के प्रवक्ता ने फौरन स्पष्ट किया कि कांगे्रस का उस बयान से कोई लेना देना नहीं है और वे श्री पित्रोदा के अपने विचार हैं। लेकिन तब तक जो नुकसान होना था वह हो चुका था। शाम होते-होते टीवी चैनल इस मुद्दे पर बहस करवाने बैठ गए। पार्टी द्वारा किनारा किये जाने के बाद उम्मीद थी कि श्री पित्रोदा अपने बयान पर खेद व्यक्त करते हुए उसे वापिस ले लेंगे लेकिन उन्होंने साफ  कह दिया कि वे अपनी बात पर कायम हैं। हालांकि उन्होंने ये भी कहा कि बयान को गलत तरह से पेश किया गया है। उनके अडिय़लपन के बाद कांग्रेस को यहाँ तक कहना पड़ा कि पार्टी श्री पित्रोदा की अभिमत से सहमत नहीं है। यद्यपि ये पहला अवसर नहीं है जब पुलवामा हमले से शुरू हुए घटनाक्रम पर कांग्रेस के किसी नेता ने आपत्तिजनक बयान दिया हो। नवजोत सिंह सिद्धू, बीके हरिप्रसाद, दिग्विजय सिंह सहित अनेक नेताओं ने वायुसेना द्वारा की गई जवाबी कार्रवाई पर जिस तरह की प्रतिक्रियाएं दीं उनकी जनता में बेहद विपरीत प्रतिक्रिया हुई। भले ही पार्टी उन सबको निजी विचार कहते हुए अपना दामन बचाती रही हो लेकिन राहुल गांधी द्वारा किसी को फटकारे नहीं जाने के कारण ये अवधारणा बनती जा रही है कि कांग्रेस जानबूझकर इस तरह के बयान दिलवाती है। वरना एक दो नेताओं के विरुद्ध यदि कार्रवाई हो जाती तब और कोई आगे बढऩे की हिम्मत शायद नहीं करता। ये बात कांग्रेसी ही नहीं पूरा देश जानता है कि सैम पित्रोदा भले ही पार्टी के शीर्ष नेताओं में शुमार न किये जाते हों लेकिन वे राहुल के भरोसेमंद सलाहकार ही नहीं चुनाव घोषणापत्र समिति के सदस्य तक हैं। गांधी परिवार से उनकी निकटता कई दशक पुरानी हो चुकी है। हालिया वर्षों में श्री मोदी द्वारा विदेश यात्राओं के दौरान वहां बसे भारतीय समुदाय के साथ सीधा संवाद करने की नकल करते हुए राहुल के वैसे ही कार्यक्रम प्रायोजित करने में श्री पित्रोदा की अग्रणी भूमिका रही। ऐसे में उनके किसी बयान को लेकर पार्टी आसानी से अपना दामन नहीं बचा सकती। यदि उसने उनके दृष्टिकोण को भी खारिज कर दिया तब बेहतर होगा उन्हें उसके लिए दंडित किया जावे। यदि ऐसा नहीं किया जाता तब जनता के मन में ये बात पक्के तौर पर बैठ जाएगी कि कांग्रेस का नेतृत्व राष्ट्रीय सुरक्षा और सेना के शौर्य को लेकर बेहद गैर जिम्मेदाराना है। कल टीवी बहस में कांग्रेस की ओर से बैठे पवन खेड़ा से जब एंकर ने केंद्र सरकार द्वारा अलगाववादी नेता यासीन मलिक के संगठन जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ्रंट को प्रतिबंधित किये जाने पर प्रतिक्रिया पूछी तब बजाय उसका स्वागत करने तथा अन्य संगठनों को प्रतिबंधित किये जाने का सुझाव देने के वे इस संगठन को महत्वहीन बताकऱ केंद्र सरकार के फैसले का मजाक उड़ाने में जुट गए। दिन में सैम पित्रोदा के बयान से पिंड छुड़ाने में लगी रही कांग्रेस के लिए श्री खेड़ा जैसे प्रवक्ता नई मुसीबत पैदा करते रहे। भाजपा पर सर्जिकल स्ट्राइक का राजनीतिकरण करने का आरोप लगाने वाली कांग्रेस यदि ऐसे संवेदनशील विषयों पर दायित्वबोध का परिचय दे तब वह अपनी छवि सुधार सकती है वरना उसके नेताओं के गैर जिम्मेदाराना बयान उसकी डूबती नाव में नीचे से छेद करने में मददगार बन रहे हैं। राहुल गांधी द्वारा प्रधानमंत्री पर रोजाना वही आरोप दोहराये जाने से भी उनकी विश्वसनीयता कम होती जा रही है। लोकसभा चुनाव की तिथियां घोषित हो जाने  के बाद कांग्रेस को चाहिये वह सरकार पर हमला करने में संयम के साथ ही बुद्धिमत्ता का भी परिचय दे क्योंकि अधकचरी मानसिकता से ग्रसित उसके कतिपय बयानवीर नेताओं की गेंग की हरकतें यदि इसी तरह जारी रहीं तब कांग्रेस लड़ाई शुरू होने के पहले ही पराजयबोध का शिकार होकर रह जाएगी।

-रवीन्द्र वाजपेयी

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