Wednesday 6 March 2019

कांग्रेस के दुर्घटनाग्रस्त होने का खतरा

दिग्विजय सिंह को नौसिखिया कहना तो गलत होगा। अच्छा-खासा पढ़े लिखे हैं। विधायक और सांसद रहने के अलावा दस वर्ष तक मप्र जैसे बड़े राज्य के मुख्यमंत्री भी रहे हैं। कांग्रेस ने उन्हें राष्ट्रीय महासचिव बनाकर कई राज्यों का दायित्व भी दिया। यद्यपि वे जिन राज्यों के प्रभारी बने वहां पार्टी का बंटाधार करवा आए। उस वजह से कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी उन्हें हॉशिये पर धकेलते जा रहे थे किन्तु मप्र में कांग्रेस की सरकार बन जाने से वे फिर प्रासंगिक हो गए। ये भी कहा जाने लगा कि कमलनाथ सरकार को परदे के पीछे से श्री सिंह ही चला रहे हैं। लेकिन हाल ही में उनके किसी  बयान पर एक युवा मंत्री उमंग सिंगार ने जिस शैली में उन्हें जवाब दिया उससे ये संकेत गया कि मुख्यमंत्री श्री नाथ उनके हस्तक्षेप से मुक्ति पाना चाह रहे हैं। उस घटना के बाद से श्री सिंह कुछ शांत थे लेकिन गत दिवस ट्विटर पर उनकी एक टिप्पणी ने विवाद पैदा कर दिया जिसमें उन्होंने पुलवामा में हुए आतंकवादी हमले को दुर्घटना बता दिया। अन्य कांग्रेस नेताओं की तरह से श्री सिंह ने भी बालाकोट में की गई एयर स्ट्राइक में मारे गए पाकिस्तानियों की संख्या पर सवाल उठाते हुए प्रमाण मांगे लेकिन पुलवामा की आतंकी वारदात को दुर्घटना का नाम देकर उन्होंने अपनी उस छवि को ताजा कर दिया जो हिन्दू आतंकवाद और दुनिया के सबसे कुख्यात आतंकवादी को ओसामा जी कहकर आदर देने से बनी थी। हालांकि रास्वसंघ और भाजपा को लेकर वे समय-समय पर विवादास्पद टिप्पणियां करते रहते हैं लेकिन पुलवामा हमले को दुर्घटना कहकर उन्होंने अप्रत्यक्ष तौर पर ही सही किन्तु आतंकवादियों को क्लीन चिट देने जैसी गलती कर दी। ऐसे समय जबकि पाकिस्तान एयर स्ट्राइक को लेकर भारत के तमाम नेताओं और कतिपय पत्रकारों के बयानों का भारत विरोधी प्रचार में उपयोग कर रहा है तब देश के एक वरिष्ठ नेता द्वारा पुलवामा में हुए आतंकवादी हमले को महज दुर्घटना कह देने से पाकिस्तान को यह कहने का अवसर मिल गया कि भारत उस पर निराधार दोषारोपण कर रहा है। चूंकि श्री सिंह ने अभी तक अपनी टिप्पणी को न वापिस लिया और न ही उस पर खेद जताया इसलिए कहा जा सकता है कि उन्होंने वह ट्वीट पूरे होशो-हवास में किया था। वैसे भी उनकी जो फितरत है उसके आधार पर उनसे ये अपेक्षा भी नहीं की जाती किन्तु घरेलू राजनीति में भले ही वे गैर जिम्मेदार और आपत्तिजनक बातें कहते रहें किन्तु जिस प्रकरण से देश की सुरक्षा और सम्मान जुड़ा हो उसके विषय में बोलने से पहले किसी वरिष्ठ राजनेता को पूरी तरह सोच-समझकर अपनी राय रखनी चाहिए। पूरा देश पुलवामा हमले के कारण आक्रोशित हो उठा था जिससे केंद्र सरकार पर 40 से भी ज्यादा फौजियों  की शहादत का बदला लेने का दबाव पडऩे लगा। भारत ने पाकिस्तान पर उक्त आतंकवादी हमले को प्रायोजित करने वाले संगठन जैश ए मोहम्मद को पालने - पोसने का आरोप लगाते हुए वैश्विक स्तर पर उसकी जबर्दस्त घेराबंदी की जिसका सकारात्मक असर हुआ उससे प्रोत्साहित होकर भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तान के बालाकोट इलाके में स्थित जैश के प्रशिक्षण शिविर पर बमबारी कर उसे ध्वस्त कर दिया। 300 आतंकवादियों के मारे जाने का दावा भी किया गया। इस दावे पर तो काफी सवाल उठे और अभी भी उठाये जा रहे हैं लेकिन पुलवामा हमले को महज दुर्घटना कहने का दुस्साहस किसी ने नहीं किया। इसलिये दिग्विजय सिंह के ट्वीट से हर समझदार और सुलझे हुए व्यक्ति को दुख भी हुआ और गुस्सा भी आया। भले ही उसे राजनीतिक रस्साकशी कहकर उपेक्षित कर दिया जाए किन्तु इस तरह की टिप्पणी को केवल सियासी रंग देकर हवा में उड़ा देना सही नहीं होगा। ये देखते हुए कि पाकिस्तान अपने बचाव में ऐसी किसी भी टिप्पणी अथवा बयान का जमकर उपयोग कर रहा है दिग्विजय सिंह सदृश अनुभवी नेता को कुछ कहने के पहले राजनीतिक नफे-नुकसान से ऊपर उठकर देश के व्यापक हितों के बारे में सोचना चाहिये। प्रधानमंत्री और भाजपा के विरुद्ध बोलने और लिखने के लिए श्री सिंह और मुद्दों का सहारा ले सकते हैं। नीतिगत मतभेद और सैद्धांतिक विरोध लोकतंत्र की प्राणवायु जैसे हैं लेकिन जब देश की सुरक्षा, संप्रभुता और साख का सवाल हो तब संकीर्णता त्यागकर सभी को एक आवाज में बोलना चाहिए। दुर्भाग्य से हमारे देश की राजनीति पर इन दिनों गैर जिम्मेदाराना सोच हावी होती जा रही है। दिग्विजय सिंह अकेले नहीं हैं जो समय-समय पर अपनी बयानबाजी से खुद तो हास्यास्पद और विवादास्पद बनते ही हैं अपनी पार्टी को भी शर्मसार करते हैं। मणिशंकर अय्यर, नवजोत सिंह सिद्धू, शशि थरूर और मनीष तिवारी जैसे नेताओं के बयानों से पार्टी को पल्ला झाडऩा पड़ता है। लेकिन पता नहीं क्यों उन्हें ये हरकत दोहराने से नहीं रोका जाता। कांग्रेस के उच्च नेतृत्व को इस बारे में गम्भीरता से सोचना चाहिये क्योंकि इस तरह की बयानबाजी से पार्टी को जबर्दस्त नुकसान होता है। बहरहाल दिग्विजय सिंह ने पुलवामा हमले को महज दुर्घटना बताकऱ अपनी छवि को तो बरकरार रखा किन्तु कांग्रेस को बैठे-बिठाए नजरें झुकाने की स्थिति में ला दिया।

-रवीन्द्र वाजपेयी

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