Friday 8 March 2019

जम्मू धमाका नए खतरे का संकेत

पुलवामा हमले के बाद भले ही पाकिस्तान की भाषा रक्षात्मक हो गई हो और वैश्विक दबाव में वह मसूद अजहर और हाफिज सईद पर शिकंजा कसने का नाटक कर रहा हो लेकिन जम्मू-कश्मीर में सक्रिय आतंकवादी अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहे। 14 फरवरी के बड़े आतंकवादी हमले के बाद भी कश्मीर घाटी में आतंकवादियों के साथ सुरक्षा बलों की मुठभेड़ लगभग रोजाना ही होती है।  इससे साबित होता है कि अभी उनके हौसले पस्त नहीं हुए हैं।  इसका ताजा प्रमाण गत दिवस जम्मू शहर के मोटर स्टैंड पर हुए धमाके से मिला।  इसमें 1 व्यक्ति की मौत हो गई जबकि तकरीबन तीन दर्जन घायल हैं। ग्रेनेड से किये गए इस विस्फोट के जिम्मेदार को थोड़ी देर बाद ही गिरफ्तार भी कर लिया गया। लेकिन इस वारदात का चिंताजनक पहलू ये है कि कश्मीर घाटी के बाहर जम्मू के भीड़ भरे मोटर स्टैंड को आतंवादियों ने अपना निशाना बनाया। हालांकि जम्मू में पहले भी इस तरह के हमले हुए हैं लेकिन कश्मीर घाटी की तुलना में उनकी संख्या उँगली पर गिने जाने लायक ही है। उल्लेखनीय है जम्मू पूरी तरह से हिन्दू बहुल इलाका है। उस कारण से वहां पाकिस्तान समर्थक आतंकवादियों को घाटी जैसा स्थानीय समर्थन और संरक्षण नहीं मिल पाता। यही कारण है कि जम्मू और उसके आसपास के इलाके आतकंवाद से उतने पीडि़त नहीं हुए। लेकिन कल के हमले के बाद सुरक्षा बलों को अपनी सतर्कता बढ़ानी होगी। बड़ी बात नहीं कि घाटी में बढ़ते दबाव और चौतरफा घेराबंदी की वजह से आतंकवादी संगठन अपनी रणनीति में बदलाव करते हुए जम्मू क्षेत्र में अपनी गतिविधियां तेज कर दें। यद्यपि उन्हें स्थानीय स्तर पर घाटी जैसा सहयोग तो नहीं मिलेगा लेकिन बीते कुछ वर्षों में मुस्लिम आबादी योजनाबद्ध तरीके से बनिहाल दर्रे के नीचे के क्षेत्र में बसाने का काम हुआ है।  करीब-करीब यही कारगिल से ऊपर लद्दाख अंचल में महसूस किया जा सकता है। घाटी के दोनों मुख्य क्षेत्रीय दलों नेशनल कांफे्रंस और पीडीपी का प्रभावक्षेत्र मुख्यरूप से अभी तक केवल घाटी तक ही सिमटा हुआ था। मुस्लिम आबादी को जम्मू कहे जाने वाले क्षेत्र में बसाने के पीछे का मकसद उनका प्रभावक्षेत्र बढ़ाना भी है।  इस आधार पर कल के धमाके को आतंकवादियों के विस्तार के रूप में देखते हुए सुरक्षा बलों को अतिरिक्त सतर्कता बरतनी चाहिए। पाकिस्तान की ये कार्यप्रणाली रही है कि वह आतंकवादी संगठनों के माध्यम से भारत को परेशान करने के नए तरीके ढूंढता रहता है। जम्मू का धमाका ऐसी ही किसी नई दीर्घकालीन रणनीति का हिस्सा हो सकता है। यूँ भी भारत से शिकस्त खाने के बाद वह खीझ निकालने से बाज नहीं आता। बड़ा हमला करने पर चूंकि उसकी विश्वव्यापी चर्चा होती है इसलिये आतंकवादी इसी तरह के छोटे-छोटे धमाके करते हुए देश की आंतरिक सुरक्षा के लिये परेशानी पैदा कर सकते हैं। ये भी मुमकिन है कि जम्मू जैसी वारदात अन्य राज्यों में भी की जाएं। लोकसभा चुनाव के दौरान भी पाकिस्तान ऐसा कुछ कर सकता है जिससे भारत के भीतर अफरातफरी तथा असुरक्षा का माहौल बना रहे।

-रवीन्द्र वाजपेयी

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