Tuesday 14 December 2021

काशी विश्वनाथ कॉरिडोर एक नई यात्रा की शुरुआत



 काशी या वाराणसी को विश्व की प्राचीनतम नगरी कहा जाता है | भगवान शंकर का ज्योतिर्लिंग यहाँ स्थित है जिसे बाबा विश्वनाथ कहा जाता है | काशी भारत की प्राचीन ज्ञान परंपरा का केंद्र रही  है | यहाँ के  आध्यात्मिक वातावरण में भक्ति , वैराग्य , कला , संगीत , साहित्य , संस्कृति , शिल्प , शिक्षा , उद्योग  सभी का अद्भुत समावेश है | ये नगरी भारतीय संस्कृति के लगभग सभी रंगों को अपने आँचल में समाहित किये हुए है | यहाँ का खान – पान , गान और तो और श्मसान तक ख्यातलब्ध है | काशी अध्ययन , आराधना और साधना का विश्वप्रसिद्ध केंद्र है | भगवान बुद्ध ने यहीं सारनाथ में सबसे पहले अपने ज्ञान का प्रकाश बिखेरा था | लेकिन काशी विरोधाभासों का भी  शहर है | पूर्वी भारत का यह प्रवेश द्वार अपनी विलक्षणताओं के साथ ही अव्यवस्थाओं के लिए भी जाना जाता रहा है | भीड़ , गंदगी , संकरी  गलियाँ , बेतरतीब यातायात और सबसे बढ़कर तो शिव के गणों जैसा लोक व्यवहार | जिन बाबा विश्वनाथ की वजह से वाराणसी पूरे भारत में आस्था का केंद्र  होने के साथ ही वैश्विक आकर्षण का केंद्र है , उनके ऐतिहासिक मंदिर के आस पास का समूचा क्षेत्र  अव्यवस्था का साक्षात अनुभव करवाने वाला था | मंदिर जाने के लिए आने वाले श्रृद्धालुओं को घनी बस्ती के अलावा संकरी गलियों से गुजरना होता था | जिनमें शिव के वाहन का निर्बाध आवागमन  आने – जाने वालों को भयभीत कर देता था | अवैध निर्माण और अतिक्रमणों के कारण विश्वनाथ  मंदिर के चारों तरफ बने दर्जनों मंदिर पूरी  तरह छिप गये थे | लेकिन गत दिवस पूरी दुनिया ने काशी के कायाकल्प को देखा | काशी विश्वनाथ कॉरिडोर नामक परियोजना का प्रधानमंत्री  नरेंद्र मोदी ने लोकार्पण कर काशी को क्योटो बना देने के वायदे को पूरा करने के सिलसिले को और आगे बढ़ा दिया |  2014 में वाराणसी से उनका लोकसभा चुनाव लड़ना विशुद्ध रूप से राजनीतिक रणनीति का हिस्सा था | भाजपा का वह दांव कारगर साबित हुआ | वाराणसी से श्री मोदी तो जीते ही वहीं  उ.प्र में भी भाजपा को  अभूतपूर्व सफलता हासिल हुई | जैसी कि उम्मीद थी श्री मोदी प्रधानमंत्री  बन गये और उसके बाद उन्होंने वाराणसी की तस्वीर बदलने का बीड़ा उठाया | उ.प्र ने उसके पहले भी देश को आधा दर्जन प्रधानमंत्री  दिए | उन सभी के निर्वाचन क्षेत्र अति विशिष्ट ( वीआईपी ) कहलाये | लेकिन फूलपुर , रायबरेली और अमेठी की दशा देखकर कोई नहीं कहेगा कि यहाँ से जीतने वाले   देश के प्रधानमंत्री  रहे | लेकिन श्री मोदी ने वाराणसी से चुनाव जीतने के तत्काल बाद ही वहां के विकास पर ध्यान दिया  | बीते सात  साल के भीतर ही वहां ये विश्वास पैदा हो गया है कि  इच्छा शक्ति हो तो बदरंग तस्वीर को भी  संवारा जा सकता है |  प्रधानमंत्री  जाहिर तौर पर एक  राजनेता हैं |  उनके कन्धों पर भाजपा को जिताने  की भी जिम्मेदारी है | उ.प्र में दो – ढ़ाई महीने  बाद विधानसभा चुनाव हैं  जिसमें भाजपा को कड़ी चुनौती मिलने की बात कही जा रही है | उस दृष्टि से पूर्वांचल का प्रमुख केंद्र होने से वाराणसी बहुत ही महत्वपूर्ण है | ये भी कहा जा रहा है कि चुनावी फायदे के लिए काशी  विश्वनाथ कॉरिडोर का विकास कार्य  समय से पहले करवा लिया गया | प्रधानमंत्री  चूँकि हर आयोजन में भव्यता और सुव्यवस्था के लिए जाने जाते हैं इसलिए गत दिवस काशी में जो हुआ वह भव्यता   और दिव्यता दोनों लिहाज से बेमिसाल था | राजनीति से अलग हटकर देखें तो वाराणसी से अतीत में भी  अनेक दिग्गज लोकसभा चुनाव जीतकर जाते रहे |  उनके द्वारा भी इस प्राचीन नगरी के विकास के लिए काफी कुछ किया गया | मसलन स्व. कमलापति  त्रिपाठी ने रेलमंत्री रहते हुए  रेल सुविधाओं के विकास के लिए उल्लेखनीय कार्य किये | लेकिन ये कहने में लेश मात्र भी संकोच नहीं होना चाहिए कि  श्री मोदी ने बीते सात साल में ही वाराणसी को उसकी प्रतिष्ठा के अनुरूप विकसित करने का जो प्रयास किया वह वाकई प्रशंसनीय  है | दुनिया भर से बौद्ध धर्मावलम्बी वाराणसी के उपनगरीय क्षेत्र सारनाथ आते हैं | श्री मोदी ने जापान के प्रधानमंत्री  को वाराणसी की  गंगा आरती में शामिल करवाकर  जापान के धार्मिक शहर क्योटो की तरह से ही काशी को भी विकसित करने का इरादा जताया | उसे लेकर प्रधानमन्त्री का उपहास भी किया  जाता रहा किन्तु उन्होने   अपने संकल्प को न सिर्फ याद रखा अपितु उसे कार्यरूप में परिणित भी कर दिखाया | काशी विश्वनाथ कॉरिडोर के विकास को केवल धार्मिक  दृष्टि से देखा  जाना उचित न होगा | यह हिन्दू तीर्थों की अव्यवस्था को दूर कर उन्हें साफ़ - सुथरा , सुंदर और सुविधासंपन्न बनाने की दिशा में एक दिशा निर्देशक बन सकता है | काशी विश्वनाथ के दर्शन करने आये महात्मा गांधी ने भी वहां की गंदगी और अव्यवस्थाओं  पर असंतोष  व्यक्त किया था | देश में हिन्दू धर्म के अधिकतर धार्मिक केंद्र और तीर्थ स्थल इसी तरह की हालत में हैं | श्री मोदी ने वाराणसी के प्राचीन गौरव के अनुरूप उसके विकास का जो उदाहरण पेश किया वह पर्यटन और उससे उत्पन्न होने वाले रोजगार को बढ़ावा देने वाला साबित होगा इसमें कोई संदेह नहीं है | इसे सुखद  संयोग ही कहा जायेगा कि उ.प्र में ही अयोध्या में विकास का महा अभियान जोर – शोर से जारी है और यदि कार्य योजनानुसार ही चलता रहा तो आगामी दो वर्ष के भीतर अयोध्या भी विश्व के  मानचित्र पर उसी तरह स्थापित हो जायेगी जैसे वेटिकन और मक्का हैं | ये कहना कदापि गलत न होगा कि राममंदिर विवाद के बाद अयोध्या को लेकर पूरे विश्व से  हिन्दू  धर्मावलम्बी वहां आने के लिए लालायित हैं लेकिन पर्याप्त व्यवस्था के अभाव में अपनी इच्छा दबाकर रह जाते हैं | अयोध्या में राम मंदिर के साथ ही उसे विश्व के सबसे प्रमुख धार्मिक केंद्र में परिवर्तित करने के लिए जिस तरह की सुविधाओं  का विकास किया जा रहा है उसे देखते हुए आगामी कुछ सालों बाद पूरी दुनिया से लोग अयोध्या आएंगे | वाराणसी में भी काशी विश्वनाथ कॉरिडोर  बन जाने से पर्यटकों के लिए दोहरा आकर्षण रहेगा  | स्मरणीय है आजादी के बाद सरदार पटेल की पहल पर गुजरात में सोमनाथ के मंदिर का पुनर्निर्माण कराया गया था | उसके लोकार्पण में पहले राष्ट्रपति डा. राजेंद्र प्रसाद गये थे | लेकिन तब के प्रधानमंत्री  पं. जवाहर लाल नेहरु ने उनसे ये कहते न जाने का आग्रह किया कि उससे  देश  की धर्म निरपेक्ष छवि प्रभावित होगी | राजेन्द्र बाबू ने नेहरू जी की आपत्ति को दरकिनार कर दिया और कहा कि सोमनाथ मंदिर का जीर्णोद्धार राष्ट्रीय गौरव की पुनर्स्थापना होने से उनका वहां जाना सही रहेगा | काशी  विश्वनाथ परिसर का जो रूप निखरकर सामने आया है वह दिव्यता और भव्यता का सुंदर समन्वय है | याद  रखने वाली बात ये है कि भारत रत्न स्व. बिस्मिल्लाह खान भी बाबा विश्वनाथ के परम भक्त थे और अक्सर भोर की बेला में मंदिर प्रांगण में शहनाई बजाने पहुंच जाया करते थे | काशी के इस कायाकल्प से प्रेरित होकर अन्य ज्योतिर्लिंगों और शक्तिपीठों को भी इसी तरह विकसित और व्यवस्थित किया जावे तो देश ही नहीं अपितु विदेशों तक से श्रद्धालुजन इनकी यात्रा  करने आयेंगे | विश्वनाथ मंदिर के इर्द गिर्द हुए अतिक्रमण हटा दिए जाने के बाद से गंगा जी से ही मंदिर का दर्शन होना वाकई सुखद अनुभूतिदायक होगा | भारत विविधताओं से भरा देश है | लेकिन संस्कृति और धर्म सदियों से उसे एकता के सूत्र में बांधकर रखे हुए है | हमारे तीर्थ और धार्मिक केंद्र इस एकता को बनाये  रखने के सशक्त माध्यम हैं | उस दृष्टि से काशी विश्वनाथ कॉरिडोर का विकास और अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के साथ समूचे क्षेत्र में मूलभूत ढांचा खडा करने का जो अभियान चल पड़ा है उससे उ.प्र के पिछड़े कहे जाने वाले क्षेत्रों का भाग्योदय होना तय है | वैसे भी  भारत में धार्मिक पर्यटन का इतिहास बहुत पुराना है | उसे और सुविधा सम्पन्न बनाने से देशी और विदेशी पर्यटक ज्यादा संख्या में आकर्षित हो सकेंगे जिससे आसपास के इलाके में रोजगार  तथा  व्यवसाय में भी उल्लेखनीय वृद्धि होगी | गुजरात में सरदार पटेल की जो मूर्ति लगाई गई वह विश्व में सबसे ऊंची है | उसके निर्माण पर हुए खर्च को लेकर प्रधानमंत्री की आलोचना भी हुई लेकिन कुछ सालों के भीतर ही उस क्षेत्र में पर्यटकों के रिकार्डतोड़ आवागमन ने उस प्रकल्प की सार्थकता साबित कर दी | उस दृष्टि से  काशी विश्वनाथ कॉरिडोर के विकास को एक नई यात्रा की शुरुआत माना जा सकता है  |

-रवीन्द्र वाजपेयी

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