भारत सरकार ने फैसला किया है कि आगामी 1 जनवरी से सभी चार पहिया वाहनों में फ़ास्ट टैग जरूरी होगा | इसका उद्देश्य टोल नाकों पर समय की बर्बादी रोककर ईंधन का अपव्यय रोकना है जो पर्यावरण संरक्षण के लिए भी लाभप्रद होगा | फ़ास्ट टैग दरअसल टोल टैक्स की प्रीपेड व्यवस्था है | इसके जरिये वाहन मालिक टोल टैक्स का अग्रिम भुगतान करते हैं जिससे वाहन में लगे टैग से उसे नाके में बिना रुके निकलने की सुविधा रहेगी और टैक्स का भुगतान स्वचालित तरीके से होता जायेगा | नाकों के अलावा बैंकों और अन्य संस्थाओं में भी फ़ास्ट टैग खरीदने की सुविधा दी जा रही है | नाकों पर होने वाले विलम्ब और गुंडागर्दी से केवल ट्रक और बस वाले ही नहीं अपितु निजी चार पहिया वाहन वाले भी हलाकान थे | ये कहना गलत न होगा कि टोल ठेके ज्यादतार बाहुबलियों के अलावा छद्म रूप से राजनेताओं के पास होने से आम वाहन चालक उनकी ज्यादती का विरोध करने का साहस नहीं कर पाता | ट्रक चालकों से मनमाना टैक्स वसूलने के नाम पर घंटों परेशान करना बहुत ही आम शिकायत है | इसे देखते हुए ट्रांसपोर्ट ऑपरेटर्स के राष्ट्रीय संगठन ने परिवहन मंत्री नितिन गडकरी से मिलकर एकमुश्त टोल टैक्स चुकाने का प्रस्ताव देते हुए नाके खत्म किये जाने का अनुरोध भी किया था | स्मरणीय है सत्ता में आने से पहले श्री गडकरी भी इस टैक्स को समाप्त किये जाने के पक्षधर थे | हालाँकि राजमार्गों के विकास के लिए सरकार को धन की जो आवश्यकता है उसे देखते हुए टोल टैक्स पूरी तरह खत्म करना तो सम्भव नहीं लगता | खुद श्री गडकरी भी अब ये कहने लगे हैं कि अच्छे हाईवे पर चलना है तब टोल टैक्स तो देना ही पड़ेगा | पूरी दुनिया में टोल टैक्स का प्रचलन है | इसी के साथ ये अवधारणा भी वैश्विक स्तर पर सर्वमान्य होती जा रही है कि किसी भी देश में विकास का मापदंड वहां की सड़कें विशेष रूप से हाईवे होते हैं | प्रथम विश्व युद्ध के बाद आई आर्थिक महामंदी से उबरने के लिए अमेरिका में बड़े पैमाने पर राजमार्गों और पुलों आदि का निर्माण किया गया जिसने निश्चित रूप से उस देश की तकदीर और तस्वीर दोनों बदल दीं | भारत में राजमार्गों को विश्वस्तरीय बनाकर सड़क परिवहन को सरल , सुरक्षित और सुविधाजनक बनाने की परिकल्पना को पूर्व प्रधानमन्त्री स्व. अटलबिहारी वाजपेयी ने मूर्तरूप देते हुई स्वर्णिम चतुर्भुज परियोजना का शुभारम्भ किया था | उसी के साथ उन्होंने गाँवों को पक्की सड़क से जोड़ने का जो बीड़ा उठाया उसने ग्रामीण विकास की असीम सम्भावनाओं को जन्म दिया | हालांकि 2004 में उनकी सरकार चली जाने के बाद मनमोहन शासन में राजमार्गों के निर्माण की गति धीमी रही वरना अब तक स्वर्णिम चतुर्भुज परियोजना पूरी हो चुकी होती | 2014 में नरेंद्र मोदी की सरकार के आने के बाद संयोगवश श्री गडकरी को परिवहन मंत्रालय दिया गया और उन्होंने वाजपेयी सरकार के रुके काम को गति देते हुए देश भर में राजमार्गों का निर्माण जोरशोर से प्रारम्भ करवा दिया | इसके सुपरिणाम भी देखने मिल रहे हैं | विशेष रूप से व्यावसायिक वाहनों मसलन ट्रक और बस चालकों को उच्चस्तरीय हाईवे के साथ ही फ्लायओवर के कारण समय और ईंधन की बचत तो होने लगी किन्तु टोल नाके की अव्यवस्था के चलते वे हलाकान थे और सरकार को भी टैक्स की वसूली के सही आंकड़े न मिलने से नाका भी निर्धारित समय सीमा के बाद भी जारी रहता था | निश्चित रूप से इस गोरखधंधे को नेता और नौकरशाहों के गठजोड़ का संरक्षण रहा | फास्ट टैग व्यवस्था लागू होने के बाद से टोल नाकों पर होने वाली गुंडागर्दी और जबरिया वसूली पर काफ़ी रोक लगी है । लेकिन बीते कुछ समय से ये शिकायतें मिल रही थीं कि निजी टोल नाकों पर फ़ास्ट टैग लगा होने के बाद भी नगद भुगतान लिया जाता है | 1 जनवरी से फ़ास्ट टैग अनिवार्य होने के बाद अब नगद भुगतान की व्यवस्था पूरी तरह रुकना चाहिए | दूसरी बात ये है कि शहरों से सटे कस्बों तक आने - जाने के लिए लगने वाले टोल टैक्स में छूट जरूरी है | इसका कारण ये है कि ऐसे अनेक कस्बों से कुछ दूर पहले राजमार्ग निकलने के कारण लोगों को अपने घर से खेत तक आने जाने के लिए भी टोल नाके से गुजरना होता है | ये समस्या देश भर में सैकड़ों जगह देखने मिल रही है जिससे लोगों में नाराजगी है | बेहतर हो श्री गडकरी व्यक्तिगत रूचि लेकर स्थानीय परिवहन को टोल टैक्स से राहत दिलवाने की व्यवस्था करें और एक न्यूनतम दूरी तक आने - जाने पर गैर व्यवसायिक वाहनों के लिए राहत की नीति बने | वैसे सड़क मार्ग से लंबी यात्राएँ करने वाले ये सवाल भी उठाने लगे हैं कि जब नये वाहन के पंजीयन के समय ही रोड टैक्स का एकमुश्त भुगतान ले लिया जाता है तब टोल टैक्स का क्या औचित्य है ? वैसे भी अब चार पहिया वाहन केवल धन्ना सेठों की सवारी नहीं रही | भारत के विशाल मध्यम वर्ग में भी भले ही छोटी हो किन्तु कार रखने का चलन बढ़ चला है | देश में आई ऑटोमोबाइल क्रांति के पीछे मध्यमवर्ग के जीवन स्तर में हुआ सुधार भी बड़ा कारण है | कोरोना काल में अपने वाहन से लम्बी यात्रा करने का चलन भी तेजी से बढ़ा है | चूँकि फ़ास्ट टैग प्रणाली पूरी तरह से लागू हो जाने के बाद टोल टैक्स से सरकार को होने वाली आय में पर्याप्त वृद्धि होगी और नाके वालों की अवैध वसूली पर भी विराम लगेगा इसलिए जरूरी है कि टैक्स की दरों में कमी की जाये जिससे सड़क परिवहन सुचारू और सस्ता हो | वर्तमान में तो 1 रूपये प्रति किमी से भी ज्यादा टोल टैक्स लग जाता है | परिवहन मंत्री जमीनी सच्चाई से वाकिफ हैं इसलिये उनसे अपेक्षा की जा सकती है कि वे राजमार्गों के निर्माण में रूचि लेने के साथ ही टोल टैक्स व्यवस्था में व्याप्त विसंगतियों की ओर भी ध्यान देंगे | राजमार्गों को विश्वस्तरीय बनाना समृद्ध और विकसित भारत का प्रतीक तो होगा लेकिन उसके साथ ही ये भी जरूरी होगा कि उस पर चलने के सुख से आम आदमी को वंचित न किया जाए | फ़ास्ट टैग प्रणाली से सरकार के साथ ही जनता को भी फायदा मिले तभी उसकी सार्थकता है ।
- रवीन्द्र वाजपेयी
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