Tuesday 24 March 2020

घर में रहिये : कोरोना से बचिये




कोरोना के बढ़ते मरीजों के कारण देश के 500 से अधिक शहरों में लॉक आउट के बाद भी जब हालात नहीं सुधरे तब क र्यू लगाने की नौबत आ गई।  पंजाब और महाराष्ट्र सरकार ने पूरे राज्य में क र्यू का फैसला लिया। मप्र के भी कुछ शहरों में क र्यू लगा दिया गया  है। ये इस बात का संकेत है कि आम जनता ने इस महामारी से लडऩे के प्रति अपेक्षित गंभीरता नहीं दिखाई। अशिक्षित वर्ग यदि ऐसे अवसरों पर लापरवाही दिखाए तो बात समझ में आती है किन्तु जब पढ़े लिखे और हर दृष्टि से जानकार लोग भी आपदा के समय गैर जि मेदाराना आचरण  करें तब शासन और प्रशासन को स त होना ही पड़ेगा। कोरोना कोई  सा प्रदायिक दंगा नहीं है। न ही ये किसी प्रकार के आन्दोलन  से उपजी क़ानून व्यवस्था की परिस्थिति है। यह एक ऐसी  महामारी है जिसके आगे दुनिया के विकसित देश तक असहाय नजर आ रहे है। चीन से शुरू हुई इस बीमारी से  अमेरिका , फ्रांस , इटली , स्पेन , इंग्लैण्ड और जर्मनी जैसे विकसित देश तक नहीं बच सके जहां स्वास्थ्य सेवाएँ काफी उच्च स्तरीय हैं। जबकि  भारत में इसका मुकाबला करने की क्षमता तुलनात्मक रूप से बहुत ही कम है। ऊपर से ये बीमारी मानवीय संपर्क से फैलती है। भारत में जनसं या का घनत्व ज्यादा होने से लोगों का एक दूसरे से संपर्क में आना बहुत ही सामान्य है। सार्वजानिक स्थलों पर भीड़ की वजह से उसे रोक पाना और भी कठिन है। बसों , रेलगाडिय़ों आदि में जिस तरह लोग ठूंस - ठूंसकर  भरे होते हैं उसकी वजह से संक्रमण फैलने का खतरा बढ़ जाता है। ये हमारी खुशकिस्मती है कि अभी तक भारत में कोरोना उक्त देशों की तुलना में खतरे  के निशान से ऊपर नहीं गया लेकिन जिस तरह के समाचार नित्यप्रति मिल रहे हैं उन्हें देखते हुए ये कहना गलत नहीं होगा कि यदि फौरन आपातकालीन आचरण नहीं किया गया तो भारत में वह अपना असली रौद्र रूप दिखाने से बाज नहीं आयेगा। केरल और महाराष्ट्र में देश के एक तिहाई मामले सामने आये हैं। लेकिन जिस राज्य में इक्का - दुक्का मरीज भी हैं उनमें भी खतरा उतना ही है। क्योंकि एक मरीज के स पर्क में आने वाला हर व्यक्ति कोरोना के विस्तार का कारण बन सकता है। जबलपुर में एक आभूषण  व्यवसायी की लापरवाही ने आधा  दर्जन लोगों को संक्रमित कर दिया। उसके स पर्क में आये बाकी लोगों के बारे में अभी जानकारी नहीं है जिससे प्रशासन और जनता दोनों आशंकित है। ऐसी ही लापरवाही देश में कोरोना  के मरीजों  की सं या में लगातार हो रही बढ़ोतरी का कारण बन रही है। देश में मौजूद स्वास्थ्य सेवाओं के मद्देनजर ये जरूरी हो गया है कि पूरा देश कुछ दिनों के लिए घरों में बंद रहे। हालाँकि ऐसा कहना आसान है लेकिन इसके  सिवाय अब कोई दूसरा रास्ता नहीं बच रहा। प्रधानमन्त्री ने भी कल लॉक डाउन का पालन नहीं होने पर नाराजगी जताते हुए स ती बरतने के  लिए कहा। उसी के बाद महाराष्ट्र और पंजाब में क र्यू लगा वहीं कुछ राज्यों ने चुनिन्दा शहरों में निषेधाज्ञा पूरी तरह से लागू करने का निर्णय लिया जो हर दृष्टि से उचित है। दिल्ली में अनेक महीनों से चले आ रहे शाहीन बाग के धरने का त बू भी हटा दिया गया। हालाँकि क र्यू के बावजूद आवश्यक सेवाओं को रियायत दी  गई है लेकिन उसकी आड़ लेकर कुछ लोग अनुशासन तोडऩे का जो दुस्साहस करते हैं वह एक तरह से देश विरोधी कार्य है। शासन औरर प्रशासन तो ऐसे लोगों के विरुद्ध कार्रवाई कर  ही रहा है लेकिन जनता  को खुद होकर भी उनका विरोध करना चाहिए। सामाजिक बहिष्कार और तिरस्कार का बड़ा असर होता है। कोरोना कोई एक दो दिन में लौट जाने वाली मुसीबत नहीं है उ मीद की जा रही है कि  ज्यों - ज्यों गर्मी बढ़ेगी भारत में उसका असर घटता जाएगा लेकिन अव्वल तो चिकित्सा जगत ने इसकी  पुष्टि नहीं की और दूसरी बात ये है कि दुनिया के  तमाम देशों में गर्मियों का तापमान भी हमारे देश की सर्दियों जैसा रहता है। ऐसे में ज्योंही विदेशों से आवागमन दोबारा प्रारंभ होगा त्योंही इस बीमारी के आयात की संभावना बढ़ जायेगी। बेहतर होगा कि हम भारतीय इस तरह की आपदा से निपटने का चरित्र विकसित करें जो अनुशासन से ही आता है। जन स्वास्थ्य की चिंता केवल शासन करे और हम अपने स्तर पर पूरी तरह लापरवाही बरतें ये ल बे समय तक चलने वाला नहीं है। चीन में कोरोना के आतंक की खबर मिलते ही यदि शेष  दुनिया सतर्क होकर बचाव के इंतजाम कर लेती तब हजारों मौतें रोकी जा सकती थीं । गत दिवस टीवी चैनलों पर यूरोप के एक देश में सैकड़ों लोग समुद्री  बीच पर वाटर स्पोर्ट का मजा लूटते दिखाए गये। अमेरिका तक में पार्टियां चल रही हैं। आज ही खबर आई कि चीन के चिकित्सा जगत में  कोरोना द्वारा पलटवार किये जाने की आशंका व्यक्त की  जा रही है। ऐसे में भारत सरीखे देश के सामने सामूहिक मौतें देखने के अलावा दूसरा कोई रास्ता नहीं बचेगा। इसलिए कोरोंना को पूरी ग भीरता से लेने का समय आ चुका है। भारत के प्रत्येक नागरिक को इस लड़ाई में  अपना योगदान देना पड़ेगा। केवल कुछ मिनिट तक थाली और ताली बजाकर अपने  कर्तव्य की इतिश्री मान लेने वाले महानुभावों से अपेक्षा है कि वे इस नाजुक घड़ी में व्यवस्था के अनुरूप आचरण करें। लॉक   डाउन या क र्यू का जो मकसद है उसे समझकर घर में रहने की आदत डालनी ही होगी। कई दिनों से बिना घर  जाए 24 घंटे अस्पताल में रहकर कोरोना से संक्रमित मरीजों की सेवा कर  रही किसी महिला डाक्टर का ये ट्वीट इस स बन्ध में विचारणीय है कि हम आपके लिए ही अपने घर से बाहर हैं तो क्या  आप हमारे लिए घरों के अंदर नहीं रह सकते ? सोचिये और खुद को ही इस प्रश्न का जवाब भी दीजिये।

-रवीन्द्र वाजपेयी

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