Tuesday 1 October 2019

हनीट्रैप : ट्रेलर आया पिक्चर बाकी

मप्र में इन दिनों जिस हनीट्रैप की चर्चा हर किसी की जुबान पर है उसे लेकर रोचक बात ये है कि जिन महिलाओं ने अपने मोहपाश में राजनेताओं और सरकारी अधिकारियों को फंसाकर पैसे ऐंठे उनके नाम और चेहरे तो सामने आ गए लेकिन जो लोग इन सुन्दरियों के जाल में फंसे उनके नाम हालांकि संचार माध्यमों विशेष रूप से सोशल मीडिया पर उछल रहे हैं लेकिन उनमें से किसी ने भी अभी तक ये कहने का साहस नहीं दिखाया कि ये सब असत्य और उनके चरित्र हनन का षडय़ंत्र है। अनेक वीडियो भी सार्वजनिक हो चुके हैं जिनमें कई पूर्व और वर्तमान नेता शर्मनाक स्थिति में देखे जा सकते हैं। कुछ समय पहले एक वरिष्ठ अधिकारी का ऐसा ही वीडियो उजागर होने के बाद उन्हें पद से हटा दिया गया था। जैसे दावे किये जा रहे हैं उनके अनुसार पूर्व हो चुके एक राज्यपाल और मुख्यमंत्री के अलावा सांसद रहे अनेक नेता भी हनीट्रैप में फंसे थे। कुछ वर्तमान जनप्रतिनिधियों के दामन पर भी दाग बताये जा रहे हैं। ये मामला केवल देह व्यापार का न होकर सीधे-सीधे भयादोहन का है। जिन महिलाओं ने इस पूरे मामले को अंजाम दिया उन्होंने शासन और प्रशासन के उच्च पदों पर बैठे लोगों की चारित्रिक कमजोरी का लाभ उठाते हुए जमकर आर्थिक लाभ अर्जित किया। नगद राशि, जमीन-जायजाद और सुख-सुविधा के तमाम साधन भी उसी से जुटाए गए। ये कारोबार बरसों से चला आ रहा था। जब इंदौर के एक इंजीनियर ने ब्लैकमेल में माँगी जा रही बड़ी रकम देने में असमर्थ होने पर पुलिस में शिकायत की तब जाकर भंडाफोड़ हुआ और उसके बाद पुलिस के हाथ वे रिकार्डिंग्स आईं जिनके जरिये वे फंसे हुए नेताओं और अफसरों से वसूली किया करती थीं। मामला खुला तो पुलिस भी सक्रिय हुई। जाँच दल बना लेकिन उसमें भी ताबड़तोड़ बदलाव हुए। सम्बन्धित थाना के प्रभारी हटा दिए गए। जिस वरिष्ठ अधिकारी को जाँच का मुखिया बनाया गया वह बीच में ही छोड़कर अलग हो गया। और उसके बाद पुलिस महानिदेशक स्तर के दो अधिकारियों के बीच शीतयुद्ध शुरू होने से जांच की दिशा भटकने का खतरा भी नजर आने लगा। विवाद सार्वजनिक होने पर मुख्यमंत्री कमलनाथ को हस्तक्षेप करना पड़ा और गत दिवस उन्होंने प्रदेश के दो-तीन सर्वोच्च अधिकारियों को बिठाकर उनकी खिंचाई करते हुए इस बात पर ऐतराज भी जताया कि बीते कुछ महीनों से किसके कहने पर इस कांड की निगरानी चल रही थी और खुलासा होने पर जाँच के लिए एंटी टेररिस्ट दल को क्यों लगाया गया ? मुख्यमंत्री ने और क्या-क्या कह़ा ये तो पता नहीं चला लेकिन जिस तरह दो वरिष्ठ पुलिस अधिकारी खुलेआम लड़े और उसके बाद कमलनाथ को बैठकर पंचायत करवानी पड़ी उससे ये साबित हो गया कि मामला बेहद संगीन है और जाँच में सच्चाई उजागर किये जाने की बजाय उस पर पर्दा डालने की चाल चली जा रही है। इसकी वजह केवल नेताओं का ही नहीं अपितु पुलिस और प्रशासन के तमाम अधिकारियों का भी फंसना है। सबसे बड़ी बात ये है कि हनीट्रैप के जरिये जो गलत-सलत काम करवाए गए उनका खुलासा होने पर पूरा प्रशासनिक ढांचा ही कठघरे में खड़ा हो जायेगा। कमलनाथ की समूची राजनीति का आधार प्रशासनिक अधिकारी ही रहे हैं और इस कांड में उनके कुछ चहेते अफसरों के चेहरों पर भी कालिख पुतने की आशंका को खारिज नहीं किया जा सकता। ये बात भी सही है कि जो महिलाएं पकड़ी गईं हैं वे सब बेहद शातिर और निडर होने से किसी के बारे में भी मुंह खोलकर अप्रत्याशित धमाका कर सकती हैं। यही वजह है कि उनके पास से जप्त वीडियो फिल्मों को लेकर जबर्दस्त गोपनीयता बरती जा रही है। वैसे एक चर्चा ये भी है कि उनका उपयोग राजनीतिक ब्लैकमेलिंग के लिए भी किया जा सकता है जिसका उद्देश्य राज्य सरकार के स्थायित्व पर मंडराने वाले खतरे को पूरी तरह से समाप्त कर देना है। गौरतलब है कि जबसे ये मामला प्रकाश में आया उसके बाद कमलनाथ सरकार को गिराने की भाजपाई हुंकारें शांत होकर रह गईं हैं। हो सकता है इसीलिये मुख्यमंत्री ने वरिष्ठ अधिकारियों को ज्यादा तेजी दिखाने से रोका हो। ये भी सच है कि जितनी देर होती जायेगी सबूतों से छेड़छाड़ की आशंका उतनी ही बढ़ती जायेगी। वैसे ये प्रकरण नेताओं और अधिकारियों की बजाय समाज के किसी और वर्ग से सम्बंधित होता तब शायद अभी तक तो पुलिस के सूरमा पत्रकार वार्ता करते हुए अपनी पीठ ठोंकने का पराक्रम दिखाते नजर आते लेकिन मामला चूंकि शासन और प्रशासन से जुड़े बड़े लोगों का है इसलिए बड़े-बड़े परदे खींच दिए गए हैं। बहरहाल ये सवाल जोरदारी से उठ रहा है कि जिन नेताओं और बाकी लोगों के नाम हनीट्रैप में चर्चित हो रहे हैं उनमें से कोई अभी तक अपना चरित्र प्रमाणपत्र लेकर मैदान में नहीं उतरा। ये भी कहा जा रहा है कि जिनके नाम अभी तक चर्चा में और करतूत कैमरे में नहीं आईं उनमें से भी अनेक सफेदपोशों के माथों पर पसीने की बूंदें छलछला रही हैं। ये कहना भी गलत नहीं होगा कि जो सामने आया वह तो ट्रेलर मात्र है। पूरी पिक्चर अभी बाकी है।

-रवीन्द्र वाजपेयी

No comments:

Post a Comment