Thursday 24 October 2019

सौरव गांगुली : कप्तानी की दूसरी पारी



ऐसे समय में जब भारतीय क्रिकेट विश्वस्तर पर अपनी धाक ज़माने में सफल हो चुका है तब ये सुखद संयोग ही है कि भारतीय टीम के पूर्व कप्तान सौरव गांगुली ने बीसीसीआई (भारतीय क्रिकेट कण्ट्रोल बोर्ड) की कमान संभाल ली। क्रिकेट की समझ रखने वाले तमाम विश्लेषक बेहिचक मानते हैं कि भारतीय क्रिकेट आज जिस आक्रामक अंदाज के लिए प्रसिद्ध है उसके पीछे सौरव की कप्तानी का वह दौर है जब उन्होंने भारतीय टीम में केवल आंकड़ों के लिए नहीं वरन जीतने के लिए खेलने की भावना का संचार किया। खेल प्रेमियों को इंग्लैण्ड में लॉड्र्स के पैविलियन की बालकनी में अपनी कमीज उतारकर हवा में लहराते हुए जीत की खुशी व्यक्त करने का उनका अंदाज आज भी याद होगा। दादा के नाम से लोकप्रिय सौरव को बोर्ड का अध्यक्ष चुने जाने के पीछे भाजपा अध्यक्ष अमित शाह की भूमिका भी बताई जा रही है। राजनीतिक क्षेत्र में चल रही चर्चाओं के अनुसार श्री शाह उनको बंगाल विधानसभा चुनाव में भाजपा का चेहरा बनाकर पेश करने की योजना बना चुके हैं। यद्यपि इसकी किसी भी तरफ  से पुष्टि नहीं हुई लेकिन यहाँ चर्चा केवल बीसीसीआई के संचालन पर ही सीमित रखना उचित होगा। कहा जा रहा है कि महाराज कुमार विजयनगरम 'विजीÓ के बाद सौरव पहले ऐसे खिलाड़ी हैं जो भारतीय टीम के कप्तान रहने के बाद बोर्ड की कप्तानी भी कर रहे हैं। यहां ये बताना जरूरी है कि बीसीसीआई दुनिया के सबसे धनी खेल संघों में हैं। बिना भारतीय टीम के विश्व क्रिकेट की कल्पना तक नहीं की जा सकती। आईपीएल शुरू होने के बाद से तो भारत ने इंग्लैण्ड के काउंटी क्रिकेट के साथ ही आस्ट्रेलिया के क्लब क्रिकेट तक की रंगत फीकी कर दी है। हालांकि इस आयोजन में भ्रष्टाचार भी जमकर हुआ जिसके छींटे बड़े-बड़े उद्योगपतियों, राजनेताओं और खिलाडियों तक पर पड़े। उसके बाद से ही ये कहा जाने लगा कि खेल संघों का प्रशासन बजाय दीगर क्षेत्रों के खेल से जुडी हस्तियां ही करें। बीसीसीआई अकेला खेल संघ नहीं है जिस पर खिलाडिय़ों की बजाय नेताओं, उद्योगपतियों और पूर्व राजा महाराजाओं का कब्जा रहा। हॉकी, फुटबाल, बैडमिन्टन, कुश्ती, मुक्केबाजी, तीरंदाजी, सायकिलिंग जैसे तमाम खेलों के प्रशासन में खिलाडिय़ों की भूमिका निर्णायक नहीं रहने से ही देश खेलों में अपेक्षित प्रगति नहीं कर सका। लेकिन बीते कुछ सालों में हालात थोड़े से बदले हैं। खेल संघों में भ्रष्टाचार की चर्चा संसद से सर्वोच्च न्यायालय तक जा पहुंची। आईपीएल घोटाले के बाद तो सर्वोच्च न्यायालय ने उस आयोजन के संचालन हेतु भी अपनी ओर से व्यक्ति को नामंाकित किया। ये भी शुभ संकेत है कि क्रिकेट की चकाचौंध से निकलकर अब अन्य खेलों में भी प्रायोजक मिलने लगे हैं। कबड्डी इसका सबसे बड़ा उदाहरण है। लॉन टेनिस और बैडमिन्टन के साथ ही कुश्ती और मुक्केबाजी में भारतीय खिलाड़ी विश्व प्रतियोगिताओं में पदक हासिल करने लगे हैं। बहरहाल क्रिकेट की बात और्रों से हटकर है क्योंकि यह खेल और इसका प्रशासन करने वाला बीसीसीआई सोने के अंडे देने वाली मुर्गी जो बन गया है। ऐसे में जब विश्व क्रिकेट में भारत का दबदबा इंग्लैण्ड, आस्ट्रेलिया, वेस्ट इंडीज और दक्षिण अफ्रीका की बराबरी का हो चुका हो तब ये जरूरी हो गया था कि बीसीसीआई की कमान भी ऐसे किसी व्यक्ति के हाथ आये जो विशुद्ध रूप से खिलाड़ी रहा हो और जिसकी चिंता केवल भारतीय टीम को विश्वस्तरीय बनाये रखने में हो। सौरव गांगुली उस दृष्टि से सबसे अच्छा चयन कहा जा सकता है। बीते कुछ समय से टीम और प्रबन्धन को लेकर कुछ विवाद चर्चाओं में आये। मौजूदा कप्तान विराट कोहली और कुछ खिलाडिय़ों के बीच खटपट की खबरें भी उड़ीं। प्रशिक्षक और टीम मैनेजर के बारे में भी विवाद होने की जानकारी सामने आई। पूर्व कप्तान महिंद्र सिंह धोनी के सन्यास संबंधी अनिश्चितता भी सुखिऱ्यों में है। लेकिन इस सबके बीच सौरव को बीसीसीआई की कमान सौंपे जाने से इस खेल संगठन और टीम के बीच संवाद बेहतर तरीके से कायम हो सकेगा। श्री गांगुली आधुनिक और पेशेवर सोच रखने वाले खिलाड़ी और कप्तान रहे हैं। उन्हें खेल और खिलाडिय़ों के बारे में छोटी से छोटी जानकारी है। उनके साथ जुड़ी समस्याओं से भी वे बखूबी वाकिफ  हैं। कप्तान रहते हुए उन्हें टीम के प्रशिक्षक और प्रबन्धन से जो परेशानियां झेलनी पड़ीं उनका अनुभव उन्हें नये दायित्व के निर्वहन में सहायक बनेगा। अब ये सौरव पर निर्भर करेगा कि वे टीम की कप्तानी वाला जोश इस नई पारी में किस तरह दिखा पाते हैं क्योंकि खेल के मैदान में तो जो होता है वह पूरी दुनिया को दिखाई देता है जबकि बीसीसीआई के भीतर होने वाला खेल नजर नहीं आता। सौरव को इस पद पर काम करने के लिए एक साल से भी कम का समय मिलेगा लेकिन वे इसका उपयोग इस खेल संगठन को गैर खिलाडिय़ों के शिकंजे से मुक्त करवाने में कर सके तो ये बड़ी उपलब्धि होगी। क्रिकेट में रूचि रखने वाले हर व्यक्ति की शुभकामनाएं उनके साथ हैं।

- रवीन्द्र वाजपेयी


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