Tuesday 8 December 2020

बच्चों की मौत बीमारू राज्य के प्रमाणपत्र का नवीनीकरण



हाल ही में प्रधानमन्त्री नरेंद्र मोदी ने कोरोना वैक्सीन संबंधी घोषणा करते हुए भारत द्वारा इस महामारी के विरुद्ध लड़ी गई लड़ाई में प्राप्त सफलता का बखान किया था | उनकी बात में सच्चाई भी है  क्योंकि विश्व की दूसरी सबसे बड़ी आबादी वाले हमारे देश में सरकारी  चिकित्सा सेवाओं की दयनीय हालत देखते हुए इस बात की प्रबल आशंका थी कि कोरोना महामारी  की स्थिति में पहुंच जायेगा जिसके कारण बड़ी संख्या में  मौतें होंगी | लेकिन  जैसे संकेत मिल रहे  हैं उनके अनुसार भारत इस अनजान और अप्रत्याशित संकट से कम से कम नुक्सान के साथ बाहर आने में सफल दिखाई दे रहा है | यद्यपि अभी संक्रमण पूरी तरह खत्म नहीं हुआ लेकिन उसकी तीव्रता में कमी आने से ये लग रहा है कि दूसरी लहर उतनी प्रभावशाली नहीं हुई जितना उसे लेकर डर था | और अब तो वैक्सीन भी आने को तैयार है | ऐसे में ये कहा जा सकता है कि हम कोरोना पर जीत हासिल करने के काफी  करीब आ चुके हैं | पूरी दुनिया में इस बात को लेकर भारत की प्रशंसा हो रही है | प्रारम्भिक अफरातफरी के बाद आपात्कालीन चिकित्सा प्रबंध जिस तेजी से किये गये वे भारतीय हालातों में किसी चमत्कार से कम न थे | इस क्षेत्र के जानकार ये मान रहे हैं कि कोरोना संकट ने भारत में चिकित्सा सेवाओं के विस्तार और सुधार में महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन किया और उस कारण हमारे आत्मविश्वास में भी वृद्धि हुई है लेकिन इसी बीच मप्र के शहडोल जिले के सरकारी जिला अस्पताल में छोटे बच्चों की मौत की घटना होने से हड़कम्प मच गया | बीते कुछ ही दिनों में 14 बच्चे चल बसे | राजधानी भोपाल तक इसे लेकर हलचल है | सरकारी कर्मकांड के अनुसार अनेक लोगों को निलम्बित कर दिया गया | स्वास्थ्य विभाग के आला अफसरों के बाद आज प्रदेश के  स्वास्थ्य मंत्री भी उक्त अस्पताल का दौरा कर रहे हैं | उनके वहां जाने का असर ये होगा कि अस्पताल साफ़ - सुथरा हो जाएगा | मरीजों के बिस्तर पर धुली हुई चादर नजर आयेगी | चिकित्सक और नर्सिंग स्टाफ समय से आकर अपने काम में जुट जाएगा | मरीजों को समय से दवाइयों के साथ ही बाकी सुविधाएं  मिल जायेंगी और उनसे अच्छा व्यवहार भी  किया जावेगा | मंत्री जी भी  सहानुभूति के टोकरे उड़ेल देंगे | जिन परिवारों के नौनिहाल सस्ते में चल बसे उनको कुछ सहायता देकर गुस्सा  ठंडा कर  दिया जाएगा | मुख्यमंत्री जी की चिंता को सार्वजनिक तौर पर व्यक्त करते हुए जिला  अस्पताल के उन्नयन हेतु अतिरिक्त बजट तथा उपकरण भी स्वीकृत कर दिए जाएंगे | स्थानीय  जनप्रतिनिधि मंत्री जी के सान्निध्य में अपनी जागरूकता और सक्रियता का प्रदर्शन करेंगे और फिर दिन भर के तमाशे के बाद सब कुछ पहले जैसा हो जाएगा | बच्चे किसी बीमारी से मौत के मुंह में गए या अस्पताल की लापरवाही से , ये पता लगाने की जहमत उठाये बिना बीती ताहि बिसार दे , आगे की सुधि लेय वाली उक्ति का पालन करते हुए किसी नए हादसे के होते ही सभी का ध्यान उस ओर चला जाएगा | हमारे देश के लिए ये कोई नई बात  नहीं है | जनता भी चूँकि जबरदस्त सहनशील है इसलिए नेता और नौकरशाह भी चिंता नहीं करते | यही वजह है कि इंसानी ज़िन्दगी हमारे देश में रस्ते का माल सस्ते में होकर रह गई है | शहडोल में तो अब तक गनीमत है 14 बच्चों की ही मौत हुई लेकिन बीते साल पटना और उसके पूर्व उप्र के गोरखपुर में दर्जनों बच्चे किसी अज्ञात बीमारी से चल बसे | दुर्भाग्य की बात ये है कि ऐसे हादसे साल दर  साल दोहराये जाते हैं लेकिन स्थायी निदान के बारे में कोई नहीं सोचता | इसमें कोई संदेह नहीं कि भारत में चिकित्सा सेवाओं का विकास और विस्तार दोनों हुए हैं | गम्भीर से गम्भीर बीमारियों तक का इलाज होने लगा है | यूरोपीय देशों की तुलना में सस्ता होने से बड़ी संख्या में विदेशी यहाँ इलाज हेतु आने लगे हैं जिसकी वजह से मेडिकल टूरिज्म विदेशी मुद्रा का एक बड़ा स्रोत बनने लगा है । लेकिन बतौर विरोधाभास राजधानी एवं बड़े शहरों को छोड़कर ज्योंहीं बात जिला , तहसील और कस्बों की आती है त्योंही चिकित्सा व्यवस्था की दरिद्रता सामने आने लगती है | शहडोल जैसी अनेक घटनाएँ देश के किसी न किसी भाग में आये दिन होती रहती हैं | सूचना क्रांति की वजह से उनकी जानकारी प्रसारित भी हो जाती है लेकिन उन्हें रोकने के प्रति सरकारी स्तर पर जो लापरवाही भरा रवैया होता है वह शर्मनाक ही नहीं घोर अमानवीय भी है | हमारे जनप्रतिनिधियों को तो भूतपूर्व होने के बाद तक मुफ्त और महंगे से महंगा इलाज उपलब्ध है | देश में संभव न हो तो विदेश में महीनों रहकर जनता के पैसे से करोड़ों उन पर खर्च कर दिए जाते हैं लेकिन उन्हें सड़क से उठाकर संसद और विधानसभा पहुँचाने वाली आम जनता को कुत्ते के काटने पर लगने वाला इंजेक्शन तक अपने पैसे से खरीदकर लाना पड़ता है | प्रधानमन्त्री द्वारा कोरोना संक्रमण पर भारत की जीत का जो गौरवगान किया गया उससे किसी को ऐतराज या असहमति नहीं है किन्तु समय आ गया है जब कतार के अंतिम छोर पर खड़े व्यक्ति को भी वीआईपी न सही लेकिन साधारण स्तर की  प्राथमिक चिकित्सा तो उपलब्ध कराई जा सके | मप्र दो दशक पहले तक बीमारू राज्य की श्रेणी में आता था |  लेकिन अब उसके  विकास की राह पर बढ़ने  का दावा होने लगा है | बिजली ,पानी और सड़क जैसी  समस्याओं से वह काफी हद तक उबर चुका है लेकिन सरकारी  चिकित्सा सुविधाओं के बारे में अभी भी स्थिति संतोषजनक नहीं है | शहडोल की घटना से एक बार फिर ये विषय विचारणीय हो चला है लेकिन इसे सस्ते में हवा - हवाई कर देना असंवेदनशीलता का उदाहरण होगा | प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने जिस तरह मप्र को कृषि के क्षेत्र में देश का अग्रणी राज्य बनाया उसी तरह उन्हें चिकित्सा के क्षेत्र में भी वैसी ही उपलब्धियां अर्जित करने के भगीरथी प्रयास करना चाहिए | ये वाकई शर्म  की बात है कि प्रतिदिन मप्र से सैकड़ों लोग इलाज ही नहीं  जांच तक के लिए नागपुर जाने मजबूर होते हैं | विकास के मापदंडों में चिकित्सा और स्वास्थ्य भी सर्वोच्च प्राथमिकता के विषय होना चाहिए |

- रवीन्द्र वाजपेयी 



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