Thursday 20 February 2020

गड़करी आ जाएं तो अच्छा ही होगा



सर्वोच्च न्यायालय द्वारा केन्द्र सरकार के किसी मंत्री को बिना सम्मन भेजे पर्यावरण संरक्षण जैसे विषय पर सलाह हेतु आमंत्रित करना अच्छा निर्णय है। गत दिवस सार्वजनिक परिवहन हेतु इलेक्ट्रानिक वाहनों के उपयोग संबंधी याचिका पर सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश एस.ए.बोवड़े ने सरकार के जवाब पर नाराजगी जताते हुए कहा कि पटाखे और पराली से उत्पन्न प्रदूषण तो अस्थायी होता है जबकि वाहनों से होने वाला प्रदूषण हर समय जारी रहता है। चूँकि परिवहन मंत्री नितिन गड़करी ने पहल करते हुए सार्वजनिक परिवहन हेतु इलेक्ट्रानिक वाहनों के उपयोग पर काफी जोर दिया इसलिए अदालत ने उनसे सलाह करने का फैसला किया। यद्यपि सरकारी वकील ने मंत्री को बुलाने पर ऐतराज करते हुए कहा कि इसका राजनीतिक असर होगा किन्तु मुख्य न्यायाधीश ने स्पष्ट किया कि श्री गड़करी को कोई लिखित आदेश नहीं भेजा जायेगा। ये महज आमंत्रण है और वे आने के लिए बाध्य नहीं हैं। विभागीय अधिकारी उनके आने के बारे में सुनिश्चित करें। यद्यपि बाद में अदालत ने मंत्री को बुलाने का आग्रह वापिस लेकर किसी अधिकारी को भेजने पर सहमति जताई। दरअसल अदालत ये जानना चाहती है कि सरकार के पास इलेक्ट्रानिक वाहनों को लेकर क्या योजना है? इस बीच ये खबर भी आ गई कि एक अप्रैल से देश में भारत चरण-6 के अंतर्गत सबसे स्वच्छ पेट्रोल-डीजल उपलब्ध होने लगेगा। चूँकि अप्रैल 2020 के बाद वाहन निर्माता बीएस-4 वाहन नहीं बेच सकेंगे और बीएस-5 को छोड़कर सीधे बीएस-6 वाहन ही सड़कों पर आएंगे इसलिए पेट्रोलियम कंपानियों ने अंतर्राष्ट्रीय मानकों के अनुरूप ही बीएस-6 स्तर का ईंधन उपलब्ध करवाने की व्यवस्था की है। इसके लिये 35 हजार करोड़ रु. खर्च किये जा चुके हैं। अभी वाहन कंपनियों के पास जो स्टाक है उसे अप्रैल तक बेचना ही होगा। इसी तरह जो वाहन इस समय चलन में हैं वे भी एक अवधि के बाद बाहर कर दिए जावेंगे। सार्वजनिक परिवहन हेतु इलेक्ट्रानिक वाहनों के उपयोग की दिशा में श्री गड़करी मंत्री बनने से पहले से काम करते आ रहे हैं। शायद इसीलिए सर्वोच्च न्यायालय ने वाहनों से होने वाले प्रदूषण को रोकने के लिए बजाय विभागीय अधिकारियों द्वारा प्रस्तुत की जाने वाली कागजी रिपोर्ट के सीधे मंत्री से ही बात करने का मन बनाया। ये भी कहा जा सकता है कि नागपुर के होने के कारण मुख्य न्यायाधीश श्री गड़करी से परिचित भी हैं इसलिए उन्होंनें ये उचित समझा कि क्यों न उन्हीं को अदालत में बुलाकर सरकारी योजना के बारे में जानकारी ली जावे। बहरहाल उक्त दोनों खबरें पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूकता का प्रमाण हैं। सर्वोच्च न्यायालय का ये आकलन पूरी तरह सही है कि पटाखे और पराली जलने से होने वाला प्रदूषण तो कुछ समय तक ही रहता है जबकि वाहनों से होने वाला प्रदूषण पर्यावरण के लिए सबसे बड़ी समस्या बन गया है। दिल्ली-मुम्बई जैसे महानगरों में हजारों की संख्या में सार्वजनिक और लाखों की संख्या में निजी वाहन चलने से जो धुंआ निकलता है वह वायु प्रदूषण का सबसे बड़ा कारण है। इलेक्ट्रानिक सार्वजनिक वाहनों के जरिये इसमें काफी कमी लाई जा सकती है। इसी तरह बीएस -6 स्तर के वाहनों के सड़कों पर आने और उसी मानक के स्वच्छ पेट्रोल-डीजल की उपलब्धता से वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने की दिशा में हो रहे प्रयास सफलीभूत होंगे ये उम्मीद भी की जा सकती है। बहरहाल भले ही सर्वोच्च न्यायालय ने श्री गड़करी को बुलाने का आमन्त्रण वापिस ले लिया हो लेकिन अच्छा होगा यदि वे न्यायाधीश के समक्ष उपस्थित होकर इलेक्ट्रानिक वाहनों संबंधी कार्ययोजना की जानकारी दें। मुख्य न्यायाधीश ने इस बारे में आश्वस्त किया कि याचिकाकर्ता के अधिवक्ता उनसे कोई प्रश्न नहीं करेंगे। वैसे इस विषय पर श्री गड़करी का अध्ययन और अनुभव इतना समृद्ध है कि वे किसी भी सवाल का जवाब दे सकते हैं। यद्यपि किसी मंत्री को अदालत में इस तरह आमंत्रित करना स्थापित परम्परा नहीं बननी चाहिए लेकिन जिस विषय पर मुख्य न्यायाधीश ने ये पहल की वह इतना सामयिक और संवेदनशील है कि यदि श्री गड़करी अदालत में आकर सरकार का पक्ष जाहिर करें तब पर्यावरण संरक्षण के प्रति पूरे देश में वैसी ही जागृति आने की सम्भावना बढ़ेगी जैसी स्वच्छता मिशन की शुरुवात में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा खुद झाड़ू उठाने से आई थी। अप्रैल माह में बीएस-6 वाहनों के सड़कों पर उतरने और वैश्विक मानक के अनुरूप स्वच्छतम ईंधन की उपलब्धता से वाहनों द्वारा फैलाये जाने वाले प्रदूषण पर काफी नियंत्रण हो सकेगा जिसके परिणामस्वरूप साँस के साथ फेफड़ों में जाने वाले जहर को रोका जा सकेगा। इलेक्ट्रानिक सार्वजनिक वाहनों का उपयोग भी बहुत ही क्रांतिकारी कदम होगा और इस दिशा में जितनी जल्दी काम हो सके उतना अच्छा रहेगा। सर्वोच्च न्यायालय द्वारा सलाह लेने के लिये श्री गड़करी को आमंत्रित करने की बात खुलकर कहने से उनकी वजनदारी और बढ़ी है। मोदी सरकार के तमाम मंत्रियों में नितिन जी सफलतम मंत्री माने जाते हैं तथा जनता के बीच भी उनकी छवि लक्ष्य निर्धारित कर उसे प्राप्त करने वाले शख्स की है।

-रवीन्द्र वाजपेयी

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