Saturday 5 December 2020

वैक्सीन के बाद भी एक वर्ष तक सावधानी जरूरी



प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा गत दिवस सर्वदलीय बैठक में कोरोना वैक्सीन के कुछ हफ्तों में आने की  जानकारी देते हुए आश्वस्त  किया कि प्राथमिकता के आधार पर टीकाकरण किये जाने की तैयारी प्रशासनिक स्तर पर की जा चुकी है | इस कार्य में राज्यों के साथ समन्वय स्थापित कर सबसे  पहले एक करोड़ स्वास्थ्यकर्मी और उसके बाद तकरीबन दो करोड़  मैदानी  कार्यकर्ताओं को वैक्सीन उपलब्ध  करवाई जावेगी जिनमें पुलिस , सुरक्षाबल  और निकाय कर्मी मुख्य रूप से होंगे | उसके बाद अति बुजुर्गों और वरिष्ठ नागरिकों का क्रम आयेगा | प्रधानमन्त्री ने विस्तार से बात करते हुए कहा कि वैक्सीन की कीमत को लेकर राज्यों के साथ चर्चा उपरान्त ही निर्णय किया जावेगा | उन्होंने कोरोना  संक्रमण से लडाई में भारत की सफलता का ब्यौरा  देते हुए बताया कि बड़े पैमाने पर  जांच किये जाने से संक्रमण को महामारी में बदलने में सफलता हासिल हुई | वैश्विक अनुपात में मृत्यु  दर कम रहने को भी उन्होंने उपलब्धि बताया | भारत द्वारा कोरोना के सामुदायिक फैलाव को रोकने के लिए जो उपाय किये गए उन पर हर्ष  व्यक्त करते हुए श्री मोदी ने भारत में वैक्सीन का विकास करने में जुटे वैज्ञानिकों की प्रशंसा करते हुए कहा कि उनके प्रयासों की सफलता पर पूरी दुनिया की निगाहें लगी हैं क्योंकि किफायती दामों पर वैक्सीन  उत्पादन में भारत विश्व का अग्रणी राष्ट्र है | टीकाकरण के अभियान में राज्य सरकारों की सहभागिता की चर्चा करते हुए उन्होंने स्पष्ट किया कि उसकी कीमतों के निर्धारण में उनकी भूमिका महत्वपूर्ण रहेगी | इसी बीच ये मांग भी उठ खडी हुई है कि कोरोना की वजह से चूँकि समाज के प्रत्येक वर्ग को जबरदस्त मानसिक , आर्थिक और शारीरिक परेशानी उठानी पड़ रही है इसलिए बेहतर होगा वैक्सीन लगाने संबंधी पूरा खर्च सरकार वहन  करे | बिहार चुनाव में भाजपा ने अपने  घोषणापत्र में जब इसकी घोषणा की थी तब ये प्रश्न उठा था कि  अन्य राज्यों के निवासी भी तो मतदाता हैं | और तब केंद्र के साथ ही  अनेक राज्य सरकारों की तरफ से निःशुल्क वैक्सीन का आश्वासन दिया गया था | अब जबकि वैक्सीन उपलब्ध होने जा रही है तब ये जरूरी हो गया है कि केंद्र और राज्य मिलकर इस बारे में नीतिगत घोषणा करते हुए आम जनता के मन में व्याप्त अनिश्चितता और भय को दूर करें | वैसे भी एक वर्ग ऐसा है जो सरकारी वैक्सीन के इन्तजार में बैठने की बजाय अपने खर्च से उसे खरीद लेगा | केन्द्रीय स्वास्थ्य  मंत्री डा. हर्षवर्धन तो पहले ही कह चुके हैं कि पूरे देश को वैक्सीन लगाते - लगाते अगले साल का जुलाई महीना आ जाएगा | उनकी बात काफी हद तक सही है क्योंकि 138 करोड़ जनता का टीकाकरण छोटा काम नहीं है | इसलिए ध्यान देने योग्य बात ये है कि  वैक्सीन की खुले बाजार में उपलब्धता रहे और वह कालाबाजारी और मुनाफाखोरी के चंगुल में न फंस जाये | दूसरी तरफ वैक्सीन लगाने के अभियान में सरकारी ढर्रा बाधा न बने | लेकिन इसी के साथ सबसे ज्यादा जरूरत है कोरोना संक्रमण की वापिसी को रोकना | उल्लेखनीय है अमेरिका , ब्रिटेन , फ्रांस और इटली जैसे विकसित देशों में कोरोना की दूसरी लहर ने कहर  बरपा रखा है | नित्यप्रति बड़ी संख्या में  नए संक्रमित सामने आने से चिकित्सा प्रबंध गड़बड़ा गये हैं | अमेरिका में तो रिकॉर्ड संख्या में मौतें  हो रही हैं | वहीं अपनी स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता के लिए विश्व प्रसिद्ध इटली के अस्पतालों में बिस्तर कम पड़ने लगे हैं | भारत के बारे में भी ऐसी ही आशंका व्यक्त की जा रही थी | दीपावली के बाद अचानक से कोरोना संक्रमण तेजी से बढ़ा भी लेकिन जैसा कि सरकारी आंकड़े बता रहे हैं उनके अनुसार बीते एक सप्ताह में कोरोना का फैलाव फिर नियंत्रण में आ रहा है और अस्पताल से स्वस्थ होकर घर लौटने वालों की संख्या नए संक्रमितों से ज्यादा होने से ये उम्मीद बढ़ी है कि दूसरी लहर का प्रकोप शायद आशंका जितना न रहे | लेकिन ध्यान रखने वाली बात ये भी है कि सर्दियों का मौसम कोरोना के प्रारम्भिक लक्षणों के लिए काफी अनुकूल है और ऐसे में विशेष रूप से पहले से बीमार चल रहे बुजुर्गों के स्वास्थ्य के प्रति सतर्कता रखी जानी चाहिए | प्रधानमन्त्री ने भी इस बारे में आगाह किया है | इस बारे में एक बात पक्के तौर पर समझ लेनी होगी कि वैक्सीन लगने के बाद भी कम से कम आने वाले एक साल तक मास्क और  सैनिटाइजर के उपयोग के अलावा शारीरिक दूरी बनाये रखने के प्रति अनुशासित रहना होगा क्योंकि कोरोना एक वायरस है जो दोबारा नहीं आयेगा इसकी गारंटी कोई नहीं दे सकता | दुनिया के अनेक देश कोरोना की पहली लहर के ठंडे  पड़ने के बाद खुशफहमी के शिकार होकर धोखा खा चुके हैं |

-रवीन्द्र वाजपेयी

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